बढ़ती उम्र पर लगाना चाहते हैं ब्रेक? बस मोबाइल में बंद कर दें ये सेटिंग, हो जाएंगे जवां, नई स्टडी में चौंकाने वाले खुलासे

बढ़ती उम्र पर लगाना चाहते हैं ब्रेक? बस मोबाइल में बंद कर दें ये सेटिंग, हो जाएंगे जवां, नई स्टडी में चौंकाने वाले खुलासे

क्या आप वो शख्स हैं जो लाइन में खड़े होने या ट्रैफिक में फंसने पर फोन नीचे नहीं रख सकते? लेकिन, नई रिसर्च सुनकर आप मोबाइल फोन से दूरी बनाना शुरू कर सकते हैं. हालिया स्टडी में पाया गया है कि स्मार्टफोन से ब्रेक लेने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है. अमेरिका और कनाडा के रिसर्चर्स ने इसको लेकर एक अहम स्टडी की है.

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आइए आपको बताते हैं कि दो हफ्ते तक स्मार्टफोन से इंटरनेट ब्लॉक करने पर क्या होता है. स्टडी के मुताबिक, 91% लोगों ने दो हफ्ते के ब्रेक के बाद खुद को बेहतर महसूस किया. 2024 में हम एक हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में हैं, जहां मोबाइल इंटरनेट हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है.

काम, पढ़ाई, शॉपिंग, एंटरटेनमेंट और सोशलाइजिंग से लेकर हर चीज में स्मार्टफोन ने जगह बना ली है. इसने न सिर्फ हमारे कम्युनिकेशन को बदला, बल्कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को भी प्रभावित किया है. लेकिन ये लगातार कनेक्टिविटी एक कीमत के साथ आती है.

PNAS Nexus में छपी नई स्टडी ‘ब्लॉकिंग मोबाइल इंटरनेट ऑन स्मार्टफोन्स इम्प्रूव्स सस्टेन्ड अटेंशन, मेंटल हेल्थ एंड सब्जेक्टिव वेल-बीइंग’, बताती है कि सिर्फ दो हफ्ते के लिए मोबाइल इंटरनेट ब्लॉक करने से मेंटल हेल्थ और ओवरऑल वेल-बीइंग में काफी सुधार हो सकता है. ऑस्टिन के टेक्सास यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजिस्ट और रिसर्चर एड्रियन एफ वार्ड ने NPR को बताया कि “हमें पता चला कि लोगों की मेंटल हेल्थ बेहतर हुई, उनका सब्जेक्टिव वेल-बीइंग बढ़ा और सस्टेन्ड अटेंशन में सुधार हुआ.”

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रिसर्चर्स ने क्या किया?

इस स्टडी में 467 लोगों पर एक रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल (RCT) किया गया. जिसमें यूएस और कनाडा के लोग शामिल थे. इन्हें दो ग्रुप्स में बांटा गया—इंटरवेंशन ग्रुप (IG) और कंट्रोल ग्रुप (CG) या डिलेन्ड इंटरवेंशन ग्रुप.

IG के लोगों के लिए एक ऐप इंस्टॉल किया गया, जिसने उनके मोबाइल इंटरनेट (WiFi और मोबाइल डेटा) को दो हफ्ते के लिए ब्लॉक कर दिया. हालांकि, वे फोन कॉल्स, टेक्स्ट मैसेज भेज सकते थे. इसके अलावा वे डेस्कटॉप या लैपटॉप से इंटरनेट इस्तेमाल कर सकते थे.

वहीं, दूसरे ग्रुप को पहले दो हफ्ते तक मोबाइल इंटरनेट की पूरी आजादी थी. उसके बाद उन्हें भी वही रिस्ट्रिक्शन लगाया गया. यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग नियम फॉलो करें, ऐप से उन्हें ट्रैक किया कि उन्होंने 14 में से कम से कम 10 दिन इंटरनेट ब्लॉक रखा या नहीं.

बाद में, रिसर्चर्स ने सेल्फ-रिपोर्टेड सर्वे और सस्टेन्ड अटेंशन टास्क जैसे ऑब्जेक्टिव मेजर्स से डेटा इकट्ठा किया. उन्होंने तीन मुख्य चीजें मापीं – सस्टेन्ड अटेंशन, मेंटल हेल्थ, और सब्जेक्टिव वेल-बीइंग. मेंटल हेल्थ के लिए एंग्जाइटी, डिप्रेशन और इमोशनल डिस्ट्रेस को स्टैंडर्ड टूल्स से जांचा गया.

रिसर्चर्स के मुताबिक, दो हफ्ते बाद जिन लोगों ने मोबाइल इंटरनेट ब्लॉक किया, उनमें इन तीनों क्षेत्रों में बड़ा सुधार दिखा.

10 साल पहले का ब्रेन

सबसे अहम नतीजा सस्टेन्ड अटेंशन स्पैन में सुधार था. रिसर्चर्स ने कहा कि जिन लोगों ने मोबाइल इंटरनेट रिस्ट्रिक्ट किया वे सस्टेन्ड अटेंशन टास्क में बेहतर परफॉर्म कर पाए. उनकी कॉग्निटिव इम्प्रूवमेंट फोकस और कंसंट्रेशन के मामले में 10 साल छोटे दिमाग जैसी थी. इससे पता चलता है कि स्मार्टफोन की लगातार डिस्ट्रैक्शन दिमाग की टास्क पर ध्यान बनाए रखने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है.

एंटीडिप्रेसेंट्स से बेहतर

हां, स्मार्टफोन से दूरी एंग्जाइटी और डिप्रेशन को कम कर सकती है. रिसर्च का दावा है कि मोबाइल इंटरनेट ब्लॉक करने से मेंटल हेल्थ में सुधार हुआ, खासकर एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लक्षण कम हुए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसका असर कुछ एंटीडिप्रेसेंट ट्रीटमेंट्स से भी ज्यादा था. रिसर्चर्स के अनुसार, स्क्रीन टाइम कम करने से लोग ऐसी एक्टिविटीज में शामिल हुए, जो मेंटल वेल-बीइंग को बढ़ाती हैं.

ज्यादा खुशी, ज्यादा संतुष्टि

कौन सोचता था कि स्मार्टफोन से ब्रेक लेने से संतुष्टि मिल सकती है? रिसर्चर्स ने कहा कि जिन लोगों ने मोबाइल इंटरनेट ब्लॉक किया, उन्होंने खुद को ज्यादा खुश और जिंदगी से संतुष्ट बताया. उनका मूड बेहतर हुआ और निगेटिव फीलिंग्स कम हुईं. रिसर्चर्स ने इसे सोशल मीडिया और डिजिटल डिस्ट्रैक्शंस पर कम समय बिताने से जोड़ा, जो आमतौर पर स्ट्रेस और तुलना से जुड़ी एंग्जाइटी बढ़ाते हैं.

मोबाइल इंटरनेट ब्लॉक करने से वेल-बीइंग कैसे सुधरा?

मोबाइल में इंटरनेट न होने पर लोग ज्यादातर फेस-टू-फेस बातचीत में लगे. जिससे उनकी सोशल कनेक्टेडनेस बढ़ी. इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी में भी काफी बढ़ोतरी हुई. लोग खाली समय में एक्सरसाइज करने लगे, जिससे मेंटल हेल्थ बेहतर हुई. लोग ज्यादा समय बाहर प्रकृति में बिताने लगे, जो मूड और वेल-बीइंग को बेहतर करने का एक और बड़ा कारण बना.

वे सोशल मीडिया पर डूम स्क्रॉलिंग या शॉर्ट-फॉर्म वीडियो ज्यादा देखने जैसी पैसिव एक्टिविटीज में कम शामिल हुए. स्क्रीन टाइम कम होने से नींद की क्वालिटी भी सुधरी, जिसका मेंटल हेल्थ और कॉग्निटिव फंक्शंस पर पॉजिटिव असर पड़ा.

बैलेंस बनाना जरूरी

ये स्टडी अहम है क्योंकि ये मोबाइल इंटरनेट यूज की छिपी कीमत को उजागर करती है. स्मार्टफोन कई फायदे लाते हैं लेकिन ये हमारी जिंदगी की क्वालिटी, खासकर मेंटल हेल्थ और वेल-बीइंग को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. थोड़े समय के लिए मोबाइल इंटरनेट बंद करने से बेहतर फोकस, मूड और हेल्दी लाइफस्टाइल का अनुभव हो सकता है. ये सब ऑनलाइन कनेक्टेड रहने और ऑफलाइन रूटीन एक्टिविटीज के बीच बैलेंस बनाने की जरूरत को दिखाता है.

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Sudhanshu Shubham

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile

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