भारत के इन मिसाइलों के आगे थर-थर कांप उठेगा पाकिस्तान, पलभर में दुश्मन को पहुंचा देती हैं जन्नत!

भारत के इन मिसाइलों के आगे थर-थर कांप उठेगा पाकिस्तान, पलभर में दुश्मन को पहुंचा देती हैं जन्नत!

भारत ने अपनी डिफेंस क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक शानदार मिसाइल पोर्टफोलियो विकसित किया है. इसमें लगातार सुधार हो रहा है. 2025-26 के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये का डिफेंस बजट आवंटित किया गया है, जिसमें 1,48,722.80 करोड़ रुपये हथियारों और मिसाइलों की खरीद के लिए और 31,277.20 करोड़ रुपये रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए रखे गए हैं.

Digit.in Survey
✅ Thank you for completing the survey!

इस फोकस, स्ट्रैटेजी और इनवेस्टमेंट की बदौलत भारत ने टैक्टिकल और स्ट्रैटेजिक जरूरतों के लिए कई तरह की मिसाइलें बनाई हैं. शॉर्ट-रेंज टैक्टिकल मिसाइलों से लेकर लॉन्ग-रेंज इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स (ICBMs) तक, हर मिसाइल का डिफेंस में खास रोल है. चलिए आपको भारत की टॉप मिसाइल टेक्नोलॉजी और उनके फीचर्स के बारे में बताते हैं.

शॉर्ट-रेंज टैक्टिकल मिसाइल्स (300 किमी तक)

ये मिसाइल्स बैटलफील्ड में तेज़ डिप्लॉयमेंट और सटीक हमलों के लिए हैं. पृथ्वी-I (150 किमी रेंज) और पृथ्वी-II (350 किमी रेंज) न्यूक्लियर-केपेबल मिसाइल्स हैं, जो सॉलिड या लिक्विड प्रोपेलेंट यूज करती हैं. प्रहार (150 किमी रेंज) रैपिड रिएक्शन के लिए सॉलिड-फ्यूल बेस्ड है. प्रलय (150-500 किमी रेंज) शॉर्ट और मीडियम-रेंज की जरूरतों को पूरा करती है, जिसमें थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल (TVC) से चपलता मिलती है.

शौर्य (700 किमी रेंज) एक हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल्स की खूबियां जोड़ती है और न्यूक्लियर सटीकता देती है. ये मिसाइल्स इनर्शियल नेविगेशन, रडार गाइडेंस, और टेरेन मैपिंग से सटीक टारगेट हिट करती हैं.

सरफेस-टू-एयर मिसाइल्स (SAMs)

ये मिसाइल्स हवाई खतरों जैसे एयरक्राफ्ट, ड्रोन, और मिसाइल्स से बचाव करती हैं. आकाश (25-30 किमी रेंज) मल्टीपल टारगेट्स को एक साथ निशाना बना सकती है, जिसमें रडार-गाइडेड सिस्टम और सॉलिड-प्रोपेलेंट मोटर्स हैं. QRSAM (30 किमी रेंज) हाई-वैल्यू एसेट्स की सुरक्षा के लिए रैपिड डिप्लॉयमेंट देता है, जिसमें रडार और इन्फ्रारेड होमिंग है. VL-SRSAM (~80 किमी रेंज) नेवल जहाजों को हवाई खतरों से बचाता है. ये सिस्टम्स इंटेलिजेंट फायर-कंट्रोल अल्गोरिदम और एडवांस्ड रडार से सटीक हिट सुनिश्चित करते हैं.

एयर-टू-एयर मिसाइल्स (AAMs)

अस्त्र Mk-I (~100 किमी रेंज) और अस्त्र Mk-II (130 किमी तक रेंज) हवाई श्रेष्ठता के लिए हैं. ये सॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटर्स, एक्टिव/सेमी-एक्टिव रडार होमिंग, और इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर्स यूज़ करती हैं. मिड-कोर्स अपडेट्स के लिए डेटा लिंक्स और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेज़र्स (ECCM) इन्हें जटिल माहौल में भरोसेमंद बनाते हैं.

एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स (ATGMs)

नाग (10 किमी रेंज) एक फायर-एंड-फॉरगेट, टॉप-अटैक मिसाइल है. HELINA, SANT, और MPATGM (2-20 किमी रेंज) हेलिकॉप्टर्स और इन्फैंट्री लॉन्चर्स से यूज़ हो सकते हैं. ये इमेजिंग इन्फ्रारेड गाइडेंस, लेज़र टारगेटिंग, और टैंडम वॉरहेड्स यूज़ करते हैं, जो रिएक्टिव आर्मर को भेद सकते हैं.

लॉन्ग-रेंज बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल्स (1,000+ किमी)

अग्नि सीरीज़ में अग्नि-I (700 किमी) से अग्नि-V (5,500+ किमी) तक शामिल हैं, जिसमें अग्नि-V एक ICBM है. ये सॉलिड/लिक्विड प्रोपल्शन, इनर्शियल नेविगेशन, GPS, और टर्मिनल गाइडेंस यूज़ करते हैं. निर्भय सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल (1,000-1,500 किमी रेंज) टेरेन-हगिंग फ्लाइट प्रोफाइल, न्यूक्लियर पेलोड, और मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्च सपोर्ट देती है. फ्यूचर हाइपरसोनिक्स के लिए स्क्रैमजेट टेक्नोलॉजी भी डेवलप हो रही है.

सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल्स (SLBMs)

K-15 (सागरिका) (750 किमी), K-4 (3,500 किमी), K-5 (5,000-6,000 किमी), और K-6 (6,000+ किमी) अरिहंत-क्लास सबमरीन्स से लॉन्च होती हैं. ये कोल्ड लॉन्च सिस्टम यूज़ करती हैं, जिसमें प्रेशराइज़्ड गैस मिसाइल को बाहर निकालती है. सॉलिड-प्रोपेलेंट बूस्टर्स, इनर्शियल/सैटेलाइट नेविगेशन, और मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल्स (MIRVs) इन्हें मल्टी-टारगेट अटैक के लिए सक्षम बनाते हैं.

भारत के लिए क्यों जरूरी?

DRDO और इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) ने भारत को आत्मनिर्भर डिफेंस टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ाया है. प्रहार और प्रलय जैसी टैक्टिकल मिसाइल्स बैटलफील्ड में लचीलापन देती हैं, जबकि आकाश और अस्त्र हवाई सुरक्षा को मज़बूत करते हैं.

अग्नि-V और K-4 जैसी मिसाइल्स न्यूक्लियर डिटरेंस को सुनिश्चित करती हैं. इनर्शियल, रडार, और इन्फ्रारेड गाइडेंस, सॉलिड/लिक्विड प्रोपल्शन, और MIRVs जैसे फीचर्स सटीकता और सरवाइवेबिलिटी बढ़ाते हैं. 2016 में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में शामिल होने और ब्रह्मोस जैसे कोलैबोरेशन्स ने भारत की ग्लोबल डिफेंस पोज़िशन को मज़बूत किया है.

भारत का मिसाइल पोर्टफोलियो टैक्टिकल से ICBMs तक उसकी टेक्नोलॉजिकल ताकत और स्ट्रैटेजिक विजन को दिखाता है. 2025-26 के लिए भारी बजट, DRDO की R&D, और स्वदेशी डेवलपमेंट भारत को डिफेंस में और मज़बूत कर रहे हैं. ये मिसाइल्स न सिर्फ खतरों को रोकती हैं, बल्कि भारत को ग्लोबल सिक्योरिटी में अहम प्लेयर बनाती हैं.

यह भी पढ़ें: हर साल AC सर्विसिंग करवाते वक्त चेक करें ये 8 चीजें, कोई नहीं बना पाएगा बेवकूफ, मैकेनिक नहीं चाहता सबको पता चले ये बात!

Sudhanshu Shubham

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile

Digit.in
Logo
Digit.in
Logo