मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कंप्यूटर इंटरफेस बनाया है जो यूजर के मन में सोचे शब्दों को बिना सुने चेहरों से ही पढ़कर लिख लेता है।
मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कंप्यूटर इंटरफेस बनाया है जो यूजर के मन में सोचे शब्दों को बिना सुने चेहरों से ही पढ़कर लिख लेता है। शोधकर्ताओं में दो भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं। डिवाइस में लगे इलेक्ट्रोड यूजर के जबरे और चेहरे से न्यूरोमस्क्युलर सिगनल के जरिए पढ़ लेता है। दरअसल, मन में सोचे शब्दों का आंतरिक उच्चारण करने में जबरे का इस्तेमाल होता है। लेकिन मानव की आख से इसका पता नहीं चल पाता है।
सिस्टम में एक पहनने वाली डिवाइस और उससे जुड़ा कंप्यूटर सिस्टम होते हैं।
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ये संकेत मशीन लर्निग (एमएल) सिस्टम को मिलते हैं जिसे खासतौर से शब्दों के साथ विशेष संकेत से परस्पर जुड़ने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
एमआईटी में मीडिया लैब में ग्रैजुएशन के छात्र अर्नव कपूर ने बताया, "अभिप्रेरणा एक इंटेलीजेंस ऑमेंटेशन (आईए) डिवाइस बनाने की थी। हमारी संकल्पना यह थी कि क्या हमारे पास एक ऐसा कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म होगा ज्यादा आंतरिक होगा, मतलब मानव और मशीन कहीं मिलकर एक हो जाएगा और हमारी अनुभूति का आंतरिक विस्तार की तरह अनुभव करेगा।"
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कपूर ने कहा, "हम आंकड़ा जुटाने में लगे हैं और नतीजे अच्छे मिल रहे हैं। मेरा मानना है कि हम आगे पूरी बातचीत के लक्ष्य हो हासिल कर लेंगे।"