ये है चाईनीज़ और नॉन-चाईनीज़ मोबाइल फोंस के बीच का सबसे बड़ा अंतर

ये है चाईनीज़ और नॉन-चाईनीज़ मोबाइल फोंस के बीच का सबसे बड़ा अंतर
HIGHLIGHTS

क्या आपके फोन का डाटा चुराते हैं चीनी स्मार्टफोंस?

एक चीनी सॉफ्टवेयर किन सर्वर पर सेंड करता है आपका डाटा!

चीनी फोंस कैसे रखते हैं आपके डाटा पर नजर?

देश में जिस तरह का माहौल बना हुआ है, उसे देखकर सभी भारतीयों ने अब चाईनीज़ प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। हमने अपने 20 सैनिकों को चीन के साथ लद्दाख की गलवान घाटी में खो दिया है। इसे लेकर देश में आक्रोश है। इसी कारण अप चारों और देख रहे है कि चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार किया जा रहा है, इस लिस्ट में स्मार्टफोंस मुख्य तौर पर शामिल हैं, हालाँकि हम इस बारे में नहीं जानते है कि आखिर चीनी और नॉन-चीनी स्मार्टफोन या मोबाइल फोन में क्या फर्क होता है। आज हम आपके सामने इसी फर्क को रखने वाले हैं, और आपको बताने वाले हैं कि आखिर एक चाईनीज़ और नॉन-चाईनीज़ मोबाइल फोन में मोटे तौर पर क्या अंतर होता है। आइये शुरू करते हैं और जानते हैं इस बड़े अंतर के बारे में, इसके अलावा यह भी जानने वाले हैं कि क्या चीनी स्मार्टफोंस का इस्तेमाल हमारे लिए परेशानी का सबब बन सकता है? 

आपको बता देते हैं कि अभी हाल ही में 30 अप्रैल 2020 को Forbes में एक रिपोर्ट सामने आई थी, इस रिपोर्ट में साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर Gabi Cirlig ने दुनिया को बताया कि  Xiaomi की ओर से इस्तेमाल किया जा रहा हर एक स्मार्टफोन बड़े पैमाने पर यूजर डाटा को जिसमें सभी तह का डाटा शामिल है, ब्राउज़िंग डाटा आदि को अपने सर्वर पर सेव करता है, यह डाटा सर्वर पर निरंतर सेव होता रहता है। अब आपको देखना होगा कि आखिर इस सर्वर को कौन चला रहा है, आपको बता देते हैं कि इस सर्वर को चीन में Chinese कंपनी Alibaba चला रही है, जिसे Xiaomi की ओर से किराए पर लिया गया है।

अब अगर आप किसी भी Xiaomi मोबाइल फोन में किसी भी प्रकार से कुछ गतिविधि करते हैं तो आपका डाटा इस सर्वर पर चला जाता है। इसमें आपके बैंक से जुड़े डिटेल्स हो सकते हैं, आपके पर्सनल फोटो सकते हैं, आपके कॉन्टेक्ट आदि की डिटेल्स हो सकती हैं। आपका पूरा का पूरा ब्राउज़िंग डाटा भी आपके फोन में ही होता है। इसका मतलब है कि आप इंटरनेट पर जो कुछ भी सर्च करते हैं वह डाटा सेव हो रहा है। अब यह आपके लिए कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाज़ा आप अपने आप ही लगा सकते हैं। 

 एक घटना मुझे और या आ जाती है, जिसे मैं आपके साथ यहाँ शेयर करना चाहता हूँ, अभी कुछ दिनों पहले ही सामने आया था कि Vivo के कुछ फोंस एक ही IMEI नंबर पर चल रहे हैं। इसे देखते हुए जून महीने में मेरठ (Uttar Pradesh) की पुलिस की ओर से Vivo को इस बारे में नोटिस भी भेजा था। अब जहां हर एक फोन का IMEI नंबर अलग होता है, तो लगभग Rs 13,500 के आसपास के Vivo Phones का एक ही IMEI पर चलना बड़े ही ज्यादा सवाल खड़े करता है। इस तरह की घटनाओं से कहीं न कहीं हमें चीन की चालाकी का पता चलता है। इसी कारण हमें इस बात की कोशिश करनी होती, या कोशिश करनी चाहिए कि हम कहीं न कहीं चीनी प्रोडक्ट्स से दूरी बनाये रखते हैं तो ही हम सुरक्षित रह सकते हैं। इसका एक बड़ा कारण है जिसे हम नीचे समझने वाले हैं। 

फोन मात्र एक फोन नहीं होता है!

असल में अगर हम समझना चाहते हैं कि आखिर चीनी स्मार्टफोन्स किस तरह से हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं तो हमें एक बात को बड़ी बारीकी से समझना होगा कि एक स्मार्टफोन या एक फोन असल में मात्र एक फोन ही नहीं होता है। इसे सर्वेलांस का एक सबसे बढ़िया और सुगम डिवाइस कहा जा सकता है, क्योंकि यह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का एक मिश्रण होता है। अर्थात् आसान शब्दों में कहा जा सकता है कि एक स्मार्टफोन सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के मिश्रण से निर्मित होता है। एक स्मार्टफोन को लेकर ऐसा भी कहा जा सकता है कि यह किसी पर भी नजर रखने का एक महत्त्वपूर्ण साधन हो सकता है। इसके माध्यम से आप किसी पर भी नजर रख सकते हैं। 

इससे भी आसान शब्दों में कहें तो एक स्मार्टफोन को चलाने के लिए उसमें हार्डवेयर यानी तारों के अलावा सर्किट आदि की तो जरूरत होती ही है लेकिन इसे सही प्रकार से काम करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है, जो इस बात को सुनिश्चित करता है कि आखिर एक स्मार्टफोन काम कैसे करेगा। यह सॉफ्टवेयर एक कंप्यूटर की भाषा होती है। यानी कंप्यूटर जिस भाषा को समझा है उसे (010101) बाइनरी भाषा कहा जाता है, कंप्यूटर ABCD को नहीं समझता है। जो लोग कंप्यूटर को पढ़ चुके हैं, वह इस बारे में आसानी से समझ जाने वाले हैं। 

अब जो भी गतिविधि हम एक स्मार्टफोन में करते हैं, वह उसे अपने कोड में बदल लेता है और फिर वैसे ही काम करता है, जैसे अगर आप फिंगरप्रिंट पर ऊँगली रखते हैं तो आपका फोन ओपन हो जाता है, यह कैसे हुआ यह एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से हुआ जो इस फोन में मौजूद है, या फिर कैमरा का बटन दबाने से कैमरा अपने आप ही काम करना शुरू कर देता है। इन सबके पीछे सॉफ्टवेयर ही होता है. स्मार्टफोंस में UI को अगर आपने ध्यान से देखा होगा तो आपको यह समझ आ गया होगा कि हर एक स्मार्टफोन में उसका यूजर इंटरफ़ेस अलग होता है। सभी स्मार्टफोंस देखने में चाहे एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन सभी में फीचर्स अलग अलग होते हैं। जो इन्हें एक दूसरे से अलग बनाते हैं।  

कैसे डाटा चुराते हैं ये सॉफ्टवेयर 

मान कर चलिए आपके स्मार्टफोन में एक फिंगरप्रिंट सेंसर है। आप इसे हमेशा से ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर आपके फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल यह कैसे करता है। क्या कहीं यह आपका फिंगरप्रिंट चुरा तो नहीं रहा है। इस बारे में हमें बिलकुल भी खबर नहीं होती है। हम बस इतना ही जानते हैं कि इस बटन से हमारा फिंगरप्रिंट लेकर हमारा फोन अनलॉक हो जाता है, इसके अलावा हम कुछ भी नहीं जानते हैं। इसके अलावा यह हमारे किस डाटा को कैसे इस्तेमाल करने वाला है, इसके बारे में भी हमें कोई जानकारी नहीं होती है, क्योंकि इसमें सब कंप्यूटर की भाषा में लिखा होता है, जिसे आसानी से कोई भी नहीं समझ सकता है। असल में एक स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति तो कभी भी इस बात पर ध्यान ही नहीं देता है। क्या आपने कभी इसपर ध्यान दिया है? 

आपको बता देते हैं कि कंप्यूटर की भाषा कोड में काम करती है, जैसे हमने आपको बताया है। अब ऐसे में आपकी बिना जानकारी के बिना ही यह कोड्स आपके फोन में काम करते हैं, इनका काम निरंतर जारी रहता है, आप चाहे स्मार्टफोन को इस्तेमाल कर रहे हों या नहीं। आपकी जानकारी के बिना आपके फोन का कैमरा भी ऑन किया जा सकता है। इसके अलावा Mic को भी ऑन किया जा सकता है। आपकी लोकेशन पर नजर रखी जा सकती है, इसे कभी भी ऑन किया जा सकता है। 

आपको लोकेशन को ट्रेस किया जा सकता है। आपकी जानकारी के बिना आपकी फोटो, कॉन्टेक्ट डिटेल्स, ईमेल आईडी पासवर्ड, आपका पर्सनल डाटा आपके फोन का सॉफ्टवेयर कभी भी इस सर्वर पर भेज सकता है। इसे डिजाईन ही इस तरह से किया जाता है। यानी ऐसे भी कई कोड्स हो सकते है, जो आपकी जानकारी के बिना आपके फोन में पहले से ही मौजूद होते हैं। इससे आपको बड़ा नुकसान हो सकता है। 

उदाहरण के लिए आपको बता देते हैं कि कुछ समय पहले एक वायरस सभी को परेशान कर रहा था, इस वायरस को जेरुसलेम नाम से जाना जाता था, इस वायरस को Friday The 13 भी कहते हैं। क्योंकि किसी भी 13 तारिख को जिस दिन शुक्रवार हो, वो वायरस अपने आप एक्टिवेट हो जाता था। इसका मतलब है कि आपके कंप्यूटर में यह वायरस मौजूद था लेकिन आपको इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी। लेकिन यह अपने आप ही अपने निर्धारित दिन पर काम करना शुरू कर दिया करता था।

इसी को देखते हुए हमारे फोन में भी कई ऐसे कोड्स हो सकते हैं, जो हमें बिना जानकारी के हमारे फोन में ही मौजूद हैं। यह हमें इनके जरूरत के हिसाब से नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालाँकि ऐसा नहीं है कि सभी फोंस में इस तरह के कोड्स हो सकते हैं। आपको बता देते है कि हमने बाजार में उपलब्ध स्मार्टफोंस को यहाँ दो अलग अलग श्रेणी में बांटा है। एक श्रेणी चीनी सॉफ्टवेयर से से लैस स्मार्टफोंस आते हैं दूसरे श्रेणी में हमने ऐसे फोंस को रखा है जो चीनी सॉफ्टवेयर के साथ नहीं आते हैं। इसलिए जो लोग ये समझते हैं कि एक सॉफ्टवेयर क्या कर सकता है? वो सभी उसी फ़ोन को प्रयोग करने की सलाह दे रहे हैं जिनमें सॉफ्टवेयर chinese कंपनी की ओर से नहीं डाला गया है। जैसे कि सैमसंग, मोटोरोला, नोकिया इत्यादि। ये फ़ोन कम्पनियाँ भारतीय भी नहीं हैं, लेकिन चाईनीज़ भी नहीं हैं। यहाँ हम आपको बता रहे हैं कुछ सबसे बेहतरीन चाईनीज़ स्मार्टफोंस के अल्टरनेटिव्स के बारे में…! 

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