Starlink भारत में सस्ती सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने को तैयार? इतने रुपए में लॉन्च कर सकती है प्लांस

HIGHLIGHTS

भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर Starlink द्वारा जल्द ही अपनी सेवाएं लॉन्च करने की संभावना है।

इसका उद्देश्य कम समय में यूजर बेस को तेज़ी से बढ़ाकर 1 करोड़ तक पहुंचाना है।

भारत में Starlink के बाजार विस्तार में सैटेलाइट क्षमता की सीमाएं एक बड़ी बाधा बन सकती हैं।

Starlink भारत में सस्ती सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने को तैयार? इतने रुपए में लॉन्च कर सकती है प्लांस

भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स, खास तौर से Starlink, द्वारा जल्द ही अपनी सेवाएं लॉन्च करने की संभावना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये कंपनियां अनलिमिटेड डेटा प्लान के लिए हर महीने $10 (लगभग ₹840) से कम की शुरुआती कीमत पर प्लांस लॉन्च कर सकती हैं। इसका उद्देश्य कम समय में यूजर बेस को तेज़ी से बढ़ाकर 1 करोड़ तक पहुंचाना है, ताकि भारी निवेश और स्पेक्ट्रम लागत को बड़े ग्राहक बेस के जरिए संतुलित किया जा सके।

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TRAI के सैटकॉम सेवाओं के लिए रेगुलेशंस

टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने शहरी ग्राहकों के लिए हर महीने से हर महीने अतिरिक्त ₹500 शुल्क लेने की सिफारिश की है। हालांकि, एनालिस्ट्स का मानना है कि इस फैसले से Starlink जैसी बड़ी और आर्थिक रूप से मजबूत कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उनके अनुसार, ऐसे बड़ी पूंजी वाले खिलाड़ी इस अतिरिक्त लागत को आसानी से झेल सकते हैं और अपनी सेवाएं जारी रखेंगे।

TRAI ने इसके साथ-साथ 4% समायोजित सकल राजस्व (AGR) शुल्क और कम से कम ₹3,500 प्रति MHz सालाना स्पेक्ट्रम शुल्क का भी प्रस्ताव रखा है। वाणिज्यिक सैटकॉम सेवाओं पर 8% लाइसेंस शुल्क का भी प्रस्ताव है। हालांकि, इन सिफारिशों को अभी सरकार की मंजूरी मिलना बाकी है।

कम कीमत, ज़्यादा ग्राहक

ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म Analysys Mason के साझेदार अश्विंदर सेठी ने कहा कि, “हाई स्पेक्ट्रम और लाइसेंस शुल्क के बावजूद सैटकॉम कंपनियां कम कीमतों पर सेवाएं शुरू करेंगी ताकि अधिक यूजर्स को जोड़ा जा सके और बड़े ग्राहक आधार के जरिए पूर्व-लागतों की भरपाई की जा सके।”

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क्षमता सीमाएं बाज़ार पहुंच को कर सकती हैं सीमित

हालांकि, एनालिस्ट्स ने चेतावनी दी है कि भारत में Starlink के बाजार विस्तार में सैटेलाइट क्षमता की सीमाएं एक बड़ी बाधा बन सकती हैं। फिलहाल Starlink के पास लगभग 7,000 सैटेलाइट्स की क्षमता है और दुनिया भर में इसके लगभग 40 लाख ग्राहक हैं। IIFL Research के अनुसार, अगर Starlink 18,000 सैटेलाइट्स तक पहुंच भी जाता है, तब भी वह भारत में FY30 तक केवल 15 लाख ग्राहकों को ही सेवाएं दे पाएगा

यह आंकलन इस आधार पर किया गया है कि किसी भी समय वैश्विक सैटेलाइट बेड़े का केवल 0.7% से 0.8% हिस्सा ही भारत के क्षेत्र को कवर करेगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि Starlink ने क्षमता की सीमा के कारण अमेरिका और अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में समय-समय पर नई मेंबरशिप लेना बंद कर दिया था।

IIFL Research का कहना है कि “यदि क्षमता की यह चुनौती बनी रहती है, तो कम कीमतों के जरिए यूजर्स जोड़ने की स्ट्रैटजी उतनी प्रभावी नहीं हो पाएगी।” JM Financial की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा कीमतों पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड, पारंपरिक होम ब्रॉडबैंड सेवाओं की तुलना में 7 से 18 गुना ज्यादा महंगा है।

अगर Starlink और अन्य सैटकॉम कंपनियां भारत में इन कीमतों और चुनौतियों के बीच सफल होती हैं, तो यह देश के दूरदराज़ क्षेत्रों तक डिजिटल कनेक्टिविटी लाने में एक बड़ा कदम हो सकता है।

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Faiza Parveen

Faiza Parveen

फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं। View Full Profile

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