भारत में ये है YouTubers का गांव, बच्चे से बूढ़े तक कैमरा पकड़ बनाते हैं वीडियो, जानें कितनी हो जाती है कमाई
डिजिटल कंटेंट क्रिएशन लगातार बढ़ रहा है. इससे रोजगार के अवसर भी काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. लोग कंटेंट क्रिएट करके आसानी अच्छे पैसे कमा सकते हैं. YouTube और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स क्रिएटिविटी का केंद्र बन गए हैं. इन प्लेटफॉर्म्स पर रील्स और वायरल वीडियो पोस्ट करना आजकल आम बात हो गई है.
Surveyइस ट्रेंड ने कई लोगों को रातोरात स्टार बना दिया. इससे उनको नाम और पैसे दोनों मिले. यह डिजिटल युग और कंटेंट बनाने का हुनर हर तरह के लोगों को अपनी ओर खींच रहा है. लेकिन, हम आपको यहां पर आपको भारत के एक अनोखे गांव के बारे में बताने वाले हैं. इसको YouTube Village of India भी कहा जाता है.
Better India की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह YouTubers का गांव छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से बस एक घंटे की ड्राइव पर है. इस गांव की आबादी लगभग 4 हजार के आसपास है. जिसमें से 1000 से ज्यादा लोग YouTube के लिए कंटेंट बना रहे हैं. यह गांव शुरू से ऐसा नहीं था.
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तुलसी गांव के डिजिटल यात्रा की शुरुआत साल 2016 से हुई. गांव के दो लोग जय और ज्ञानेंद्र शुक्ला—ने YouTube वीडियो बनाने की ठानी. जय एक टीचर थे और ज्ञानेंद्र एक नेटवर्क इंजीनियर रह चुके थे. हालांकि, इन दोनों को वीडियो एडिटिंग या डिजिटल प्रोडक्शन का कोई अनुभव नहीं था.
Better India को उन्होंने कहा कि वे बस कुछ मजेदार बनाना चाहते थे और YouTube पर डालना चाहते थे. कॉपीराइट इश्यूज और टेक्निकल दिक्कतों के बावजूद, दोनों ने हार नहीं मानी. फिर 2018 में उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने अपना चैनल ‘Being Chhattisgarhiya’ लॉन्च किया. जो जल्द ही हजारों सब्सक्राइबर्स तक पहुंच गया.
इस चैनल से उन्हें अच्छी कमाई होने लगी. उनकी कामयाबी ने गांव के बाकी लोगों को भी YouTube की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित किया. आज तुलसी गांव में आप कहीं भी चलें, आपको डांस परफॉर्मेंस, कॉमेडी स्किट्स, और DIY वीडियो शूट करते लोग मिल जाएंगे.
इन कंटेंट क्रिएटर्स में क्या है खास?
Better India के मुताबिक, तुलसी के कंटेंट क्रिएटर्स एक खास सिद्धांत पर चलते हैं—उनके सारे वीडियो फैमिली-फ्रेंडली होने चाहिए. इनका कंटेंट अक्सर ट्रेडिशनल थीम्स को आज के नजरिए से दिखाता है, जैसे त्योहार और सांस्कृतिक रिवाज.
ज्ञानेंद्र कहते हैं, “हम युवाओं को दिखाना चाहते हैं कि पहले त्योहार और परंपराएं कैसे मनाई जाती थीं, ताकि वो इन्हें आगे ले जाएं.” यहां कंटेंट क्रिएशन अकेले का काम नहीं है. लोग आपस में आइडियाज शेयर करते हैं, स्क्रिप्ट, एक्टिंग, और सिनेमैटोग्राफी पर चर्चा करते हैं, और लोकल लोगों को प्रोडक्शन में शामिल करते हैं.
शुरुआती एक्टर्स गांव की रामलीला मंडलियों से आए थे. लेकिन अब नई जेनरेशन के एक्टर्स भी तैयार हो रहे हैं. अभी छत्तीसगढ़ के तुलसी गांव में करीब 40 एक्टिव YouTube चैनल्स हैं और इनमें से कई को अच्छी-खासी पहचान मिल रही है.
‘Back Benchers Creation’ (24,800+ सब्सक्राइबर्स) और ‘Nimga Chhattisgadhiya’ (9,200+ सब्सक्राइबर्स) जैसे चैनल्स राज्य में पॉपुलर हैं. ज्यादातर चैनल्स YouTube ऐड रेवेन्यू से हर महीने 20,000 से 40,000 रुपये कमाते हैं. कुछ क्रिएटर्स को छोटे-मोटे विज्ञापन और प्रोडक्ट एंडोर्समेंट के कॉन्ट्रैक्ट भी मिलने लगे हैं.
प्रशासन का भी मिल रहा साथ
तुलसी के इस टैलेंट को देखते हुए रायपुर जिला प्रशासन भी आगे आया है. सर्वेश्वर भूरे ने Money Control को बताया कि इन क्रिएटर्स के स्किल्स निखरें और उनकी क्रिएटिविटी का पूरा इस्तेमाल हो इसके लिए Hummer Flix नाम का छत्तीसगढ़ का पहला हाई-टेक स्टूडियो बनाया गया है. यह खासतौर पर तुलसी के क्रिएटर्स के लिए है. प्रशासन का प्लान है कि स्टूडियो को बड़ा किया जाए और प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए एक इंस्टीट्यूट भी खोला जाए.
Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile