Airtel के 36 करोड़ यूजर्स को फ्री की रेवड़ी बाँट रहा ‘Perplexity’, डेटा चुराने की मुहीम तो नहीं?
दुनिया भर के लोगों के साथ साथ भारत के लोगों पर भी यह बात लागू होती है, सभी को फ्री की रेवड़ी खूब भाति है. फ्री शब्द को सुनते ही उसकी और सभी आकर्षित हो जाते हैं. फ्री में बेशक 10 रुपये का साबुन ही दिया जा रहा हो, सभी लोग बिना कुछ सोचे फ्री आइटम के चक्कर में जिस चीज़ के साथ यह फ्री सामान दिया जा रहा है, उसके बारे में कुछ सोचते ही नहीं है. बस उसे खरीदने के लिए लाइन में लग जाते हैं. बेशक वो चीज़ किसी भी काम की न हो, इसके नुक्सान ही क्यों न उठाने पड़ें. किसी भी फ्री ऑफर के पीछे की हकीकत के बारे में शायद ही कोई सोचता है. इसी कारण कहीं न कहीं आमजन किसी न किसी ऑफर में फंसता जा रहा है.
Surveyएक बड़ा सवाल वो भी AI के इस युग में यह खडा हो जाता है कि आखिर 17000 रुपये के सालाना प्राइस में आने वाला Perplexity Pro Subscription फ्री में किस लिए एयरटेल के यूजर्स को दिया जा रहा है? क्या इसके पीछे कंपनी की कोई गहरी चाल है? दूसरा और बड़ा सवाल यह भी है कि क्या 36 करोड़ यूजर्स का डेटा कहीं किसी बिजनेस के निशाने पर तो नहीं है?
Perplexity और Airtel की डील: कहीं कोई चाल तो नहीं?
इन दिनों देखने में आ रहा है कि एयरटेल की ओर से उसके 36 करोड़ यूजर्स को 17000 रुपये की Perplexity Pro सेवा फ्री में ऑफर की जा रही है. Perplexity Pro को ChatGPT और अन्य AI प्लेटफॉर्म्स का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी कहा जा सकता है. हालाँकि, इसके टर्म और कंडीशंस में जो कुछ बातें छिपी हो सकती हैं, वह चिंता का एक बड़ा विषय भी है.
असल में, यह आपके द्वारा पूछे जाने वाले सवाल, आपकी ब्राउज़िंग हैबिट्स, के साथ साथ आपकी लोकेशन और अकाउंट आदि जैसी तमाम जानकारी AI Models के पास बड़ी आसानी से पहुँच सकती है. इसका मतलब अब यह भी है कि Airtel के पूरे के पूरे 36 करोड़ यूजर्स का यह डेटा Perplexity के रिकॉर्ड पहुँचने वाला है.

क्या कहते हैं साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट?
साइबरक्राइम इन्वेस्टिगेटर और नेशनल सिक्योरिटी एक्सपर्ट अमित दुबे इस पूरे मामले को महज फ्री सब्सक्रिप्शन का लालच नहीं, कुछ और ही मानते हैं. उनका साफ कहना है-
जो चीज़ आपको इस समय तोहफ़ा लग रही है, वह असल में एक सौदा है, जिसमें आपकी आपका पर्सनल डेटा दांव पर लगा है.
अमित दुबे कहते हैं कि-
इस तरह के मॉडल से आप जो भी सवाल पूछते हैं, उसे रिकॉर्ड किया जाता है, उससे सीखा जाता है, और उसी के आधार पर आपकी डिजिटल आदतों और व्यवहार का प्रोफाइल तैयार किया जाता है.
यहाँ अमित दुबे इसे एक कैच भी बताते हैं, वो कहते हैं कि-
ये सब कुछ जो हो रहा है, वह अक्सर बिना आपकी जानकारी और सहमती के होता है.
कई बार ऐसा समझा जाता है कि कंपनी केवल विज्ञापन दिखाने के लिए डेटा को ले रही है लेकिन अमित दुबे ऐसा नहीं मानते, वह कहते हैं कि-
यह केवल विज्ञापन आदि की बात नहीं है, यह मैनिपुलेशन (मनोवैज्ञानिक प्रभाव), निगरानी और संभावित आपराधिक उपयोग तक जा सकता है.
आगे वह कहते हैं कि-
अगर यह डेटा गलत हाथों में चला जाए, तो इसका इस्तेमाल आपको टारगेट करने, ठगने या मानसिक रूप से प्रभावित करने तक के लिए किया जा सकता है.
अमित दुबे का मानना है कि-
फ्री AI वास्तव में फ्री नहीं है, इसकी कीमत होती है आपकी प्राइवेसी, आपकी सुरक्षा, और कभी-कभी आपकी मानसिक शांति.
Facebook Users Data Sale Case: कहीं इतिहास अपने आपको दोहरा तो नहीं रहा?
Facebook-Cambridge Analytica डेटा स्कैंडल को कौन भूल सकता है? लाखों भारतीय यूजर्स के डेटा को फ्री ऐप्स और क्विज के बहाने पहले इकट्ठा किया गया और फिर उस डेटा का व्यावसायिक इस्तेमाल हुआ। ऐसे में, अगर Perplexity Pro को लेकर भी ऐसी संभावना जताई जा रही तो ऐसा माना जा सकता है कि शायद इतिहास फिर से अपने आप को दोहराने की दिशा में बढ़ रहा है?
ChatGPT Ghibli से भी सबक लेना जरुरी
कुछ वक्त पहले ChatGPT पर ‘Studio Ghibli’ AI फीचर ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी थी। लाखों लोगों ने अपनी तस्वीरें अपलोड कर एनिमे लुक्स बनवाए और अनजाने में अपने फेस डेटा को AI मॉडल्स की ट्रेनिंग के लिए मुफ्त में दे डाला। यह डेटा जो यहाँ इकठ्ठा किया गया था, इसमें भी किसी की सहमति नहीं ली गई थी, केवल और केवल एक जाल में यूजर्स को फंसा कर, उन्हें बेवकूफ बनाकर, उनके डेटा पर सेंध लगाईं गई थी. इसे लेकर भी एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी थी. जानकारों में कहा था कि यूजर्स बिना सोचे-समझे अपने निजी डेटा को AI कंपनियों के हवाले कर रहे हैं।
Airtel-Perplexity की डील: Airtel के लिए वरदान?
हालांकि हर एक्सपर्ट इस डील को निगेटिव नजर से नहीं देख रहा। Prabhu Ram, VP – Industry Research Group (IRG), CyberMedia Research (CMR)- कहते हैं कि-
Airtel के 360 मिलियन (36 करोड़) यूज़र्स के साथ, Perplexity के पास अब मौका है कि वो धीरे-धीरे यूजर बेस को सालों में बढ़ाने के बजाये डायरेक्ट ही यूजर्स के एक बड़े झूंड के पास पहुँच चुका है. इतने बड़े यूज़र बेस से उसे वो ज़रूरी जानकारी और इनसाइट्स मिलेंगी, जिनकी मदद से वो अपने AI मॉडल्स को भारत की अलग-अलग भाषाओं और ज़रूरतों के हिसाब से बेहतर बना सकता है.
आगे Prabhu Ram कहते हैं कि-
यह साझेदारी दोनों कंपनियों के लिए कमाई के कई रास्ते भी खोलने वाली है, चाहे वो प्रीमियम AI सेवाओं के ज़रिए हो, अलग से सब्सक्रिप्शन देकर, Airtel के प्लान्स में AI को ऐड करके, या फिर नए ऐड्स और बिज़नेस के मौकों के ज़रिए ही क्यों न हो.
Prabhu Ram इस साझेदारी को एयरटेल के लिए भी के मौके के साथ साथ एक वरदान के तौर पर देख रहे हैं, वह कहते हैं कि-
Airtelके लिए यह साझेदारी, खुद को एक “AI-फर्स्ट” यानी तकनीक को आगे रखने वाली टेलीकॉम कंपनी के रूप में आगे आने का बेहतरीन मौक़ा है.
इसके अलावा Prabhu Ram यह भी कहते हैं कि-
इससे एयरटेल न सिर्फ नए यूजर्स को अपने साथ जोड़ सकता है, बल्कि वर्तमान यूज़र्स को भी अपने साथ लम्बे समय तक बनाये रख सकता है. इस कदम से प्रतिस्पर्धी बाज़ार में एयरटेल की एक अलग ही पहचान भी बनने वाली है.
Airtel यूजर्स को खुद से करने चाहिए कुछ सवाल?
हो सकता है कि फ्री की रेवड़ी सभी के लिए पसंदीदा चीज़ हो, लेकिन भारत जैसे 146.39 करोड़ की जनसँख्या वाले देश में जहां डेटा की कोई कमी न हो, कोई भी चीज़ न के भाव में (फ्री में) देने के पीछे एक बड़ी साजिश या मुहीम हो सकती है. केवल और केवल इसकी पहचान करने की आवश्यकता है. ऐसे में एयरटेल के जरिये, या किसी भी प्लेटफार्म, या किसी भी माध्यम से कोई फ्री एक्सेस देखकर ललचाने की बजाये, खासकर जब वह AI से जुड़ा हो, 2 मिनट के लिए विचार कर लेना बेहद जरुरी हो जाता है. Airtel के यूजर्स को इस समय चाहिए कि वह अपने आपसे कुछ सवाल जरूर कर लें.
- क्या मैंने इसके सभी Terms & Conditions ठीक से पढ़े हैं?
- मेरा डेटा कितने वक्त तक और किस मकसद से इस्तेमाल किया जाएगा?
- क्या मैं अपने पर्सनल डेटा का एक्सेस प्लेटफार्म को दे रहा हूँ?
- क्या ये प्लेटफॉर्म मेरी सर्च हिस्ट्री और नेटवर्क डेटा किसी और को बेच सकता है?
अगर इन सवालों के जवाब ढूंढ लिए जाते हैं तो फ्री की किसी भी ‘रेवड़ी’ के पीछे छिपे किसी भी जोखिम की पहचान पहले ही की जा सकती है.
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Ashwani Kumar
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