‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’ को सलाम, शोले ही नहीं असरानी की ये Top फिल्में आज भी लोगों को हंसा-हंसा कर देती हैं लोटपोट
“हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं!” – यह एक डायलॉग ही काफी है आपके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए. और जब आप यह सुनते हैं, तो आंखों के सामने सिर्फ एक ही चेहरा आता है, लीजेंड्री एक्टर असरानी (Asrani) का. बॉलीवुड में कॉमेडी किंग तो कई हुए, लेकिन असरानी की बात ही कुछ और थी.
Surveyहालांकि, कल यानी 20 अक्टूबर को उनकी मृत्यु हो गई लेकिन उन्होंने 50 साल से ज्यादा के अपने करियर में 400 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया और यह साबित कर दिया कि फिल्म का हीरो कोई भी हो, असली महफिल तो एक सपोर्टिंग एक्टर भी लूट सकता है. उनकी कमाल की कॉमिक टाइमिंग, चेहरे के अनोखे हाव-भाव और डायलॉग बोलने का अंदाज ऐसा था कि छोटे से छोटा रोल भी यादगार बन जाता था. आइए, आज असरानी के कुछ ऐसे ही 10 सबसे आइकॉनिक किरदारों को याद करते हैं, जिन्होंने हमें पीढ़ियों से हंसाया है.
Sholay, 1975
इस लिस्ट की शुरुआत उस फिल्म के बिना हो ही नहीं सकती, जिसने उन्हें अमर कर दिया. 1975 की ‘शोले’ में असरानी का ‘अंगरेजों के जमाने का जेलर’ का किरदार शायद हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार कॉमिक किरदारों में से एक है.
भले ही फिल्म में वह कुछ ही मिनटों के लिए थे, लेकिन उनका वह हिटलर जैसा लुक, हाथ में छड़ी और बात-बात पर “हैं?” कहने का अंदाज, सब कुछ आइकॉनिक बन गया. उनका डायलॉग, “आधे इधर जाओ, आधे इधर जाओ, और बाकी हमारे साथ आओ” आज 50 साल बाद भी कॉमेडी का मास्टरपीस माना जाता है.
Chupke Chupke, 1975
‘शोले’ वाले साल ही आई ऋषिकेश मुखर्जी की क्लासिक कॉमेडी ‘चुपके चुपके’. इस फिल्म में धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन और ओम प्रकाश जैसे दिग्गज थे, लेकिन असरानी ने अपने विट्टी और क्लेवर किरदार से अलग ही पहचान बनाई. एक फिल्म में इतने सारे कॉमेडियंस के बीच अपनी जगह बनाना असरानी की काबिलियत को दिखाता है.
Amar Akbar Anthony, 1977
मनमोहन देसाई की इस मसाला एंटरटेनर में भी असरानी ने एक यादगार सपोर्टिंग किरदार निभाया, जो फिल्म की एंटरटेनमेंट वैल्यू को और बढ़ा देता है.
Namak Halaal, 1982
80 के दशक में असरानी बॉलीवुड में कॉमिक रिलीफ का दूसरा नाम बन गए थे. ‘नमक हलाल’ जैसी म्यूजिकल-कॉमेडी में उनके मजाकिया हाव-भाव और सिचुएशनल जोक्स ने कई सीन्स को यादगार बना दिया.
Baazigar, 1993
यह असरानी की वर्सेटिलिटी ही थी कि वह ‘बाजीगर’ (1993) जैसी थ्रिलर फिल्म में भी अपनी कॉमेडी का तड़का लगा देते थे. शाहरुख खान की इंटेंस थ्रिलर के बीच उनके कॉमिक पल दर्शकों को थोड़ी राहत देते थे.
Bhool Bhulaiyaa, 2007
लेकिन अगर नई पीढ़ी ने असरानी के जादू को देखा, तो वह थी 2007 की ‘भूल भुलैया’. याद है वह हवेली का स्टाफ मेंबर ‘मुरारी’? ‘हम हैं मुरारी, राम के पुजारी’ और उसका वह डरपोक अंदाज, अक्षय कुमार के साथ उसकी कॉमेडी ने फिल्म में जान डाल दी थी. इस किरदार ने साबित कर दिया कि असरानी की कॉमेडी का कोई जमाना नहीं है, वह हर पीढ़ी के साथ फिट बैठते हैं.
Dhamaal, 2007
उसी साल आई ‘धमाल’ में असरानी ने एक छोटे से रोल में ही कमाल कर दिया था. उनका वह “ट्रिगोमेट्री” वाला सीन और संजय दत्त के साथ उनकी कॉमेडी आज भी मीम्स का हिस्सा है.
Hera Pheri, 2000
‘हेरा फेरी’ जैसी कल्ट कॉमेडी में भी असरानी ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. एक सपोर्टिंग रोल में भी उन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया.
Khatta Meetha, 2010
अक्षय कुमार के साथ उनकी जोड़ी ‘खट्टा मीठा’ में भी जमी. असरानी का चार्म और ह्यूमर इस फैमिली कॉमेडी को और भी मजेदार बना देता है.
Baghban, 2003
हालांकि ‘बागबान’ मुख्य रूप से एक इमोशनल ड्रामा थी, लेकिन कुछ सीन्स में असरानी का हल्का-फुल्का ह्यूमर कहानी में एक गर्मजोशी और अपनापन ले आता था, जो दिखाता है कि वह किसी भी जॉनर में ढल सकते हैं.
Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile