Arattai में WhatsApp का ये वाला फीचर नहीं है मौजूद, जिस वजह से यूजर्स कर रहे विरोध, आसान भाषा में समझ लीजिए कारण
‘मेड इन इंडिया’ WhatsApp का विकल्प, अरट्टई (Arattai) इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है. सरकार के समर्थन के बाद तो मानो इसे पंख ही लग गए हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि WhatsApp को छोड़कर इस नए ऐप पर स्विच करना आपकी प्राइवेसी के लिए कितना सुरक्षित है?
Surveyअरट्टई में वीडियो और वॉयस कॉल्स तो सुरक्षित हैं, लेकिन आपकी चैट्स (मैसेज) नहीं! इसकी सबसे बड़ी वजह है ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ (E2E) की कमी. आइए, जानते हैं कि अरट्टई की यह एक कमी कितनी बड़ी है और क्यों यह आपके लिए एक खतरे की घंटी हो सकती है.
क्या है एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और क्यों है जरूरी?
‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ (E2E) कोई रॉकेट साइंस नहीं, बल्कि आपकी प्राइवेसी का एक डिजिटल ताला है. सोचिए, आप एक खत भेज रहे हैं जो एक ऐसे ताले में बंद है जिसकी चाबी सिर्फ आपके और जिसे आपने खत भेजा है, उसी के पास है. रास्ते में, डाकिया या कोई और उस खत को नहीं पढ़ सकता है. E2E भी ठीक ऐसे ही काम करता है.
जब आप WhatsApp पर कोई मैसेज भेजते हैं, तो वह आपके फोन से निकलते ही एन्क्रिप्ट (एक कोड में बदल) हो जाता है और सिर्फ रिसीवर के फोन पर पहुंचने के बाद ही डिक्रिप्ट (वापस पढ़ने लायक बनता) होता है. इसका मतलब है कि रास्ते में कोई भी यहां तक कि खुद WhatsApp या Meta भी आपके मैसेज को नहीं पढ़ सकता है. यही टेक्नोलॉजी WhatsApp और Signal जैसे प्लेटफॉर्म्स को इतना भरोसेमंद और सुरक्षित बनाती है.
WTF,
— Bharath Sai (@bharathbunny27) October 8, 2025
Don't use #arattai
Straight from horses mouth,
Your messages, personal pics aren't safe.
Govt or zoho can watch them whenever they want pic.twitter.com/LLUjpdmCEK
Arattai में किया है दिक्कत?
Arattai में वॉयस और वीडियो कॉल्स तो पूरी तरह से E2E से सुरक्षित हैं, लेकिन आपकी चैट्स (टेक्स्ट मैसेज) नहीं. इसका सीधा सा मतलब है कि आपके द्वारा भेजे गए मैसेज उतने प्राइवेट नहीं हैं जितने WhatsApp पर होते हैं. सैद्धांतिक रूप से, उन्हें कोई बैड एक्टर (हैकर्स), आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) या यहां तक कि सरकारी एजेंसियां भी बीच में रोककर (intercept) पढ़ सकती हैं. यह एक बहुत बड़ी प्राइवेसी की चिंता है, खासकर जब आप कोई संवेदनशील जानकारी शेयर कर रहे हों.
Zoho’s swadeshi messaging app Arattai has 7M+ downloads, but can it really keep chats private? It lacks default end-to-end encryption and public audits, leaving users unsure how their data is used. “Made in India” should also mean Made for Freedom. pic.twitter.com/vG0w4cQqgh
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) October 11, 2025
कंपनी का क्या है कहना?
Zoho के फाउंडर, श्रीधर वेम्बू, ने 2021 में अरट्टई लॉन्च किया था और उस समय उन्होंने चैट पर E2E की जरूरत महसूस नहीं की थी. लेकिन अब, ऐप के चारों ओर बढ़ती डिमांड और हाइप के साथ, यह महत्वपूर्ण है कि वे जल्द से जल्द चैट्स के लिए E2E लाएं.
कंपनी ने वादा किया है कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2E) पर इंटरनल टेस्टिंग चल रही है और इसे जल्द ही रोल आउट किया जाएगा.
यह बहस सिर्फ अरट्टई तक ही सीमित नहीं है. पश्चिम में, E2E को कमजोर करने के लिए एक कोलाहल है ताकि एक मैसेज में कंटेंट को पढ़ा जा सके, लेकिन WhatsApp और अन्य प्राइवेसी एक्सपर्ट्स स्पष्ट रूप से ऐसे बदलावों के पक्ष में नहीं हैं और यहां तक कि उन्होंने चेतावनी भी दी है कि वे ऐसे क्षेत्रों में काम करना बंद कर देंगे.
ये सभी पहलू यह स्पष्ट करते हैं कि अरट्टई ऐप को उच्चतम स्तर के एन्क्रिप्शन की आवश्यकता है, जिसकी जांच और ऑडिट किया जा सके. जब तक अरट्टई अपने चैट्स पर इस सुरक्षा कवच को नहीं लगाता, तब तक प्राइवेसी के प्रति जागरूक यूजर्स के लिए यह WhatsApp का असली विकल्प नहीं बन पाएगा.
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Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile