ऐप नहीं कर पाएंगे आपको ट्रैक, बस बदल दीजिए ये सेटिंग, बैकग्राउंड में भी कोई डेटा नहीं होगा शेयर, बैटरी भी चलेगी लंबी

ऐप नहीं कर पाएंगे आपको ट्रैक, बस बदल दीजिए ये सेटिंग, बैकग्राउंड में भी कोई डेटा नहीं होगा शेयर, बैटरी भी चलेगी लंबी

कई स्मार्टफोन यूजर्स को यह पता ही नहीं होता कि कुछ ऐप्स उनके फोन की लोकेशन तब भी ट्रैक करती रहती हैं जब वे उन ऐप्स का उपयोग नहीं कर रहे होते. यह न सिर्फ आपकी डिजिटल प्राइवेसी के लिए खतरा है बल्कि फोन की बैटरी लाइफ और डेटा सुरक्षा पर भी असर डालता है. अच्छी बात यह है कि Android और iPhone दोनों में ऐसे बिल्ट-इन फीचर्स मौजूद हैं जिनसे आप यह तय कर सकते हैं कि कौन सी ऐप आपकी लोकेशन तक कब पहुंच सकती है.

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अगर आप नहीं चाहते कि ऐप्स आपकी गतिविधियों को लगातार ट्रैक करें तो इन आसान स्टेप्स का पालन करके इसे पूरी तरह रोक सकते हैं.

इन स्टेप्स को करें फॉलो

Android में Settings में जाकर Location के ऑप्शन पर जाएं. जबकि iPhone में Settings में जाकर Privacy & Security में Location Services के ऑप्शन पर जाएं.

यहां आपको उन सभी ऐप्स की लिस्ट दिखाई देगी जो आपकी लोकेशन तक पहुंच रखती हैं. Android पर हर ऐप के सामने “Allowed all the time”, “Allowed while using” या “Denied” जैसे ऑप्शन होंगे, जबकि iPhone पर यह “Always”, “While Using the App” या “Never” के रूप में दिखेगा.

अब किसी भी ऐप को चुनें और उसकी लोकेशन एक्सेस को सीमित करें. आप चार विकल्पों में से किसी एक को चुन सकते हैं

  • Allow all the time (हमेशा अनुमति दें)
  • Allow only while using the app (केवल ऐप उपयोग के समय)
  • Ask every time (हर बार पूछें)
  • Don’t allow / Never (कभी अनुमति न दें)

अगर आप चाहते हैं कि ऐप्स सिर्फ तब ही लोकेशन इस्तेमाल करें जब आप उन्हें खोलते हैं, तो “Allow only while using” या “Ask every time” चुनना सबसे सुरक्षित विकल्प है. इससे ऐप्स आपके बैकग्राउंड डेटा तक नहीं पहुंच पाएंगी और आपकी रीयल-टाइम लोकेशन का दुरुपयोग नहीं कर सकेंगी.

इसके बाद Precise Location (सटीक लोकेशन) विकल्प को भी जांचें. अगर आप चाहते हैं कि कोई ऐप केवल आपके आस-पास का क्षेत्र ही ट्रैक करे और आपकी सटीक स्थिति नहीं जाने, तो यह फीचर बंद कर दें. इससे ऐप केवल आपके approximate एरिया तक ही सीमित रहेगी, जिससे आपकी लोकेशन प्राइवेसी और बढ़ जाएगी.

ध्यान रखें कि कुछ ऐप्स जैसे मैप्स या डिलीवरी सेवाओं को काम करने के लिए लोकेशन एक्सेस जरूरी होती है. लेकिन फिर भी आप इन्हें सटीक के बजाय अनुमानित लोकेशन देने का विकल्प चुन सकते हैं.

आपको सलाह दी जाती है कि हर दो से तीन हफ्ते में अपने फोन की लोकेशन सेटिंग्स को दोबारा जांचें. कई बार ऐप अपडेट्स के बाद वे फिर से अनुमति मांग सकती हैं या पुराने परमिशन अपने आप वापस एक्टिवेट हो सकते हैं.

ऐप्स की लोकेशन एक्सेस को नियमित रूप से मॉनिटर करना आपके फोन की बैटरी, डेटा और प्राइवेसी तीनों की सुरक्षा करता है. साथ ही, यह आपको उन ऐप्स की पहचान करने में भी मदद करता है जो बिना जरूरत आपकी जानकारी ट्रैक कर रही हैं.

सेफ्टी के लिए जरूर करें ये ऑप्शन एनेबल

टेक विशेषज्ञों के मुताबिक, लोकेशन शेयरिंग को सीमित करना अब सिर्फ सुरक्षा उपाय नहीं बल्कि एक आवश्यक डिजिटल आदत बन गई है. अगर आप चाहें, तो “Use approximate location” या “Limit background tracking” जैसे फीचर्स का प्रयोग करके इसे और नियंत्रित कर सकते हैं.

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Sudhanshu Shubham

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile

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