Bhai Dooj 2025 Wishesh: टॉप-50 यूनिक भाई-दूज विशेज, Facebook-WhatsApp स्टेटस, नोट कर लें तिलक का शुभ मुहूर्त
Bhai Dooj 2025 Wishesh in Hindi: भाई-बहन के प्यार और अटूट बंधन का प्रतीक भाई दूज (Bhai Dooj) का पावन त्योहार आज, 23 अक्टूबर को, पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का यह आखिरी दिन होता है, जिसे ‘भाई टीका’, ‘भाई फोंटा’, ‘भ्रातृ द्वितीया’, या ‘भाऊबीज’ जैसे कई खूबसूरत नामों से भी जाना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं.
SurveyBhai Dooj के अवसर पर आप अपने भाई-बहन को विश भी कर सकते हैं. यहां पर आपको भाई दूज के यूनिक विश बता रहे हैं. इन्हें आप इस्तेमाल कर सकते हैं.
Bhai Dooj 2025 Wishesh in Hindi
बहन की आरती, भाई की मुस्कान,
यही तो है रिश्तों की जान,
इस भाई दूज पर मिले दुआओं का साथ,
सदा बना रहे ये प्यार का नाता।
भाई के माथे पर तिलक सजे,
बहन की आँखों में खुशी बहे,
हर जन्म में मिले ये साथ तुम्हारा,
यही दुआ हर बहन के दिल से रहे।
राखी से बढ़कर ये बंधन खास,
तिलक और मिठाई में छिपा विश्वास,
भाई दूज का ये पावन त्योहार,
लाए जीवन में खुशियों की बहार।
बहन के हाथों तिलक का निशान,
भाई की मुस्कान बने पहचान,
इस रिश्ते की मिठास यूं ही रहे,
सदा जुड़ा रहे ये प्यारा बंधन महान।
भाई की कलाई पर बहन की छाया,
स्नेह और विश्वास का साया,
भाई दूज पर बस यही कामना,
हर दुख से बचे तेरा जीवन साया।
बहन की दुआओं का असर निराला,
भाई की रक्षा का वचन प्यारा,
भाई दूज का ये दिन कहता है,
रिश्तों से बढ़कर नहीं कुछ भी सारा।
तिलक की रेखा में छिपा है प्यार,
मिठास भरे हैं मन के विचार,
भाई दूज का ये पावन पर्व,
रखे सदा अपनों को एकाकार।
बहन की मुस्कान हो जैसे चांद,
भाई का स्नेह बने उसके संग प्राण,
इस भाई दूज पर यही है दुआ,
रहे खुशहाल सदा ये रिश्ता महान।
दूर रहकर भी दिल पास रहे,
प्यार का एहसास हमेशा खास रहे,
भाई दूज पर यही आशीर्वाद,
हर रिश्ता सदा विश्वास रहे।
तिलक की ये रेखा प्रेम की निशानी,
बहन का स्नेह, भाई की कहानी,
भाई दूज का पर्व कहे सदा,
रिश्ता ये है सबसे सुहानी।
बहन की थाली में सजी मिठाई,
दुआओं में उसकी छिपी अच्छाई,
भाई दूज का पर्व लाए संदेश,
स्नेह रहे हर जन्म की कमाई।
भाई की रक्षा का प्रण निभाए,
बहन हर संकट में संग आए,
भाई दूज का ये शुभ दिन,
रिश्तों को और गहराई दिलाए।
इस पावन दिन बहन करे आरती,
भाई का चेहरा चमके सच्ची भक्ति,
हर जन्म में मिले यही साथ,
यही है भाई दूज की शक्ति।
बहन का प्यार अमूल्य अनमोल,
भाई की रक्षा उसका ही गोल,
भाई दूज का पर्व यही बताता,
ये रिश्ता है सबसे निराला रोल।
तिलक का रंग चढ़े माथे पर ऐसे,
खुशियाँ बरसे जीवन में जैसे,
भाई दूज का दिन याद दिलाए,
रिश्तों में सच्चाई कितनी गहरे।
हर बहन की दुआ लगे रंग लाए,
भाई का जीवन खुशहाल बनाए,
भाई दूज पर यही दुआ है मेरी,
हर राह में सफलता मुस्काए।
मिठास हो बातों में, स्नेह निगाहों में,
आशीर्वाद हो हर चाहत में,
भाई दूज पर यही शुभकामना,
प्यार सदा रहे इन निगाहों में।
बहन का तिलक, भाई का साथ,
यही बनता है जीवन का विश्वास,
भाई दूज का ये पावन दिन,
रखे हमेशा दिलों को पास।
रेशमी डोर नहीं, पर प्यार वही,
भावनाओं में सजी एक रीत नई,
भाई दूज का ये प्यारा त्योहार,
लाए खुशियाँ अनगिनत सभी।
तिलक लगाए बहन स्नेह से,
दुआ दे अपने हर प्रेम स्पर्श से,
भाई दूज का पर्व ये कहे,
भाई-बहन का रिश्ता है हृदय के हर्ष से।
दूर रहो या पास, प्यार वही,
भाई दूज में बंधन सच्चा सही,
बहन की दुआ हमेशा संग रहे,
यही तो रिश्ते की सुंदर परिभाषा सही।
बहन का आशीर्वाद बने कवच,
भाई का हौसला बने सब रक्षक,
भाई दूज का ये अनमोल पल,
भर दे जीवन में हर सुख-संपन्न रक्षक।
मिठास बढ़ाए रिश्तों की मिठाई,
तिलक सजाए माथे की राई,
भाई दूज का ये पावन दिन,
स्नेह का पर्व कहे भाई-बहन की भाई।
बहन की थाली सजे स्नेह से,
भाई झुके उसके प्रेम के वेष से,
भाई दूज का ये सुंदर क्षण,
जोड़ता है दो दिल सच्चे समर्पण से।
प्यार की ये निशानी कभी ना मिटे,
भाई की लाज बहन सदा सहे,
भाई दूज का ये अनोखा पर्व,
हर दिल में अपनापन रहे।
तिलक की खुशबू, आरती का प्रकाश,
बहन की दुआएँ, भाई का विश्वास,
यही है भाई दूज का सच्चा एहसास,
जो रखे रिश्तों को सदा खास।
बहन का स्नेह बने जीवन का रंग,
भाई का आशीष बने उसका संग,
भाई दूज का पर्व यही कहे,
प्यार ही है रिश्ते का ढंग।
बहन के बिना जीवन अधूरा,
उसके स्नेह से हर पल पूरा,
भाई दूज पर ये वचन दो,
साथ रहेगा ये रिश्ता भरपूरा।
तिलक की रेखा बोले कहानी,
बहन की मुस्कान सबसे सुहानी,
भाई दूज पर ये शुभ संदेश,
रिश्ते रहें सदा मनमोहनी।
भाई दूज का त्यौहार लाए रोशनी,
बहन के दिल में सजे ख़ुशबू सुहानी,
हर ग़म से रहे तू दूर सदा,
यही दुआ है बहन की मानी।
बहन की थाली में दुआएँ सजी,
भाई की हँसी में खुशियाँ बजी,
भाई दूज का ये सुंदर त्यौहार,
सदा बनाए रिश्तों की लकीर अटूट।
हर रिश्ता फीका पर ये खास,
भाई-बहन का प्रेम निरालापन का आभास,
भाई दूज का ये पर्व सुनाए,
स्नेह का सच्चा इतिहास।
बहन की दुआएँ सदा संग रहें,
भाई की मुस्कान में रंग रहें,
भाई दूज का पर्व यूँ ही मनाएं,
सदा रिश्तों में उमंग रहें।
बहन का आशीष अमूल्य रत्न,
भाई की सुरक्षा उसका सत्कर्म,
भाई दूज पर यही है वचन,
सदा रहे रिश्ते में पवित्र अपनापन।
तिलक लगाए बहन स्नेह से,
भाई झुके आदर के भाव से,
ये भाई दूज का पवित्र मिलन,
सदा रहे प्रेम की छांव से।
बहन की दुआ बने जीवन का गीत,
भाई का प्यार बने अमृत प्रीत,
भाई दूज का ये त्योहार सिखाए,
रिश्तों में सच्चाई की रीत।
बहन की आँखों में चमक हो ऐसी,
भाई की सफलता चमके जैसी,
भाई दूज का ये दिन कहे,
प्रेम की डोर रहे अटूट वैसी।
तिलक का रंग कहे कहानी,
बहन की आरती बने निशानी,
भाई दूज पर यही शुभकामना,
सदा रहे रिश्तों की रवानी।
बहन का हाथ उठे दुआओं में,
भाई की जीत हो हर राहों में,
भाई दूज का ये पावन दिन,
खुशियाँ लाए इन हवाओं में।
भाई के कदमों में हो सफलता,
बहन के जीवन में हो सरलता,
भाई दूज का ये सुंदर पर्व,
लाए प्रेम की नई परिभाषा।
बहन की पूजा, भाई का मान,
स्नेह का रिश्ता, दिल की पहचान,
भाई दूज का ये त्योहार कहे,
प्रेम ही जीवन का सच्चा गान।
बहन की थाली सजे आरती से,
भाई की रक्षा हो समर्पण से,
भाई दूज का ये पर्व बताता,
प्रेम ही जीवन की सच्ची शिक्षा है।
बहन की खुशी में भाई की शान,
भाई के दुख में बहन की जान,
भाई दूज का ये त्योहार कहे,
सदा रहे स्नेह का ये गान।
तिलक की लालिमा कहे कहानी,
बहन की ममता सबसे सुहानी,
भाई दूज का ये दिन सुनाए,
रिश्तों की अमर निशानी।
बहन की मुस्कान में जग सजे,
भाई की जीत में सपने खिले,
भाई दूज का ये शुभ पर्व,
हर दिल में प्रेम के दीप जले।
बहन का प्यार हो जीवन का संग,
भाई की सफलता उसका रंग,
भाई दूज का ये पावन दिन,
लाए खुशियों का अनोखा प्रसंग।
इस रिश्ते का बंधन सच्चा हो,
हर दुख से दूर, हर सुख अच्छा हो,
भाई दूज का ये पावन त्यौहार,
रखे सदा दोनों को रौशन और सच्चा हो।
बहन के आशीष से पावन बने,
भाई की मेहनत से जीवन सजे,
भाई दूज का ये पर्व कहे,
रिश्तों में सदा प्रेम बहे।
बहन की पूजा, भाई की दुआ,
दोनों के मन में हो बस “तुह” की भावना,
भाई दूज का ये शुभ अवसर,
लाए जीवन में अपार प्रसन्नता।
भाई की रक्षा, बहन की कामना,
प्रेम का संगम, सच्ची भावना,
भाई दूज का ये त्यौहार सिखाए,
रिश्तों में हो सदा अपनापन और साधना।
क्या है तिलक करने का शुभ मुहूर्त?
किसी भी शुभ कार्य को सही मुहूर्त में करना अच्छा माना जाता है. अगर आप भी आज अपने भाई को तिलक लगाना चाहती हैं, तो पंचांग के अनुसार ये समय सबसे उत्तम हैं:
भाई दूज अपराह्न समय: दोपहर 01:17 बजे से दोपहर 03:33 बजे तक
(अपराह्न का मतलब होता है दिन का तीसरा पहर, यानी दोपहर के बाद का समय.)
द्वितीया तिथि प्रारम्भ: 22 अक्टूबर को रात 08:16 बजे से
द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर को रात 10:46 बजे तक
इस मुहूर्त के दौरान बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर, उनकी आरती उतारकर और मिठाई खिलाकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं. भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं.
क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
इस त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है. माना जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को देवी यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया था. यमराज अपनी बहन के आदर-सत्कार से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुना को वरदान मांगने को कहा.
यमुना ने अपने भाई से वरदान मांगा कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर, उसके हाथों से तिलक लगवाएगा और भोजन करेगा, उसे यम (मृत्यु) का भय नहीं रहेगा. यमराज ने अपनी बहन को यह वरदान दिया. तभी से यह दिन यमद्वितीया या भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन यमराज ने नर्क में यातनाएं झेल रहे जीवों को मुक्त कर दिया था, जिससे उन्हें प्रसन्नता मिली. यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह को तो दर्शाता ही है, साथ ही यह जीवन और मृत्यु के चक्र से जुड़े गहरे आध्यात्मिक अर्थ भी रखता है.
कैसे मनाते हैं यह त्योहार?
इस दिन बहनें सुबह स्नान करके, अपने ईष्ट देव और भगवान विष्णु या गणेश की पूजा करती हैं. इसके बाद वे भाई के तिलक के लिए थाल सजाती हैं, जिसमें रोली, अक्षत (चावल), गोला (सूखा नारियल), मिठाई, और दीपक रखा जाता है. शुभ मुहूर्त में भाई को चौक पर या पीढ़े पर बिठाया जाता है. बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है, अक्षत लगाती है और उसकी आरती उतारती है. फिर वह भाई को गोला और मिठाई खिलाती है और उसकी लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना करती है. भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है. कई जगहों पर बहनें भाई के तिलक से पहले भोजन नहीं करतीं.
यह त्योहार सिर्फ भाई-बहन के बीच के रिश्ते का ही उत्सव नहीं है, बल्कि यह परिवार को एक साथ लाने का भी एक अवसर है. यह हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की मिठास और आपसी प्यार ही जीवन का असली धन है.
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Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile