क्या हैं 1990 से पहले इस्तेमाल किए जाने वाले पेजर, इंटरनेट पर क्यों बने सनसनी? देखें सबकुछ

क्या हैं 1990 से पहले इस्तेमाल किए जाने वाले पेजर, इंटरनेट पर क्यों बने सनसनी? देखें सबकुछ

इंटरनेट पर अचानक से पेजर ट्रेंड करना शुरू कर गए हैं, असल में आज एक ऐसी घटना हुई है, जो एक बार फिर से बहुत समय पुराने डिवाइस यानि पेजर को सभी के सामने ले आई है। हम जानते है कि इस्राइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष चल रहा है। हालांकि, इन दोनों के बीच का यह संघर्ष उस समय इंटरनेट पर सनसनी की वजह बन गया जब अचानक ही हिजबुल्लाह सदस्यों के पेजर्स में ब्लास्ट होना शुरू हो गया।

ऐसी खबरें आ रही है कि इस्राइल की मोसाद ने Taiwan मेड पेजर्स या बीपर्स में एक्सप्लोसिव प्लांट कर दिए। इसके बाद से अचानक ही इनमें ब्लास्ट होना शुरू कर दिया।

इस खबर ने मानो पेजर्स और बीपर्स को एक बार फिर से सभी के सामने लाकर खड़ा कर दिया। अब ऐसे में अगर आप नहीं जानते है कि आखिर पेजर होते क्या हैं और यह कैसे काम करते हैं तो आइए जानते है कि Pagers क्या होते हैं और इनके काम करने की प्रणाली क्या होती है।

क्या होते हैं पेजर या बीपर?

एक पेजर या ‘बीपर’ एक छोटा, पोर्टेबल कम्यूनिकेशन डिवाइस होता है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल के माध्यम से छोटे मैसेज भेजने और प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है, इसके माध्यम से आमतौर पर नंबर या अल्फ़ान्यूमेरिक मैसेज भेजे और प्राप्त किए जा सकते हैं। आपको जानकारी के लिए बता देते है कि पेजर्स का मुख्य तौर पर इस्तेमालसेल फोन या ऐसा कह सकते है कि स्मार्टफोन के आने से पहले किया जाता था।

1990 के दशक से पहले तक, यानि सेल फोन के व्यवहार में आने से पहले एक महत्त्वपूर्ण कम्यूनिकेशन डिवाइस था। इसका इस्तेमाल विशेष रूप से डॉक्टरों, पत्रकारों, तकनीशियनों और प्रोफेशनल्स के द्वारा किया जाता था, ऐसा भी कह सकते है कि यह इन लोगों के लिए ही चलता भी था। पेजर के माध्यम से इन लोगों को दूरदराज के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण मैसेज भेजने और प्राप्त करने की अनुमति मिलती थी।

कैसे काम करते हैं पेजर्स?

पेजर का इस्तेमाल और संचालन बेहद आसान और प्रभावी था। जब रेडियो वेव्स के माध्यम से कोई मैसेज भेजा जाता था, तो डिवाइस उपयोगकर्ता को एक विशिष्ट बीप के साथ नोटिफ़ाई करता था कि उसके लिए कोई मैसेज आया है। हालांकि, इस मैसेज का जवाब देने के लिए किसी भी उपयोगकर्ता को पास के सार्वजनिक या लैंडलाइन फोन को तलाशना होता था, ताकि इस प्राप्त हुए मैसेज का जवाब दिया जा सके, ऐसा इसलिए था क्योंकि यह रेडियो वेव्स के माध्यम से काम करता था।

जैसे-जैसे तकनीक में प्रगति हुई, पेजर्स में महत्वपूर्ण सुधार भी देखे गए। नए मॉडलों में एक छोटी स्क्रीन होती थी, जो उन्हें डिवाइस पर मैसेज को पढ़ने की भी अनुमति प्रदान करती थी। ये छोटू डिवाइस कुछ सालों पहले तक एक प्रभावी कम्यूनिकेशन डिवाइस था, हमने कई फिल्मों में इसका इस्तेमाल देखा है लेकिन असल मायने में आज की युवा पीढ़ी ने शायद ही इसे देखा होगा।

हमने देखा है कि, 1990 के आते आते, मोबाइल फोन ने इन छोटे छोटे डिवाइस आदि की जगह लेना शुरू कर दिया था। मोबाइल फोन की सुविधा ने जल्दी ही पेजर्स की मांग को कम कर दिया, और 1990 के अंत तक, बीपर्स मुख्य रूप से सार्वजनिक उपयोग से गायब हो गए थे।

Ashwani Kumar

Ashwani Kumar

अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी में पिछले 7 सालों से काम कर रहे हैं! वर्तमान में अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी के साथ सहायक-संपादक के तौर पर काम कर रहे हैं। View Full Profile

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