OMG! अब मात्र आपके सोचने भर से हो जाएंगे ये काम, Elon Musk की Neuralink इंसानी दिमाग में लाएगी चिप
Neuralink के फाउन्डर Elon Musk को कंपनी के पहले ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी मिल चुकी है।
अब Elon Musk की कंपनी इंसानी दिमाग में चिप लगाने वाली है।
Neurotechnology कंपनी ने घोषणा की है कि उन्हीं इंसानी दिमाग में चिप लगाने की मंजूरी मिल चुकी है।
Neuralink के फाउन्डर Elon Musk को कंपनी के पहले ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी मिल चुकी है। अब Elon Musk की कंपनी इंसानी दिमाग में चिप लगाने वाली है। Neurotechnology कंपनी ने घोषणा की है कि उन्हीं इंसानी दिमाग में चिप लगाने की मंजूरी मिल चुकी है। यह शोध लगभग 6 सालों तक चलने वाला है, इसके बाद पता चलेगा कि आखिर यह परीक्षण कैसा रहा है। इस परीक्षण में परैलिसिस मरीजों के दिमाग में यह चिप लगाई जाने वाली है। ऐसा भी कह सकते है कि इस चिप का परीक्षण अब इंसानी दिमाग पर किया जाने वाला है।
Surveyमात्र सोचने भर से चला सकेंगे कंप्यूटर?
अगर Reuters की एक रिपोर्ट की मानें तो यह Clinical Trial मुख्य तौर पर उन लोगों पर किया जाने वाला है, जो ALS यानि Amyotrophic Lateral Sclerosis से पीड़ित है, या जिन्हें नेक इंजरी के कारण परैलिसिस हुआ है। आपको जानकारी के लिए बता देते है कि इस चिप को इंसानी दिमाग में अब परीक्षण किया जाने वाला है, यह चिप होगी तो आपने दिमाग में लेकिन मात्र सोचने भर से आप एक कंप्यूटर के कीबोर्ड और कर्जर को कंट्रोल कर सकते हैं। मतलब मात्र सोचने भर से आप कंप्यूटर चला सकते हैं। इस काम के लिए शोधकर्ता एक रोबोट का इस्तेमाल करके इंसानी दिमाग के एक हिस्से में इस चिप को लगाने वाले हैं और इसके बाद इसके कंट्रोल मूवमेंट को जांचा जाने वाला है।
यह भी पढ़ें: अपने iPhone में कैसे change करें hotspot का नाम और पासवर्ड, यहाँ देख लें सबसे Simple Steps | High Tech
6 साल में पूरा होगा शोध?
इस स्टडी को पूरा करने में लगभग 6 साल का समय लगने वाला है। यहाँ आपको बता देते है कि अभी तक यह सामने नहीं आया है कि आखिर इस कार्यक्रम के लिए कितने लोगों ने अपना पंजीकरण किया है। शोधकर्ताओं की ओर से भी इस आँकड़े को उजागर नहीं किया गया है। हालांकि अगर कंपनी की बात करें तो ऐसा माना जा रहा सामने आया था कि कंपनी लगभग 10 लोगों पर यह शोध करने वाली है। हालांकि कंपनी और FDA यानि US Food And Drug Administration की ओर से इसपर बहस चली और सामने आया कि यह संख्या कम हो सकती है, ऐसा इसलिए सामने आया था क्योंकि FDA की ओर से सेफ़्टी को लेकर कुछ मुद्दा उठा दिया था। यह जानकारी वर्तमान और पुराने कर्मचारियों की ओर से सामने आया था। हालांकि इस समय कितने लोगों पर यह परीक्षण किया जाने वल है। यह FDA की ओर से अभी आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है।
यह भी पढ़ें: Jio AirFiber VS Airtel Xstream Fiber: प्लान्स, स्पीड और प्राइस के बीच देखें सबसे बड़े अंतर, देखें
Ashwani Kumar
Ashwani Kumar has been the heart of Digit Hindi for nearly nine years, now serving as Senior Editor and leading the Vernac team with passion. He’s known for making complex tech simple and relatable, helping millions discover gadgets, reviews, and news in their own language. Ashwani’s approachable writing and commitment have turned Digit Hindi into a trusted tech haven for regional readers across India, bridging the gap between technology and everyday life. View Full Profile

