eSIM या कार्ड वाली SIM..जानें साइबर स्कैमर्स के निशाने पर कौन-सी सिम, जान लिया तो आज ही करवा लेंगे ये बदलाव

eSIM या कार्ड वाली SIM..जानें साइबर स्कैमर्स के निशाने पर कौन-सी सिम, जान लिया तो आज ही करवा लेंगे ये बदलाव

तेलंगाना के मांचेरियल जिले में इस महीने की शुरुआत में चक्षु पोर्टल पर दर्ज हुई एक शिकायत ने एक गुप्त साइबर ठगी का पर्दाफाश कर दिया. शिकायतकर्ता को सरकारी अधिकारी बनकर धमकी भरे फोन आ रहे थे, जिसे उन्होंने अनदेखा करने के बजाय रिपोर्ट कर दिया. इसी एक कदम ने घटनाओं की कड़ी शुरू कर दी.

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तेलंगाना साइबर सिक्योरिटी ब्यूरो, दूरसंचार विभाग और रामागुंडम पुलिस कमिश्नरेट की संयुक्त टीम ने जांच शुरू की और पता चला कि यह कोई अकेला मामला नहीं था. कई दिनों की तैयारी के बाद छापेमारी में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया. उनके पास से 230 से ज्यादा अवैध रूप से लिए गए सिम कार्ड और पांच सिम बॉक्स डिवाइस बरामद हुए. ये डिवाइस अंतरराष्ट्रीय कॉल को लोकल कॉल जैसा दिखाने में मदद करते हैं, जिससे ठग लंबे समय तक पकड़े नहीं जाते.

सिम कार्ड क्या है?

सबसक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल (SIM) कार्ड मोबाइल नेटवर्क पर आपकी पहचान है. यह छोटा-सा चिप कॉल, मैसेज और इंटरनेट इस्तेमाल करने की सुविधा देता है. इसमें आपकी यूनिक सब्सक्राइबर आईडी, सुरक्षा डिटेल्स और नेटवर्क एक्सेस डाटा स्टोर होता है.

eSIM क्या है?

eSIM यानी एम्बेडेड सिम, पारंपरिक सिम कार्ड का डिजिटल वर्जन है, जो सीधे आपके फोन या स्मार्टवॉच में फिट होता है. इसमें फिजिकल कार्ड डालने या निकालने की जरूरत नहीं पड़ती और ऑपरेटर बदलना या नया प्लान लेना कुछ टैप में हो जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर आर्य त्यागी के मुताबिक, अभी eSIM ज्यादातर iPhones में उपलब्ध है और ज्यादा एंड्रॉयड डिवाइस में इसका सपोर्ट आना जरूरी है. वहीं, उन्होंने माना कि आपात स्थिति में फिजिकल सिम को दूसरे फोन में तुरंत ट्रांसफर करने की सुविधा फिलहाल eSIM में नहीं है.

सिम फ्रॉड के खतरे

टेलिकॉम एक्सपर्ट प्रियंका कुलकर्णी के अनुसार, फिजिकल सिम चोरी, खोने या क्लोन होने का खतरा रखता है. सिम स्वैप फ्रॉड में ठग कॉल सेंटर पर सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर पहचान और वित्तीय ठगी करते हैं.

इसके उलट, eSIM सुरक्षित हार्डवेयर में एम्बेड होता है और क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल से प्रोटेक्टेड होता है. इसे कॉपी या क्लोन करना संभव नहीं होता और एक्टिवेशन मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से होता है.

eSIM के अनोखे खतरे

हालांकि, eSIM ज्यादा सुरक्षित है, लेकिन यह सॉफ़्टवेयर और क्लाउड सिस्टम पर निर्भर करता है. अगर ये हैक हो जाएं तो eSIM प्रोफाइल रिमोटली बदले जा सकते हैं. यही वजह है कि मजबूत अकाउंट सिक्योरिटी और 2FA जरूरी है.

प्राइवेसी और तुलना

eSIM सिम चोरी को मुश्किल बनाता है, लेकिन इससे आपके कैरियर और डिवाइस निर्माता के पास ज्यादा डेटा जा सकता है.

फिजिकल सिम: आसान स्वैप, ज्यादा कम्पैटिबिलिटी, लेकिन चोरी/क्लोनिंग का खतरा

eSIM: मल्टी-प्रोफाइल सपोर्ट, ज्यादा सिक्योर, लेकिन लिमिटेड कम्पैटिबिलिटी और क्लाउड पर निर्भरता

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में eSIM पूरी तरह से फिजिकल सिम की जगह ले लेगा, लेकिन डिजिटल अकाउंट सिक्योरिटी और भी अहम हो जाएगी. सिक्योरिटी के हिसाब से आप eSIM खरीद सकते हैं.

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Sudhanshu Shubham

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile

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