क्या इंटरनेट के सबसे बड़े ‘ब्लैकआउट’ के बाद डिजिटल संसार को लेकर सबको सोचने की जरूरत? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

क्या इंटरनेट के सबसे बड़े ‘ब्लैकआउट’ के बाद डिजिटल संसार को लेकर सबको सोचने की जरूरत? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

बीता कल उन आम इंटरनेट यूज़र्स के लिए काफी परेशान करने वाला रहा जो रोज़ाना Spotify पर गाने सुनते हैं, X पर पोस्ट करते हैं और ChatGPT जैसे प्लेटफॉर्म को अपने डिजिटल असिस्टेंट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। कुछ समय के लिए ये सभी सेवाएं इंटरनेट से मानों कहीं गुम हो गई थी। अब आप सोच रहे थे कि क्या कारण हो सकता है, जिसके चलते ये सब हुआ, इंटरनेट पर ब्लैकआउट जैसा माहौल कैसे छा गया तो आपको जानकारी के लिए बता देते है कि इन सभी सेवाओं के ठप होने के पीछे का कारण Cloudflare था। अब कुछ लोग इसके बारे में जानते हैं कि आखिर ये क्या करता है और कैसे ये इंटरनेट पर इतने बड़े हंगामे के लिए जिम्मेदार हुआ, हालांकि जो लोग इस बारे में नहीं जानते हैं, वह सभी सोशल मीडिया पर निकल पड़े और इंटरनेट पर यह खोजने लगे कि आखिर Cloudflare क्या बला है, यह क्या करता है और इसके साथ ऐसा क्या हुआ जिसने दुनिया भर में इतनी बड़ी इंटरनेट रुकावट पैदा कर दी। इसी संदर्भ में यह समझना जरूरी है कि Cloudflare कैसे काम करता है, आउटेज क्यों हुआ और इसके बाद इंटरनेट इकोसिस्टम पर इसका क्या असर पड़ा।

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क्या है Cloudflare?

Cloudflare को देखा जाए तो यह एक ग्लोबल क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबरसिक्योरिटी कंपनी है, जिसे इंटरनेट का ‘इम्यून सिस्टम’ भी कहा जा सकता है। यह रोज़ाना अरबों साइबर हमलों को रोकती है, डाटा सेंटर ऑपरेशंस संभालती है, ईमेल सुरक्षा प्रदान करती है और वेबसाइटों को सुरक्षित रूप से चलाने में मदद करती है। जब इतना बड़ा प्लेटफॉर्म किसी समस्या का सामना करता है तो इंटरनेट का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होना लगभग तय है, जैसा कि हमने कल देखा। कंपनी ने इस आउटेज को ‘internal service degradation’ बताया है और कुछ ही घंटों में फ़िक्स जारी करने के बाद जांच शुरू कर दी थी। शुरुआती रिपोर्टों से यह हिंट मिला कि यह समस्या लंदन से जुड़े एक सर्वर एरर के कारण हुई। इसके बाद Cloudflare ने पाया कि एक इंटरनल सर्विस, जिसका काम वेबसाइटों पर ऑटोमेटेड ट्रैफिक को ब्लॉक करना है, उसी में एक नया बग आ गया था।

क्या था यह बग और इसने कैसे सब बिगाड़ा?

यह बग एक नियमित कॉन्फ़िगरेशन अपडेट के दौरान ऐक्टिव हो गया था। इस बदलाव के कारण डेटाबेस में अपेक्षा से कई गुना ज्यादा एंट्रीज़ जुड़ गईं और एक फीचर फ़ाइल अचानक दोगुनी हो गई। अब इसके बाद यह बड़ी फाइल नेटवर्क के लगभ लगभग सभी मशीन पर शेयर होना शुरू हो गई, जिससे सॉफ़्टवेयर सिस्टम क्रैश होने लगे और Cloudflare की कई सर्विसेज एकसाथ ठप होना शुरू हो गई। आसान शब्दों में कहा जाए तो यह कोई साइबर हमला नहीं था (जैसा दुनियाभर के यूजर्स पहले सोच रहे थे), बल्कि एक इंटरनल तकनीकी समस्या थी, जिसने एक डोमिनो इफ़ेक्ट की तरह इंटरनेट के बहुत से हिस्सों को एक साथ ही डाउन कर दिया।

क्या फिर से ऐसा कुछ हो सकता है?

क्या ऐसा दोबारा हो सकता है? तो इसके जवाब में ऐसा कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से हो सकता है और यही आज के इंटरनेट की कड़वी सच्चाई भी है। दुनिया भर की लोकप्रिय सेवाएँ कुछ बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं पर निर्भर हैं, जिनमें Cloudflare, Amazon Web Services और Microsoft Azure शामिल हैं। इनमें से किसी एक में भी छोटी सी समस्या आते ही कई ऐप्स और वेबसाइटें एक साथ डाउन हो जाती हैं। पिछले साल AWS में भी ऐसा बड़ा आउटेज देखा गया था जिसने कई घंटों तक बड़ी बड़ी वेबसाइटों और ऐपस को बाधित कर दिया था। सबसे बड़ी विचित्र बात यह है कि अगर आप एक आम यूजर हैं तो आपके पा ऐसा कुछ भी या कोई भी ऐसा तरीका नहीं है, जिसे आप घर बैठे इस्तेमाल करें और स्थिति को सामान्य कर सकें।

हालांकि, इंटरनेट पर हो रही इस तरह की घटनाओं से दुनियाभर के यूजर्स सीख ले रहे है कि अगर आगे से अचानक आपका पसंदीदा ऐप या वेबसाइट काम करना बंद कर जाए तो आपको यह सोचने की जरूरत नहीं है कि आपके इंटरनेट कनेक्शन या आपके फोन या लैपटॉप में कोई गड़बड़ है, बल्कि अब आप जानते है कि यह किस कारण से हो रहा है। हालांकि, अगर एक दूसरे तौर पर इसे देखा जाए तो इससे यह भी मुद्दा निकलकर सामने आ रहा है कि अगर ये सब हो रहा है तो एक बार फिर से बढ़ती डिजिटल निर्भरता पर पुनर्विचार किया जाए।

दूसरी ओर, Business Insider की रिपोर्ट के अनुसार Cloudflare के एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी ने सुबह 6:20 बजे ET पर ‘असामान्य ट्रैफिक’ देखा था, जो आउटेज से पहले की शुरुआती निशानियों में से एक था।

इस पूरे मामले पर ESET के Global Security Advisor, Jake Moore ने भी चिंता जताते हुए कहा:

‘पिछले कुछ महीनों में देखे गए लगातार आउटेज यह साफ करते हैं कि हमारा इंटरनेट सचमुच नाज़ुक नेटवर्क्स पर टिका हुआ है। कंपनियों को वेबसाइट और सर्विसेज होस्ट करने के लिए Cloudflare, Microsoft और Amazon जैसे सीमित प्रदाताओं पर निर्भर रहना पड़ता है। ये समस्याएँ ज्यादातर DNS सिस्टम के ओवरलोड होने से पैदा होती हैं, यह वही पुरानी लिगेसी नेटवर्क है जो वेब एड्रेस को कम्प्यूटिंग नंबरों में बदलती है। एक बार यह सिस्टम फेल हो जाए, तो पूरा इन्फ्रस्ट्रक्चर ही ढह सकता है। हालांकि, बड़ी कंपनियों के पास बेहतरीन failsafes होते हैं और वे छोटे क्लाउड प्रदाताओं की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।’

इंटरनेट की इस जटिल संरचना में, ऐसे आउटेज दुर्लभ नहीं हैं, और जब तक इंटरनेट की मूल आधार संरचना अपडेट नहीं होती, तब तक इस तरह की घटनाएं समय-समय पर होती रहेंगी।

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Ashwani Kumar

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Ashwani Kumar has been the heart of Digit Hindi for nearly nine years, now serving as Senior Editor and leading the Vernac team with passion. He’s known for making complex tech simple and relatable, helping millions discover gadgets, reviews, and news in their own language. Ashwani’s approachable writing and commitment have turned Digit Hindi into a trusted tech haven for regional readers across India, bridging the gap between technology and everyday life. View Full Profile

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