AI ने पास कर लिया सबसे कठिन CFA एग्जाम, सवाल बनाने में इंसानों के छूट जाते हैं पसीने, क्रैक किए तीनों लेवल, खतरे की बजी घंटी
अगर आप फाइनेंस की दुनिया में रुचि रखते हैं, तो CFA (Chartered Financial Analyst) परीक्षा का नाम सुनकर ही पसीने छूट जाते होंगे. इसे दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है, जिसे पास करना इंसान के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है. लेकिन अब जो खबर आई है, वो हैरान करने वाली है.
Surveyएक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि जिन परीक्षाओं में इंसान फेल हो जाते हैं, उन्हें AI (Artificial Intelligence) ने काफी आसानी से पास कर लिया है. Google के Gemini से लेकर GPT तक, 6 बड़े AI मॉडल्स ने CFA के तीनों लेवल्स को क्लियर कर लिया है.
Google के Gemini ने तोड़ा रिकॉर्ड
अध्ययन से पता चला कि Google का सबसे सक्षम मॉडल, Gemini 3.0 Pro ने Level 1 पर 97.6% का रिकॉर्ड उच्च स्कोर हासिल किया. रिसर्चर्स ने Gemini 3.0 Pro, GPT-5, Claude Opus 4.1, Grok 4 और DeepSeek-V3.1 का 980 सवालों पर टेस्ट लिया.
GPT-5 ने Level II में 94.3% स्कोर के साथ टॉप किया. Gemini 3.0 Pro ने सबसे कठिन ‘कंस्ट्रक्टेड-रिस्पॉन्स सेक्शन’ में भी 92% स्कोर के साथ अच्छा प्रदर्शन किया.
यह इतनी बड़ी बात क्यों है?
CFA प्रोग्राम फाइनेंस में सबसे कठिन प्रोफेशनल्स स्किल्स में से एक है. इसके तीन लेवल्स होते हैं.
- Level I (Foundations): यह बुनियादी अवधारणाओं (जैसे इकोनॉमिक्स, एथिक्स) को चेक करता है.
- Level II (Application): यहां केस स्टडीज होती हैं. उम्मीदवारों को सिर्फ फॉर्मूले याद नहीं करने होते, बल्कि कॉन्सेप्ट्स को सही जगह लागू करना होता है.
- Level III (Synthesis): यह असली ‘मैमथ’ (विशाल चुनौती) है. इसमें पोर्टफोलियो बनाना, रणनीतियों का मूल्यांकन करना और लिखित में अपने तर्क देना शामिल है.
पहले के मॉडल्स यहां फेल हो जाते थे क्योंकि फाइनेंस में गणित, निर्णय, नैतिकता और कॉन्टैक्स्टका मिश्रण होता है, जिसे समझना मशीनों के लिए मुश्किल था.
नए AI मॉडल्स ने क्या अलग किया?
रिसर्चर्स ने 980 मॉक CFA सवालों पर AI का टेस्ट लिया. उन्होंने पुराने मॉडल्स (जैसे ChatGPT, GPT-4) और नए रीजनिंग-फोकस्ड मॉडल्स (जैसे GPT-5, Gemini 3.0 Pro) की तुलना की. जहां कुछ साल पहले GPT-4 लेवल II में संघर्ष कर रहा था, वहीं अब लगभग सभी आधुनिक रीजनिंग मॉडल्स ने तीनों लेवल्स आसानी से पास कर लिए.
नए मॉडल्स सिर्फ रट्टा नहीं मारते, बल्कि वे मल्टी-स्टेप रीजनिंग (कई चरणों में सोचना) कर सकते हैं. वे केस स्टडीज में डॉट्स को कनेक्ट कर सकते हैं और नियमों को सही संदर्भ में लागू कर सकते हैं.
क्या AI इंसानों की जगह ले लेगा?
जवाब है-नहीं, कम से कम अभी तो नहीं. एक प्रतियोगी परीक्षा पास करना और असल दुनिया में पैसे मैनेज करना, क्लाइंट्स से बात करना या बाजार के उतार-चढ़ाव को संभालना, दोनों अलग बातें हैं. हालांकि, AI अब एक ‘जूनियर एनालिस्ट’ की तरह काम कर सकता है जो कभी थकता नहीं है और शिकायत नहीं करता है.
स्टडी बताती है कि एथिक्स (Ethics) अभी भी AI की कमजोर कड़ी है. वे पेशेवर मानकों में गलतियां करते हैं. साथ ही, लिखित जवाबों में भी सूक्ष्म गलतियां (subtle errors) होती हैं जिसे एक इंसानी परीक्षक पकड़ सकता है.
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Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile