Sanchar Saathi ऐप अब फोन में नहीं होगा प्री-इंस्टॉल, सरकार ने क्यों बदला फैसला? डिटेल में जानें
भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा ऐप Sanchar Saathi को सभी स्मार्टफोन्स में अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने वाले अपने आदेश को वापस ले लिया है. यह कदम विपक्ष की ओर से उठाए गए ‘प्राइवेसी के उल्लंघन और जासूसी’ संबंधी आरोपों के बीच सामने आया है. हालांकि सरकार का कहना है कि इसे वापस लेने के पीछे वजह लोगों की अपनी इच्छा से भागीदारी को बढ़ावा देना है.
Surveyसरकार ने कुछ दिन पहले ही स्मार्टफोन मेकर्स से इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करने को कहा था, ताकि नागरिकों तक साइबर सुरक्षा के दायरे को और बढ़ाया जा सके. सरकार के अनुसार यह ऐप केवल साइबर अपराध से सुरक्षा देता है और इसके अलावा इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ऐप का पूरा नियंत्रण यूज़र्स के पास ही रहता है. सरकार का कहना है कि यह ऐप सुरक्षित है और केवल “साइबर दुनिया के बुरे तत्वों से नागरिकों की रक्षा” के लिए बनाया गया है, जिसे यूज़र अपनी इच्छा से हटा भी सकता है.
Government removes mandatory pre-installation of Sanchar Saathi App.
— ANI (@ANI) December 3, 2025
"The Government with an intent to provide access to cyber security to all citizens had mandated pre-installation of Sanchar Saathi app on all smartphones. The app is secure and purely meant to help citizens… pic.twitter.com/u4AgSuLrkh
संचार मंत्रालय ने कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी रोकने में नागरिकों की भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है. मंत्रालय के अनुसार, “यह ऐप “जन भागीदारी” को बढ़ावा देता है, जहां नागरिक संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करते हैं और इस प्रक्रिया में खुद भी सुरक्षित रहते हैं. मंत्रालय ने दोहराया कि ऐप में सुरक्षा के अलावा कोई अन्य फीचर नहीं है और इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है.”
24 घंटों में 10 गुना रजिस्ट्रेशन
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 1.4 करोड़ लोग संचार साथी डाउनलोड कर चुके हैं और मिलकर रोजाना करीब 2,000 साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं की जानकारी साझा करते हैं. पिछले 24 घंटों में तो ऐप की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ी है और 6 लाख नए रजिस्ट्रेशन किए गए हैं, जो आम दिनों की तुलना में दस गुना ज्यादा है. सरकार ने इसे नागरिकों के विश्वास का संकेत बताया है.
आदेश वापस लेने की वजह
इसी रफ्तार को देखते हुए केंद्र ने फैसला किया कि मोबाइल कंपनियों के लिए ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य नहीं होगा. सरकार ने कहा, “संचार साथी की बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए इसे अनिवार्य बनाने की जरूरत नहीं रही.”
लोकसभा में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस ऐप के जरिए किसी भी तरह की जासूसी संभव नहीं है और न ही ऐसा होने दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि नागरिकों की प्रतिक्रिया के आधार पर ऐप इंस्टॉलेशन संबंधी आदेश में बदलाव किए जा सकते हैं.
विपक्ष के ‘जासूसी’ आरोप
संचार साथी ऐप को लेकर मचे विवाद के बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार “खुले आम नागरिकों की जासूसी” कर रही है और पकड़े जाने पर भ्रामक सफाई दे रही है. पार्टी ने सरकार के इस कदम को तानाशाही दखल बताया. कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार लगातार नागरिकों पर नजर रख रही है और इस बार जब “रंगे हाथों पकड़ी गई”, तो गलत जानकारी देकर देश को गुमराह करने की कोशिश की गई.
खेड़ा ने यह भी कहा कि मंत्री का यह दावा कि ऐप को हटाया जा सकता है, सरकार के खुद के आदेश के विपरीत है, जिसमें सेक्शन 7(b) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्री-इंस्टॉल्ड ऐप को न तो हटाया जा सकता है और न ही इसके किसी फंक्शन को बंद या सीमित किया जा सकता है.
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Faiza Parveen
फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं। View Full Profile