AI से 10 साल में मिल जाएगा हर बीमारी का इलाज, Google DeepMind के CEO के दावे से सनसनी, सहमत हुआ ये दिग्गज

AI से 10 साल में मिल जाएगा हर बीमारी का इलाज, Google DeepMind के CEO के दावे से सनसनी, सहमत हुआ ये दिग्गज

AI का इस्तेमाल लगभग हर इंडस्ट्री में शुरू हो गया है. लेकिन, इसकी क्षमता का अंदाजा अभी लगाना मुश्किल है. लेकिन, क्या AI अगले दशक में सभी बीमारियों का खात्मा कर सकता है? Google DeepMind के को-फाउंडर और CEO डेमिस हस्साबिस ने ऐसा ही कुछ दावा किया है. हैरानी की बात है कि उनके प्रतिद्वंद्वी Perplexity AI के CEO अरविंद श्रीनिवास ने भी उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े हैं.

हस्साबिस का कहना है कि AI न सिर्फ बीमारियों के इलाज में मदद करेगा, बल्कि शायद सभी बीमारियों को जड़ से खत्म कर दे. इतना बड़ा दावा करके उन्होंने सनसनी फैला दी है. AI को लेकर इस दावे के बाद से मेडिकल इंडस्ट्री में भी हलचल मच गई है लेकिन क्या वाकई ऐसा होने वाला है?

AI से बीमारियों का अंत

20 अप्रैल को CBS के 60 Minutes इंटरव्यू में हस्साबिस ने कहा, “एक दवा डिजाइन करने में औसतन 10 साल और अरबों डॉलर लगते हैं. हम इस समय को सालों से घटाकर महीनों या शायद हफ्तों तक ले आ सकते हैं. यह आज अविश्वसनीय लगता है लेकिन प्रोटीन स्ट्रक्चर्स के बारे में भी लोग ऐसा ही सोचते थे. इससे ह्यूमन हेल्थ में क्रांति आएगी और शायद एक दिन AI की मदद से हम सभी बीमारियों का इलाज कर सकें.”

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जब उनसे पूछा गया कि क्या AI सभी बीमारियों का अंत कर सकता है? 48 साल के इस ब्रिटिश साइंटिस्ट ने जवाब दिया, “मुझे लगता है कि यह मुमकिन है. शायद अगले दशक में मुझे कोई वजह नहीं दिखती कि ऐसा न हो.”

Perplexity CEO का समर्थन

हस्साबिस के इस इंटरव्यू के वीडियो पर X (पूर्व में Twitter) पर रिएक्ट करते हुए Perplexity AI के CEO अरविंद श्रीनिवास ने लिखा, “डेमिस एक जीनियस हैं और उन्हें यह हासिल करने के लिए दुनिया के सारे रिसोर्सेज दिए जाने चाहिए.”

यह समर्थन इसलिए खास है क्योंकि Perplexity AI का कोर प्रोडक्ट एक AI-पावर्ड सर्च इंजन, Google के साथ सीधे मुकाबले में है. इतना ही नहीं, यह AI स्टार्टअप Google Chrome को टक्कर देने के लिए एक नया एजेंटिक ब्राउजर भी लॉन्च करने की योजना बना रहा है.

AI ने एक साल में किया एक अरब साल का PhD वर्क

हस्साबिस ने यह भी बताया कि उनकी मौजूदा AI ने 200 मिलियन प्रोटीन स्ट्रक्चर्स को मैप करके एक साल में एक अरब साल के PhD टाइम का काम पूरा किया. हाल ही में LinkedIn CEO रीड हॉफमैन से बातचीत में उन्होंने कहा, “पहले एक PhD स्टूडेंट को एक प्रोटीन स्ट्रक्चर खोजने में 4-5 साल लगते थे. साइंस को 200 मिलियन प्रोटीन्स मालूम हैं और हमने इन्हें एक साल में फोल्ड कर दिया. अगर हमें प्रोटीन का फंक्शन पता हो तो हम समझ सकते हैं कि बीमारी में क्या गलत होता है. फिर हम ऐसी दवाएं और मॉलिक्यूल्स डिजाइन कर सकते हैं जो प्रोटीन की सतह के सही हिस्से से जुड़ें. यह एक दिलचस्प प्रॉब्लम है.”

इसका मतलब क्या है?

तेज दवा डेवलपमेंट: AI दवाओं के डिजाइन और टेस्टिंग के समय को सालों से हफ्तों तक कम कर सकता है, जिससे इलाज सस्ता और तेज होगा.

बीमारियों की गहरी समझ: प्रोटीन स्ट्रक्चर्स को समझने से कैंसर, अल्जाइमर जैसी बीमारियों की जड़ तक पहुंचना आसान होगा.

हेल्थकेयर में क्रांति: अगर हस्साबिस का दावा सच हुआ तो AI दवाओं के डेवलपमेंट को डेमोक्रेटाइज कर सकता है, जिससे ग्लोबल हेल्थकेयर सिस्टम्स को फायदा होगा.

चुनौतियां और सवाल

एथिकल कंसर्न्स: AI से दवाएं डिजाइन करने में डेटा प्राइवेसी और बायस जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

एक्सेसिबिलिटी: क्या ये टेक्नोलॉजी गरीब देशों तक पहुंच पाएगी?

रिसर्च फंडिंग: इतने बड़े स्केल पर रिसर्च के लिए भारी निवेश चाहिए जैसा श्रीनिवास ने भी जोर देकर कहा.

Google DeepMind के डेमिस हस्साबिस का दावा कि AI अगले दशक में सभी बीमारियों का इलाज कर सकता है, साइंस फिक्शन जैसा लगता है, लेकिन 200 मिलियन प्रोटीन्स को एक साल में मैप करने का उनका ट्रैक रिकॉर्ड इसे मुमकिन दिखाता है. अगर ऐसा होता है तो दुनिया में AI एक नई क्रांति ला सकता है.

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Sudhanshu Shubham

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile

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