प्रधानमंत्री के साथ कराना चाहते हैं Digital Photograph? प्रधानमंत्री संग्रहालय में मिल जाएगा मौका

प्रधानमंत्री के साथ कराना चाहते हैं Digital Photograph? प्रधानमंत्री संग्रहालय में मिल जाएगा मौका

हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में डिजिटल मॉडल को बड़े पैमाने पर तवज्जो देते हैं। देश में इंटरनेट और तकनीकी को बड़े पैमाने पर आगे रखने की उनकी सोच प्रधानमंत्री संग्रहालय में भी नजर आती है। असल में हमने देखा है कि देश में तकनीकी एक अलग ही महत्त्व रखती है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को भली भांति जानते हैं, इसी कारण उनके दौरे जहां भी वो जाते हैं और लोगों को संबोधित करते हैं वहाँ एक अलग ही डिजिटल माहौल होता है, बड़ी बड़ी स्क्रीन लगाई जाती हैं, अलग अलग तकनीकी का इस्तेमाल किया जाता है।

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इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी बड़े पैमाने पर श्री नरेंद्र मोदी एक्टिव रहते हैं। असल में युवाओं से जुडने के लिए उन्हें तकनीकी का ही इस्तेमाल करना पड़ता है, इसी कारण वह इंडिया को Digital India बनाने की सोच को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा ही कुछ हमें प्रधानमंत्री संग्रहालय ने भी नजर आता है। यह काफी भव्य है और यहाँ भी तकनीकी और सुंदरता का एक भव्य और बेजोड़ मिश्रण आपको नजर आता है। हमने प्रधानमंत्री संग्रहालय के बारे में जिस कंपनी ने इसका निर्माण किया है। उनसे बात की है, आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर हमारी टैगबिन के फाउन्डर और सीईओ Saurav Bhaik से क्या बात हुई है। आइए हमारी नजर से आपको तकनीकी से भरपूर प्रधानमंत्री संग्रहालय को दिखाते हैं।

प्रश्न 1. टैगबिन को प्रधानमंत्री संग्रहालय परियोजना के लिए कैसे चुना गया?

हमने दुनिया के म्युज़ियम उद्योग की कुछ अग्रणी कंपनियों की बोली प्रक्रिया में हिस्सा लिया, जिसके बाद हमें सफल बोलीदाता घोषित किया गया, इस प्रक्रिया में तकनीकी मूल्यांकन, वित्तीय स्क्रीनिंग और डिज़ाइन प्रेज़ेन्टेशन तक सभी पहलुओं को शामिल किया गया था। 

प्रश्न 2. संग्रहालय परियोजना से पहले टैगबिन ने कौनसी प्रमुख परियोजनाएं की हैं?

हमारी कुछ पिछली परियोजनाओं में शामिल हैं-

  • श्री सत्य साई बाबा, बृंदावन के जीवन, मिशन और शिक्षाओं पर आधारित मल्टीमीडिया म्युज़ियम
  • ज्योतिसर, कुरूक्षेत्र में गीता म्युज़ियम
  • ढोलेरा एक्सपीरिएंस सेंटर
  • दिल्ली में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का डिज़ाइन और विकास
  • राष्ट्र गान की अवधारणा और निष्पादन, जहां 2 करोड़ से अधिक लोगों ने एक साथ मिलकर राष्ट्र गीत गाया, यह सबसे बड़ी क्राउडसोर्स्ड पहल थी। 

प्रश्न 3. आधुनिक तकनीकें जैसे लेविटेशन, रोबोटिक्स होलोग्राम्स, वर्चुअल रिएल्टी, ऑगमेंटेड रिएल्टी, मल्टी-टच, मल्टीमीडिया, इंटरैक्टिव कियोस्क, कम्प्युटराइज़्ड काइनेटिक स्कल्पचर, स्मार्टफोन ऐप्लीकेशन्स, इंटरैक्टिव स्क्रीन और एक्सपेरिएंशियल इंस्टॉलेशन आदि आगंतुकों को विशिष्ट अनुभव कैसे प्रदान करती हैं?

ऐसी कई आधुनिक, नए दौर की तकनीकें हैं, जो कंटेंट डिस्प्ले के गैर-इंटरैक्टिव पारम्परिक तरीकों से अलग हैं। हर तकनीक के अपने मायने होते हैं और यह डिस्प्ले के सही माध्यम के ज़रिए कंटेंट के प्रदर्शन को नया मूल्य प्रदान करती है। इन तकनीकों से लोगों के बीच इंटरैक्शन की संभावना बढ़ी है, नीरसता टूटी है तथा हर प्रदर्शनी और कंटेंट को याद रखने का व्यवहारिक तरीका मिला है। हम इसे इन्फोटेनमेन्ट कहते हैं। जहां हम शिक्षा/ लर्निंग के प्रयोजन को डिस्प्ले के सही माध्यम (मनोरंजन/ सक्रियता) के साथ जोड़ते हैं।

प्रश्न 4. संग्रहालय में ऐप पर आधारित रूट मैप है। क्या सभी आगंतुकों के लिए ऐप को डाउनलोड करना ज़रूरी है। क्या ऑफलाईन नेविगेशन के कुछ विकल्प हैं?

नहीं, ऐसा ज़रूरी नहीं है। आगंतुकों को शुरूआत में ही ऑडियो गाईड किट दे दी जाती है। यात्रा पूरी होने के बाद वे इसे लौटा सकते हैं। ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं है। 

प्रश्न 5. इस संग्र्रहालय में ऐसा क्या खास है जो दूसरों में नहीं?

इस संग्रहालय को आगंतुकों को ध्यान में रखते हुए रोचक और इंटरैक्टिव बनाया गया है। यहां, आगंतुक संग्रहालय का हिस्सा बन जाते हैं और सक्रियता के साथ इसमें भाग लेते हैं। संग्रहालय प्रमाणित कंटेंट डिस्प्ले करता है, जिसमें किसी तरह को बदलाव नहीं किया गया है। यह संग्रहालय, इतिहास, समृद्ध कंटेंट, कला और तकनीक का अद्भुत संयोजन है। यह आगंतुकों को अभूतपूर्व अनुभव प्रदान करता है। 

यह ऐसा संग्रहालय है जो सभी सीमाओं के परे हर व्यक्ति का स्वागत करता है। हमने बहुत आधुनिक ऑडियो गाईड सिस्टम बनाया है जो आगंतुक की यात्रा के दौरान टूर गाईड की तरह उसकी मदद करता है। वर्तमान में यह दो भाषाओं में उपलब्ध है, आने वाले समय में इसे 21 भारतीय भाषाओं और 6 अन्तर्राष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। आगंतुक को किट में एक हैडसैट और  ईयरफोन भी दिए जाते हैं। जब आगंतुक संग्रहालय में घूम रहा होता है, तब बहु-भाषी ऑडियो गाईड कंटेंट के साथ ऑटो सिंक हो जाता है तथा आगंतुकों को बेहतरीन ऑडियोविज़ुअल अनुभव प्रदान करता है, यह म्युज़ियम में नेविगेशन के लिए भी पूरी सहायता देता है। आगंतुक अपने समय और सुविधा के अनुसार अपने टूर को कस्टमाइज़ भी कर सकते हैं। 

प्रश्न 6. संग्र्रहालयों की लोकप्रियता की बात करें तो इसमें तकनीक क्या भूमिका निभा सकती है, भारत में संग्रहालयों के भविष्य के बारे में आपका क्या मानना है? 

इंटरैक्टिव तकनीक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। संग्र्रहालयों को डिजिटल बनाने से समय-समय पर कंटेंट को अपडेट किया जा सकता है। आमतौर पर अगर संग्र्रहालय को पारम्परिक तरीके से डिज़ाइन किया जाता है तो यह स्टेटिक और ग्राफिकल कंटेंट को ही डिस्प्ले करता है, जो समय के साथ पुराना पड़ जाता है। जबकि डिजिटल संग्रहालय में हम कंटेंट को हमेशा समय
के साथ बदल सकते हैं। 

साथ ही आधुनिक तकनीकों के कारण आज वर्चुअल म्युज़ियम की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। फिज़िकल संग्रहालय को अपनी लोकेशन का फायदा मिलता है। उन्हें किसी विशेष स्थान पर बनाया जाता है और हर व्यक्ति के लिए यहां तक पहुंचना संभव नहीं होता। लेकिन वर्चुअल म्युज़ियम टूर की बात करें तो पर्यटक दुनिया के किसी भी हिस्से से इसका दौरा कर सकते हैं, और इसकी धरोहर, कला एवं संस्कृति के बारे में जान सकते हैं। हमारा मानना है कि गेमिफिकेशन जैसे टेªज़र हंट, क्विज़ और यूजर्स की सक्रियता भी आगंतुकों की रूचि बढ़ाने में मददगार होती है। 

प्रश्न 7. आधुनिक तकनीकें जैसे लेविटेशन, रोबोटिक्स, होलोग्राम, वर्चुअल रिएल्टी, ऑगमेंटेड रिएल्टी, मल्टी-टच, मल्टीमीडिया, इंटरैक्टिव कियोस्क आदि दर्शकों को सहज अनुभव कैसे प्रदान कर सकते हैं? 

हमने आर्ट इंन्स्टॉलेशन के लिए लेविटेशन और काइनेटिक जैसी तकनीकों का उपयोग किया है, जो दर्शकों को भीतर प्रवेश करते ही बेहतरीन अनुभव प्रदान करते हैं। 

संग्रहालय में इंटरैक्टिव डिस्प्ले तकनीकें जैसे मल्टी-टच, इंटरैक्टिव कियोस्क, जेस्चर इनेबल्ड डिस्प्ले आदि को इन्स्टॉल किया गया है, जो रोचक तरीके से जानकारी प्रदान करते हैं।

आधुनिक तकनीकें जैसे एआर, वीआर और रोबोटिक्स के उपयोग से मनुष्यों के बीच इंटरैक्शन की संभावना बढ़ती है। इससे आगंतुक व्यवहारिक रूप से संग्रहालय का हिस्सा बन जाते हैं और प्रयोग करते हुए सीखते हैं। यह युवाओं को शिक्षित करने का बेहतरीन माध्यम है, जहां उन्हें रोचक तरीकों से कंटेंट को जानने और इसके बारे में सीखने का अवसर मिलता है। 

प्रश्न 8. क्या संग्रहालय के लिए आपको प्रधानमंत्री जी से मिलने का मौका मिला, उन्होंनें आपको क्या सलाह दी?

हां, प्रधानमंत्री संग्रहालय एक ऐसी परियोजना थी, जिसकी निगरानी खुद माननीय प्रधानमंत्री जी ने की। यह उनका अपना दृष्टिकोण था। उनके साथ समय-समय पर फिज़िकल बैठकें हुईं, जहां संग्रहालय की प्रगति के बारे में चर्चा की गई। हमने उन्हें संग्रहालय की नई अवधारणाओं के बारे में जानकारी दी, हर अपडेट देते रहे। 

उन्होंने हमें सबसे अच्छी सलाह दी थी कि हमें सभी प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियो, उनके कार्याें द्वारा उनके देशा पर पड़े प्रभावों, जीवन एवं काम के प्रति उनके नज़रिए आदि हर पहलु पर ध्यान देना चाहिए। सिर्फ उनके कार्यालय या कार्य अवधि तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने हमें सुझाव दिया कि हमें इसे युवा पीढ़ी के लिए रोचक बनाना है और इसके ज़रिए दर्शकों को दिखाना है कि कैसे विभिन्न प्रधानमंत्री विनम्र और नियमित पृष्ठभूमि से आगे बढ़कर इस मुक़ाम तक पहुंचे हैं। ताकि ये पहलु युुवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकें। 

इसके लिए, हमने कंटेंट पर ध्यान दिया, हर प्रधानमंत्री की उपलब्धि और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं, कार्यक्रमों पर ध्यान केन्द्रित किया। अब इस संग्रहालय में उनके नेतृत्व पर आधारित गैलेरियां हैं ना कि उनके कार्यकाल पर। 

प्रश्न 9. प्रधानमंत्री मोदी बेहतर भारत के निर्माण के लिए डिजिटल का बढ़ावा देते हैं, क्या उनके साथ हुए सत्र के दौरान इस विषय पर आपको कुछ सीखने को मिला?

ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। 

प्रश्न 10. संग्रहालय का बजट कितना था?

संग्र्रहालय की इमारत की कुल लागत तकरीबन रु 306 करोड़ थी, जिसमें डिस्प्ले, तकनीकी इंटरफेस और संग्रहण के डिजिटलीकरण आदि सभी का खर्च शामिल है।

प्रश्न 11. आज के दौर में संग्रहालय अपना महत्व खो रहे हैं, आपको क्या लगता है डिजिटल भारत इसमें कैसे सुधार ला सकता है?

हमारा मानना है कि संग्रहालय एकमात्र सर्वश्रेष्ठ स्थान है जहां आप कला, संस्कृति, धरोहर और इतिहास को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। इसमें अनूठे तरीके से आम जनता तक जानकारी का प्रसार करने की अद्भुत क्षमता होती है। 

पहले संग्रहालयों में साधारण और पारम्परिक डिस्प्ले होता था जो इंटरैक्टिव नहीं होता था और कंटेंट का प्रदर्शन भी साधारण तरीकों से किया जाता था। 

डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी कन्सलटेन्ट होने के नाते टैगबिन, भारत में आधुनिक तकनीकों के ज़रिए संग्रहालय की संस्कृति को बदलने के लिए तैयार है। 

आज तकनीक के इन्स्टॉलेशन से कंटेंट का डिस्प्ले अधिक रोचक और व्यवहारिक हो गया है। डिजिटल भारत में जल्द ही संग्रहालय उद्योग में बदलाव आएंगे और संग्रहालयों के आगंतुकों को ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी पानी का अवसर मिलेगा। 

प्रश्न 12. उस ऐप के बारे में बताएं, जिसे आपने तैयार किया है? जिनके माध्यम से आप शहीदों को श्रद्धांजली देते हैं और इसे डिजिटल ज्योति के माध्यम से सीपी के सेंट्रल पार्क में डिस्प्ले किया जाएगा?

डिजिटल ज्योति अभियान का लॉन्च इसी साल मार्च में किया गया। यह आकाश में डिजिटल ज्योति केे द्वारा हमारी शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करने का अनूठा तरीका है। 

आप अपनी श्रद्धांजली देने के लिए digitaltribute.in पर जा सकते हैं। यूज़र को अपना विवरण देना होगा, एक संदेश चुनना होगा और श्रद्धांजली के लिए निर्धारित दिनांक एवं समय चुनना होगा। 

कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में एक एलईडी स्क्रीन और डिजिटल फ्रेम लगाया गया है, जो चारों ओर फूल की तरह रोशनी बिखेरता प्रतीत होता है, यह विकास एवं उम्मीद का प्रतीक है। हर बार जब श्रद्धांजली दी जाती है यह डिजिटल फ्लेम आकाश में रौशन हो जाती है। 

जब एक यूज़र श्रद्धांजली देता है तब उनका नाम और संदेश एलईडी स्क्रीन पर दिखाई देता है और डिजिटल फ्रेम से होती हुई रोशनी की किरणें पूरे आकाश में बिखर कर श्रद्धांजली देती हैं। 

यूज़र मेल पर अपनी श्रद्धांजली का रिकॉर्ड किया गया वीडियो भी पा सकता है। 

अब तक तकरीबन 8 लाख श्रद्धांजलियां दी जा चुकी हैं और 5 लाख श्रद्धांजलियां श्रंृखला में हैं। 

प्रश्न 13. इतने सारे डिजिटल हस्तक्षेपों के बीच, क्या हम कह सकते हैं कि सांस्कृतिक भारत जल्द ही डिजिटल होने जा रहा है? 

जी हां, बिल्कुल!

आज की युवा पीढ़ी सांस्कृतिक कंटेंट को डिजिटल रूप में बेहतर स्वीकार करती है। स्मार्टफोन और डिजिटलीकरण के विकास के साथ, हमारा मानना है कि तकनीक लोगों को संस्कृति के बारे में जागरुक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 

Ashwani Kumar

Ashwani Kumar

Ashwani Kumar has been the heart of Digit Hindi for nearly nine years, now serving as Senior Editor and leading the Vernac team with passion. He’s known for making complex tech simple and relatable, helping millions discover gadgets, reviews, and news in their own language. Ashwani’s approachable writing and commitment have turned Digit Hindi into a trusted tech haven for regional readers across India, bridging the gap between technology and everyday life. View Full Profile

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