‘मोटोरोला मोटो ई’ की तुलना में ‘एंड्रॉयड वन फोन’
एंड्रॉयड वन स्मार्टफोन के जितना बुरा होने की संभावनाएं जताई जा रही थीं वह उतना बुरा है नहीं। बाजार में इसका सबसे बड़ा प्रतियोगी मोटो ई है। इसलिए हमने यहां इन दोनों की तुलना की।
एंड्रॉय वन की कई रिव्यूज में हमने कहा है कि यह मोटो ई से ज्यादा कुछ ऑफर नहीं करता। विशेषकर कीमत की तुलना करने करने पर यह फर्क और भी कम लगता है। यहां हम दोनों फोन का कुछ खास दृष्टिकोणों से तुलना कर रहे हैं।
डिस्प्ले
256 पीपीआई पिक्सल डेंसिटी के साथ मोटो ई का डिस्प्ले माइक्रोमैक्स कैनवास ए1 के 218 पीपीआई से बहुत बेहतर नहीं कहा जा सकता। मोटो का स्क्रीन हालांकि उससे ज्यादा ब्राइट है और इसका कलर रिप्रोडक्शन भी कैनवास ए1 से अच्छा है। एंड्रॉयड वन डिवाइस के 4.5 इंच की तुलना में मोटो ई के 4.3 इंच के डिस्प्ले पर कंटेट थोड़े छोटे नजर आते हैं लेकिन इसकी विजिबिलिटी एंड्रॉयड वन से अच्छी है। मोटो ई के डिस्प्ले में गोरिल्ला ग्लास 3 का प्रोटेक्शन इसे बहुत मजबूती तो नहीं लेकिन स्क्रीन को एक प्रीमियम लुक जरूर देता है।
विजेता: मोटो ई
बनावट और डिजाइन
हालांकि मोटो ई का डिस्प्ले ज्यादा ब्राइट और शार्प है लेकिन एंड्रॉयड वन की तुलना में यह छोटा है। इसके अलावा एंड्रॉयड वन ज्यादा हल्का भी है। छोटा फोन पसंद करने वालों को मोटो ई पसंद आएगा लेकिन यह थोड़ा मोटा और भारी है।
हालांकि यह लोगों की पसंद पर निर्भर करता है लेकिन एंड्रॉयड वन बड़ा होने के साथ ही पतला और हल्का भी है और हाथ में पकड़ने के लिए अच्छा है।
विजेता: एंड्रॉयड वन
परफॉर्मेंस
परफॉर्मेंस के मामले में दोनों डिवाइस की तुलना वास्तव में मजेदार है। दोनों डिवाइस में एंड्रॉयड 4.4.4 के साथ 1 जीबी का रैम है जबकि मोटो ई में 1.2 गीगा हर्ट्ज क्वालकम स्नैपड्रैगन 200 ड्यूअल-कोर एसओसी की तुलना में एंड्रॉयड वन डिवाइस में 1.3 गीगा हर्ट्ज क्वाड-कोर मीडिया टेक प्रोसेसर है। इसपर हमने पहले भी कहा है कि क्वाड-कोर एसओसी का मतलब हमेशा ज्यादा अच्छा परफॉर्मेंस नहीं होता और मोटो ई इसका एक बड़ा उदाहरण रहा है।
एंड्रॉयड वन के एक्स्ट्रा कोर्स इसे मल्टी टास्किंग क्षमता देते हैं। दोनों डिवाइस में रैम एक समान ही है। इसलिए अब बात आती है एसओसीएस की। मोटो ई गेमिंग में ज्यादा अच्छा है। इसका एड्रेनो 302 जीपीयू न केवल बहुत तेज है बल्कि यह ज्यादा 3डी गेम्स को सपोर्ट भी करता है।
विजेता: मोटो ई
बैटरी
एंड्रॉयड वन स्मार्टफोन के मुकाबले मोटो ई की बैटरी ज्यादा चलती है। इसलिए हमने इसे ज्यादा बेहतर परफॉर्मर माना। हमारे स्टैंडर्ड वीडियो टेस्ट में एंड्रॉयड वन डिवाइस केवल 5.5 घंटे चला जबकि मोटो ई 7.2 घंटे तक।
विजेता: मोटो ई
कैमरा
कैमरा सेगमेंट में मोटो कमजोर मालूम पड़ता है जो बहुत आश्चर्यजनक नहीं है। एंड्रॉयड वन फोन में जहां 5 मेगा पिक्सल का बहुत अच्छा कैमरा है, मोटो ई का 5 मेगा पिक्सल का फिक्स फोकस कैमरा इसकी सबसे कमजोरी है।
इसके अलावे एंड्रॉयड वन एलईडी फ्लैश के साथ आता है वहीं मोटो ई में यह सुविधा है। एंड्रॉयड वन स्मार्टफोन में 2 मेगा पिक्सल का फ्रंट कैमरा भी है जिसमें एक बार फिर मोटो ई पीछे है।
एंड्रॉयड वन
मोटो ई
विजेता: एंड्रॉयड वन
स्टोरेज
दोनों ही डिवाइस में 4 जीबी इंटरनल स्टोरेज क्षमता है जिसे 32 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है। इस जगह एक बार फिर एंड्रॉयड वन डिवाइस कमजोर है। बिना एसडी कार्ड लगाए कैमरे को पूरी तरह उपयोग कर पाना संभव नहीं है। पर मोटो ई की कीमत कैनवास के बराबर है।
विजेता: मोटो ई
कॉल क्वालिटी
दोनों ही फोन की कॉल क्वालिटी बराबर है। इन-कॉल वॉल्यूम अच्छी थी और आवाज को लेकर दूसरी तरफ हमे कोई शिकायत नहीं मिली।
विजेता: दोनों बराबर
कीमत
एंड्रॉयड व स्मार्टफोन रु. 6,499, रु. 5,999 और रु. 6,190 की कीमत पर उपलब्ध है। जैसा कि हमने ऊपर भी कहा कि इसका कैमरा बिना एसडी कार्ड के आप उपयोग नहीं कर पाएंगे। इसलिए एसडी कार्ड के लिए रु. 500 ज्यादा इसमें जोड़ लेते हैं। दूसरी तरफ मोटो ई की कीमत रु. 6,999 है। क्योंकि दोनों ही फोन 4 जीबी की इंटरनल और 32 जीबी की एक्सपैंडेबल स्टोरेज के साथ आते हैं इसलिए ऊपर सभी पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए हम इसमें मोटो ई के साथ जाते हैं।
विजेता: मोटो ई
बॉटमलाइन
इतना तो स्पष्ट है कि दोनों ही स्मार्टफोन में कुछ खूबियां और खामियां हैं जो सामान्यतया इनकी ब्रांड वैल्यू कम कर देता है। हालाकि मोटोरोला इस इंडस्ट्री का पुराना और स्थापित नाम है। मोटो ई में कैमरा की कमी जरूर है लेकिन बैटरी सेगमेंट में यह उसकी भरपाई कर देता है। कुल मिलाकर अगर देखें तो एंड्रॉयड वन की तुलना में मोटो ई बजट में अच्छा फोन है।
विजेता: मोटो ई
नोट: आपको इस तुलना में जियामी रेड मी 1 एस को शामिल न किए जाने की कमी शायद खले। बहुत जल्द ही हम इस तुलना में रेड मी 1 एस का अपडेट इसमें शामिल करेंगे। तब तक इंतजार करें।