आज से 30 साल पहले 15 अगस्त को भारत में शुरू हुआ इंटरनेट का सफ़र: जानिये 9.6Kbps से 5G तक की कहानी

आज से 30 साल पहले 15 अगस्त को भारत में शुरू हुआ इंटरनेट का सफ़र: जानिये 9.6Kbps से 5G तक की कहानी

आज हम एक ऐसे डिजिटल युग में जी रहे हैं जहां इंटरनेट हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में इंटरनेट की शुरुआत कैसे हुई और इस टाइम में उसने तकनीक, बिजनेस, समाज और रोजमर्रा की ज़िंदगी को कैसे बदल डाला? आइए जानते हैं इंटरनेट के भारत में 30 साल के सफर की कहानी, जिसमें हैं चुनौतियां, विकास, बड़े बदलाव और आने वाले भविष्य की उम्मीदें आदि सब सम्मिलित हैं।

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शुरुआती समय: इंटरनेट की शुरुआती कोशिशें और रिसर्च नेटवर्क

भारत में इंटरनेट की पहली झलक 1986 में मिली थी, जब ERNET (Education and Research Network) नाम की सेवा के तहत कुछ तकनीकी और शैक्षिक संस्थानों को आपस में जोड़ा गया था। इस समय की अगर बात करें तो इंटरनेट केवल और केवल रिसर्च और अकादमिक उद्देश्य तक ही सीमित था, या ऐसा भी कह सकते है कि, इन कामों के लिए ही मौजूद थे। उस वक्त आम लोगों तक इसकी पहुँच दूर दूर तक नहीं था, हालाँकि ऐसा भी माना जा सकता है कि यह सपनो में जरुर हो सकता है।

पहली बार सार्वजनिक इंटरनेट सेवा 1995 में शुरू हुई, इस दिन ही देश को 1947 में आज़ादी भी मिली

15 अगस्त 1995 को भारत में पहली बार सार्वजनिक और व्यावसायिक इंटरनेट सेवा शुरू की गई थी। इसे विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा संचालित किया जा रहा था। उस समय इंटरनेट स्पीड बेहद कम थी, औसतन डायल-अप कनेक्शन की गति 9.6 केबीपीएस से भी कम थी। इंटरनेट सेवा महंगी थी, और ज्यादातर इसका उपयोग संस्थानों और कार्यालयों द्वारा ही किया जा रहा था। आम जनता के लिए इंटरनेट अभी नई तकनीक थी और इसे प्राप्त करना तो दूर की बात है इसे सभी का चलाना नामुमकिन ही था।

शुरुआती चुनौतियां और धीमी प्रगति

90 के दशक के आखिर तक इंटरनेट सेवाओं में गति बहुत धीमी थी और कनेक्शन अक्सर टूट जाता था। डायल-अप कनेक्शन की लिमिटेड स्पीड और ज्यादा खर्च ने इंटरनेट के विस्तार को बाधित किया। इसके बावजूद भी कुछ कंपनियों ने इंटरनेट के रास्ते साफ करने को लेकर पहल शुरू कर दी थी।

2000 के दशक में विस्तार: निजी कंपनियों का आगमन और ब्रॉडबैंड

1998 में भारत के पहले निजी इंटरनेट सेवा प्रदाता सत्यम इनफोवे शुरू हुए। उसके बाद धीरे-धीरे ब्रॉडबैंड तकनीक आई, जिसने इंटरनेट की स्पीड और क्वालिटी में सुधार किया। 2004 में भारत सरकार ने अपनी पहली ब्रॉडबैंड नीति बनाई, जिसने इंटरनेट को हमेशा जुड़े रहने वाला (ऑनलाइन) और फ़ास्ट स्पीड इंटरनेट घोषित कर दिया।

मोबाइल इंटरनेट और 3G की क्रांति और इसका प्रभाव

2000 के दशक के मध्य में मोबाइल इंटरनेट ने भारत में इंटरनेट को नए आयाम दिए। 3G और बाद में 4G नेटवर्क की उपलब्धता से इंटरनेट उपयोगकर्ता बढ़े और इंटरनेट की पहुंच आम लोगों तक पहुंची। ये बदलाव सबसे बड़े पैमाने पर ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट के विस्तार के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

वर्तमान स्थिति: भारत में इंटरनेट का विस्फोटक विस्तार

2023 तक भारत में 70 करोड़ से अधिक एक्टिव इंटरनेट उपयोगकर्ता हो चुके हैं, जो देश की आधी आबादी से ज्यादा हैं। इनमें से करीब 40 करोड़ ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जो इंटरनेट पहुंच के नए युग को दर्शाता है। इंटरनेट की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है और 100Mbps से ऊपर की स्पीड भी आसानी से उपलब्ध हो रही है।

भारत में मोबाइल डेटा सबसे सस्ता और हर जगह पर आसानी से और किफायती दामों में मिल रहा है, जो डिजिटल सेवाओं, ऑनलाइन शिक्षा, व्यवसाय और मनोरंजन के लिए बड़े गढ़ के तौर पर नजर आ रहा है। इसके साथ ही, भारत सरकार की डिजिटल इंडिया, भारतनेट और अन्य पहल आदि ने देश के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान की है।

आने वाला भविष्य: 5G और उसके बाद

5G टेक्नोलॉजी भारत में इंटरनेट का एक नया और क्रांतिकारी युग इस समय चल रहा है। 5G नेटवर्क फ़ास्ट स्पीड, लो लेटेंसी, और बड़े डेटा ट्रांसफर की क्षमता अब निरंतर बढ़ती ही जा रही है। इससे स्मार्ट सिटीज़, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), इंडस्ट्रियल 4.0 और सेल्फ ड्राइविंग कार जैसे प्रोजेक्ट्स को मजबूत सपोर्ट भी मिल रहा है।

टाटा कम्युनिकेशन, क्वालकॉम जैसे बड़े दिग्गज इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं, जो भारत को वैश्विक डिजिटल नक़्शे पर और ऊंचा स्थान दिलाने में लगे हुए हैं।

1995 की आधिकारिक शुरुआत से अब तक इंटरनेट ने भारत के कारोबार, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, और सामाजिक अभियानों के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। एक ऐसे देश के लिए जो विकास के सफर पर तेजी से बढ़ रहा है, इंटरनेट ने डिजिटल क्रांति को बढ़ावा दिया है और अब इसका भविष्य 5G, क्लाउड कम्प्यूटिंग और एआई के साथ नई ऊंचाइयां छूता नजर आ रहा है। इंटरनेट की यह यात्रा न सिर्फ भारत के लिए तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि आर्थिक विकास की एक मजबूत नींव भी है।

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Ashwani Kumar

Ashwani Kumar

Ashwani Kumar has been the heart of Digit Hindi for nearly nine years, now serving as Senior Editor and leading the Vernac team with passion. He’s known for making complex tech simple and relatable, helping millions discover gadgets, reviews, and news in their own language. Ashwani’s approachable writing and commitment have turned Digit Hindi into a trusted tech haven for regional readers across India, bridging the gap between technology and everyday life. View Full Profile

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