15 साल बाद मंगल पर NASA के अपॉर्च्युनिटी यान का सफ़र हुआ ख़त्म, अब नहीं करेगा जीवन की तलाश

Updated on 15-Feb-2019
HIGHLIGHTS

जून 2018 में मंगल ग्रह पर एक बड़े भवंडर आने के बाद अपॉर्च्युनिटी यान को काफी नुकसान पहुंचा था और इसके बाद से यान से संपर्क नहीं हो पाया है। अब NASA ने इस अभियान को ख़त्म करने की घोषणा कर दी है।

पिछले आठ महीनों से अपॉर्च्युनिटी यान से सम्पर्क करने की कोशिशें नाकाम रही हैं और इसलिए इस अभियान को ख़त्म करने की घोषणा की गई है। जून 2018 में मंगल ग्रह पर एक बड़े भवंडर आने के बाद अपॉर्च्युनिटी यान को काफी नुकसान पहुंचा था और इसके बाद से ही यान द्वारा धरती पर सिग्नल मिलना बंद हो गया था।

उसी समय से नासा ने यान से संपर्क के लिए कई कोशिशें की हैं लेकिन फिर भी नासा के जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी में स्पेस फ्लाइट ऑपरेशंस फैसलिटी के इंजीनियर्स को सफलता नहीं मिल पाई। बीते मंगलवार को संपर्क कायम न करने के बाद इस अभियान को ख़त्म करने की घोषणा कर दी गई है। अपॉर्च्युनिटी यान सौर ऊर्जा से चालित यान था और आखिरी बार पिछले साल 10 जून को इससे संपर्क हुआ था।

इस यान को लाल ग्रह पर 90 दिनों तक रहने और एक किलोमीटर की यात्रा के लिए तैयार किया गया था लेकिन इसने कई गुना अच्छा काम किया। अपॉर्च्युनिटी रोवर ने निर्धारित समय में 60 गुना से अधिक समय गुज़ारा और करीब 45 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर के ज़रूरी जानकारी भेजी।

NASA के विज्ञान अभियान निदेशालय के सहायक प्रशासक Thomas Zurbuchen ने बताया कि अपॉर्च्युनिटी रोवर ने एक दशक से अधिक समय बिता कर अंतरिक्ष अन्वेषण में एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। इसने मंगल के अनछुए पहलुओं से वाकिफ कराया है। यह यान24 जनवरी 2004 को मंगल ग्रह पर पहुंचा था।

NASA का यह क्यूरियोसिटी रोवर कई पहलुओं में बहुत ख़ास है। यह नासा की ओर से बनाया गया अब तक का सबसे भारी और बड़ा अंतरिक्ष याँ था और यह नासा के दस सबसे विशिष्ट और तकनीक संपन्न अंतरिक्ष उपकरणों को लेकर गया था। इस यान में एक ऐसा सॉफ्टवेयर भी मौजूद था जो बिना किसी वैज्ञानिक की मदद से स्वचालित लेंडिंग कर सकता था।

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Aafreen Chaudhary

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