NASA अलर्ट पर है. एक बड़ा अंतरिक्ष चट्टान इस वीकेंड पृथ्वी के पास से गुजरने वाला है. रिपोर्ट के अनुसार, 2004 XG नाम का एस्टेरॉयड धरती के सबसे नजदीक 16 फरवरी को भारतीय समयानुसार सुबह 8:05 बजे आएगा. हालांकि, इस एस्टेरॉयड को ज्यादा खतरनाक नहीं माना जा रहा है. लेकिन, इसकी स्पीड वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बनी है.
2004 XG एस्टेरॉयड एटेन समूह से संबंधित है. यह धरती के नजदीक की ऑब्जेक्ट्स (NEO) का एक वर्ग है जो पृथ्वी के पास परिक्रमा करते हैं. अच्छी बात है कि 2004 XG हमारे ग्रह से 59 लाख किलोमीटर दूर से निकल जाएगा. इस दूरी को सुरक्षित माना जा सकता है. हालांकि, खगोलीय मायनों में एक कॉस्मिक क्लोज कॉल है. यह इशारा करती है कि अंतरिक्ष चट्टानें कितनी बार हमारी दुनिया के नजदीक आती हैं.
2004 XG एस्टेरॉयड दुनियाभर में तबाही मचाने के लिए पर्याप्त बड़ा नहीं है. लेकिन, इसकी सीधी टक्कर विनाशकारी परिणाम दे सकता है. इसका साइज 170 फुट का है. इसकी तुलना एस्टेरॉयड चेल्याबिंस्क उल्कापिंड से की जा सकती है. जो साल 2013 में रूस के ऊपर फटा था. इसके शक्तिशाली शॉकवेव के कारण 1,500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
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अगर इस आकार का एक एस्टेरॉयड किसी शहर से टकराता तो यह इमारतों को चपटा कर सकता है. इस तरह का एस्टेरॉयड बड़े पैमाने पर विस्फोट का कारण बन सकता है और कई किलोमीटर तक आग लगा सकता है. धरती को असली खतरा बड़े एस्टेरॉयड से है. ऐसे एस्टेरॉयड को वैज्ञानिक संभावित तौर पर खतरनाक कहते हैं.
ऐसे एस्टेरॉयड कम से कम 460 फिट चौड़े होते हैं. अगर ये कभी पृथ्वी से टकराते हैं तो विनाश का कारण बन सकते हैं. ऐसे एस्टेरॉयड के टकराने से धरती पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ सकता है जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को उठाना पड़ सकता है.
ऐसे एस्टेरॉयड को ट्रैक करने के लिए NASA और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियां एडवांस्ड ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं. ये एजेंसियां लगातार इन एस्टेरॉयड पर नजर रखती हैं. इसके अलावा सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडी (CNEOS) स्टेरॉयड कक्षाओं की गणना करता है और किसी भी संभावित प्रभाव जोखिम का आंकलन करता है.
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