कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता Irvine, ने इस तकनीक को विकसित किया है. यह एक बैटरी है जो 400 गुना ज्यादा चलने वाली है.
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता Irvine, ने एक ऐसा तकनीक (बैटरी) का विकास किया है जिसके माध्यम से 400 गुना ज्यादा काम कर सकती है, यानी नार्मल बैटरी से ये बैटरी 400 गुना ज्यादा काम करने वाली है. साइंस हुक की रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ता एक बैटरी की खोज में थे जिसमें इलेक्ट्रोलाइट गेल का इस्तेमाल किया जा सके, इसे लिथियम के स्थान पर इस्तेमाल किया गया है. इसका कारण है कि लिथियम पर तापमान का ज्यादा असर होता है और इससे बनी बैटरी को बहुत ज्यादा बार चार्ज हबी किया जाता है. इसके बाद ही यह काम करती हैं. इसके बाद ही शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोलाइट गेल को इस्तेमाल करने की सोची और इसे इस्तेमाल करके एक ऐसी बैटरी का निर्माण हो सका जो नार्मल बैटरी से 400 गुना अधिक चलने में सक्षम है. इस बैटरी को आप 200,000 साइकिल में चला सकते हैं बिना किसी रुकावट के लेकिन लिथियम की बैटरी के साथ ऐसा नहीं था यह केवल 7000 साइकिल ही पूरा कर पाती थी.
लेकिन बता दें कि बैटरियों में नैनोवायर्स का इस्तेमाल कोई नया नहीं है. जिसे इस नई बैटरी में इस्तेमाल किया गया है वह काफी पुरानी कई जा सकती है. इसके अलावा यह भी कहा जा सकता है कि नई बैटरियों को इसलिए ही बनाया जा रहा है या एक समय सीमा तक पहुँचने के लिए ही बनाया जा रहा है. यहाँ आपको बता दें कि एक साइकिल का मतलब लगभग एक बैटरी के खत्म हो जाने जितना है.
Disclaimer: Digit, like all other media houses, gives you links to online stores which contain embedded affiliate information, which allows us to get a tiny percentage of your purchase back from the online store. We urge all our readers to use our Buy button links to make their purchases as a way of supporting our work. If you are a user who already does this, thank you for supporting and keeping unbiased technology journalism alive in India.