AI की रेस शुरू हो चुकी है. अमेरिका, चीन जैसे देश इसमें काफी आगे भी निकल गए हैं. हालांकि, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने साफ कहा है कि भारत AI रेस में पीछे नहीं है. ET NOW बिजनेस कॉन्क्लेव एंड अवॉर्ड्स 2025 में उन्होंने ग्लोबल AI लैंडस्केप में स्थिति को लेकर चिंताओं का जवाब दिया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि हालांकि AI रेस करीब दो साल पुरानी है. लेकिन, भारत ने खासतौर पर AI को अपनाने और इसके एप्लीकेशन में बड़ी प्रगति की है. उन्होंने बताया कि इस मामले में भारत “निश्चित रूप से अमेरिका, चीन और हर दूसरे देश के साथ आगे की पंक्ति में है.”
उनका मानना है कि फाउंडेशनल AI और गहरी रिसर्च में अमेरिका और चीन थोड़ा आगे हो सकते हैं, लेकिन ये धारणा खारिज कर दी कि भारत इसमें निष्क्रिय भागीदार है. उन्होंने कहा कि “हम अभी AI के शुरुआती दिनों में हैं. फाइनल रेस कुछ साल बाद होगी.” उन्होंने यह जवाब राजनीतिक विरोधियों की आलोचनाओं पर देते हुए कहा, जो कहते हैं कि भारत AI की पार्टी में देर से पहुंचा है.
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चंद्रशेखर ने स्टीव जॉब्स के एक कोट का उदाहरण दिया और कहा कि आलोचकों के पास अक्सर ऐसी प्रगति पर टिप्पणी करने का बैकग्राउंड नहीं होता. उन्होंने बताया कि AI रेस अभी शुरूआती दौर में है और AI को अपनाने व इसके एप्लीकेशन पर भारत का फोकस इसे ग्लोबल लीडर्स के साथ सबसे आगे रखता है.
चंद्रशेखर ने भारत के AI डेवलपमेंट के अनोखे अप्रोच को भी रेखांकित किया. उनके अनुसार, ये रणनीति हेल्थकेयर, एजुकेशन और एग्रीकल्चर जैसे सेक्टर्स के लिए खास एक्सपर्ट मॉडल्स बनाने पर प्राथमिकता देती है, न कि बड़े लैंग्वेज मॉडल्स की रेस में हिस्सा लेने पर. उन्होंने आगे कहा कि “हमारा अप्रोच बड़े लैंग्वेज मॉडल्स या जनरल-पर्पस मॉडल्स के बारे में नहीं है… हमारा इकोसिस्टम का फोकस ऐसे यूज केसेज बनाने पर है जो बड़े हों.”
कार्यक्रम के आखिरी में चंद्रशेखर ने भारत की AI डोमेन में प्रगति पर भरोसा जताया. उन्होंने देश की अपनी क्षमताएं विकसित करने की प्रतिबद्धता को हाइलाइट किया. जिसमें मॉडल्स और डेटासेट्स शामिल हैं. उन्होंने इस टेक्नोलॉजी को उन देशों के साथ शेयर करने की बात कही जो इसके अभाव में हैं. उन्होंने भरोसा जताया कि हम पहले से ही इसमें हैं और हम काफी कॉम्पिटिटिव, इनोवेटिव पार्टिसिपेंट्स होंगे कि AI का भविष्य कैसे आकार लेगा.
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