डिजिटल भारत का सपना पूरा करने के लिए सरकार को अभी कई जतन करने पड़ेंगे

Updated on 11-Nov-2014

सरकार की महत्वाकांक्षी ‘डिजिटल इंडिया’ योजना मुख्य रूप से मोबाइल ब्रॉडबैंड के विकास पर आधारित है। स्मार्टफोन यूजर्स की बढ़ती हुई संख्या के अतिरिक्त, ‘वायरलेस’ या यूं कहें कि ‘न दिखने वाले नेटटवर्क’ का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या बहुत कम है। 3जी के आने से टेलीकॉम सेक्टर में एक प्रकार की क्रांति की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इसके प्रसार की धीमी गति और कम कीमत में डाटा पैक की अनुपलब्धता के कारण यह उम्मीद बेकार ही साबित हुई है। अब नजरें टिकी हैं ‘नेक्स्ट जेनेरेशन ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी’ मानी जा रही ‘एलटीई (LTE) पर। पिछले अनुभवओं और आज की स्थिति के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘डिजिटल भारत अभियान’ की सफलता का दारोमदार पूरी तरह एलटीई के प्रसार और विकास पर निर्भर है।

हालांकि इसके अलावे ‘कम कीमत के डिवाइस एकोसिस्टम’, डाटा का प्रसार, उपलब्ध बैंड में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम जैसे कई अन्य कारकों पर भी इस ‘डिजिटल इंडिया विजन’ की सफलता निर्भर करती है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। भारत में एरिक्सन के स्ट्रैटजी और मार्केटिंग़ के उपाध्यक्ष तथा प्रमुख श्री अजय गुप्ता कहते हैं, “मोबाइल ब्रॉडबैंड वह प्लेटफॉर्म है जिसपर ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना पूरा किया जा सकता है। इसके लिए हमें उपलब्ध बैंड में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम जोड़ना होगा। इससे डिवाइस की कीमत कम होगी, यह ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच के अंदर आएगा और इसका प्रसार बढ़ेगा। विश्व स्तर पर ऑपरेटर्स के पास उपलब्ध मोबाइल ब्रॉडबैंड की तुलना में भारतीय ऑपरेटर्स के पास बहुत कम स्पेक्ट्रम उपलब्ध हैं। लंबे समय के लिए भारत में मोबाइल ब्रॉडबैंड के प्रसार में स्पेक्ट्रम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। भविष्य में भी उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करने और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह अति महत्वपूर्ण होगा।“

एरिक्सन ने अपने श्वेत-पत्र में “इंडिया 2020: ब्रिंगिंग दी नेटवर्क्ड सोसायटी टू लाइफ (India 2020: Bringing the Networked Society to Life)’ का अधिकार प्रकाशित किया है। एरिक्सन के इस श्वेत पत्र के अनुसार भारत सरकार के ब्रॉडबैंड आधारित विजन को पूरा करने के लिए ऑपरेटर्स को सरकार से अधिक संख्या में स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी। इस प्रकार उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार नया नेटवर्क और लाभकारी मॉडल बनाना होगा ताकि भविष्य के लिए लंबे समय तक काम करने वाले एक व्यवहारपरक नीति का विकास किया जा सके। 

श्वेत-पत्र में प्रस्ताव रखा गया है कि सन् 2020 तक 600 मिलियन कनेक्शन देने का का भारत सरकार का ब्रॉडबैंड कनेक्शन लक्ष्य केवल तभी पूरा किया जा सकता है जब विश्व स्तर का सामंजस्य बनाते हुए सही समय पर पर्याप्त संख्या में स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराए जाएंगे।

इसके अलावे, प्रति उपयोगकर्ता उच्च बैंडविड्थ उपलब्ध कराने के लिए सरकार और इंडस्ट्रीज को एक साथ मिलकर काम करना होगा। प्रसार और मांग बढ़ने के साथ ही भारत में सब-यूएसडी50 हैंडसेट्स, त्वरित और सुव्यवस्थित स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया, तीव्र गति पर आधारित अलग-अलग 3जी और 4जी नेटवर्क, आकर्षक डाटा पैक्स और उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव की सुविधा उपलब्ध कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।

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