AC on Solar: गर्मी का सीजन आते ही घरों में एयर कंडीशनर (AC) की जरूरत बढ़ जाती है. उत्तर भारत में अप्रैल से सितंबर-अक्टूबर तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है. जिससे AC एक जरूरत बन गया है. लेकिन AC लगाने का मतलब है बिजली का बिल भी आसमान छूने लगता है. अगर आप 1.5 टन का AC यूज करते हैं तो औसतन रोजाना 100 रुपये का खर्चा आ सकता है, यानी महीने में करीब 3,000 रुपये. छह महीने के गर्मी के सीजन में ये बिल 15,000 से 18,000 रुपये तक पहुंच सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि AC चलाने के लिए कितने सोलर पैनल्स चाहिए?
बढ़ते बिजली बिल से बचने के लिए अब लोग सोलर पैनल्स की तरफ रुख कर रहे हैं. अच्छी बात यह है कि सोलर एनर्जी से न सिर्फ आपका AC चलेगा, बल्कि पूरे घर की बिजली की जरूरत भी पूरी हो सकती है. एक 1.5 टन AC को चलाने के लिए आपको कम से कम 5kW सोलर पैनल सिस्टम चाहिए. इसमें करीब 10 सोलर पैनल्स लगते हैं, जिनकी कीमत लगभग 5 लाख रुपये हो सकती है. यह सिस्टम न सिर्फ AC, बल्कि घर के बाकी अप्लायंसेज जैसे फ्रिज, पंखे और लाइट्स भी चला सकता है.
सोलर पैनल्स सूरज की रोशनी से डायरेक्ट करंट (DC) जनरेट करते हैं. जिसे सोलर इन्वर्टर अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदलता है. यह बिजली आपके घर के अप्लायंसेज को पावर देती है. दिन में सोलर पैनल्स डायरेक्ट बिजली सप्लाई करते हैं, और अगर बैटरी है, तो रात में भी बिजली मिलती है.
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AC की बिजली खपत: एक 1.5 टन AC औसतन 1.5-2 kW प्रति घंटा बिजली खाता है. अगर आप इसे 8 घंटे रोज चलाते हैं, तो 12-16 kWh डेली चाहिए. 5kW सोलर सिस्टम दिन में 20-25 kWh बिजली जनरेट कर सकता है (5-6 घंटे धूप मानकर), जो AC और बाकी अप्लायंसेज के लिए काफी है.
अगर आप AC यूज करते हुए बिजली बिल को पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं तो सोलर सिस्टम आपके लिए गेम-चेंजर हो सकता है. लेकिन सही सिस्टम चुनना जरूरी है. यहां अलग-अलग ऑप्शन्स आपको डिटेल्स में बता रहे हैं.
यह सिस्टम पूरी तरह सोलर पैनल्स और बैटरी पर चलता है, बिना बिजली विभाग की ग्रिड के.
दिन में सोलर पैनल्स बिजली बनाते हैं और एक्स्ट्रा एनर्जी बैटरी में स्टोर होती है. रात में बैटरी AC और बाकी अप्लायंसेज को पावर देती है.
हालांकि, इसकी लिमिटेशन भी है. एक स्टैंडर्ड बैटरी (10 kWh) AC को रात में 2-3 घंटे ही चला सकती है. अगर ज्यादा घंटे चाहिए तो बड़ी बैटरी या ज्यादा पैनल्स लगाने पड़ेंगे. 5kW ऑफ-ग्रिड सिस्टम (पैनल्स, बैटरी, इन्वर्टर) की कीमत 4.5-6 लाख रुपये हो सकती है.
यह सिस्टम बिजली विभाग की ग्रिड से कनेक्टेड होता है. दिन में सोलर पैनल्स बिजली जनरेट करते हैं और अगर एक्स्ट्रा बिजली बनती है तो वो ग्रिड में चली जाती है. रात में आप ग्रिड से बिजली यूज करते हैं. कई राज्यों में नेट मीटरिंग के जरिए आप एक्स्ट्रा बिजली के बदले क्रेडिट्स कमा सकते हैं.
इसके कई फायदे भी हैं. इसमें बैटरी की जरूरत नहीं तो कॉस्ट कम (3.5-4.5 लाख रुपये 5kW सिस्टम के लिए) आता है. ग्रिड से रात में बिजली मिलती है तो AC लंबे समय तक चल सकता है.
इसकी भी कुछ लिमिटेशन है. पावर कट्स में दिक्कत हो सकती है. बिजली विभाग से अप्रूवल चाहिए.
यह ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड का मिक्स है, जिसमें बैटरी और ग्रिड दोनों का सपोर्ट होता है. दिन में सोलर पैनल्स बिजली बनाते हैं, एक्स्ट्रा एनर्जी बैटरी या ग्रिड में जाती है. रात में बैटरी या ग्रिड से बिजली मिलती है. पावर कट्स में बैटरी बैकअप देती है.
बिजली बिल बचाने के साथ पावर कट्स से भी प्रोटेक्शन मिलता है. ग्रिड में एक्स्ट्रा बिजली भेजकर क्रेडिट्स कमा सकते हैं. 5kW हाइब्रिड सिस्टम की कीमत 5-7 लाख रुपये हो सकती है.
ऑफ-ग्रिड: अगर आप पूरी तरह बिजली विभाग से आज़ादी चाहते हैं और ग्रिड कनेक्शन नहीं है, तो ये ऑप्शन अच्छा है. लेकिन बैटरी की कॉस्ट और लिमिटेड नाइट बैकअप को ध्यान में रखें.
ऑन-ग्रिड: अगर आपके इलाके में बिजली सप्लाई स्टेबल है और नेट मीटरिंग उपलब्ध है, तो यह सबसे किफायती ऑप्शन है. उत्तर भारत के शहरों जैसे दिल्ली, लखनऊ, या जयपुर, में ये पॉपुलर है.
हाइब्रिड: बिजली बिल बचाने और पावर कट्स से बचने के लिए बेस्ट. अगर आपके घर में AC, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे भारी अप्लायंसेज हैं तो हाइब्रिड सिस्टम लॉन्ग-टर्म फायदे देगा.
1.5 टन AC के लिए: 5kW सिस्टम (10 पैनल्स, 550W प्रत्येक) काफी है. यह दिन में 20-25 kWh बिजली बनाता है, जो AC (12-16 kWh) और बाकी अप्लायंसेज (5-10 kWh) के लिए पर्याप्त है.
अगर आपके घर में 2 AC, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और कई लाइट्स हैं तो 7-10 kW सिस्टम (14-20 पैनल्स) की जरूरत पड़ सकती है. जिसकी कॉस्ट 7-10 लाख रुपये तक जा सकती है.
भारत सरकार और कई राज्य सरकारें (जैसे दिल्ली, UP, हरियाणा) सोलर सिस्टम्स पर 30-50% सब्सिडी देती हैं. 5kW सिस्टम पर ₹1-1.5 लाख तक की छूट मिल सकती है. 5kW सिस्टम से आप सालाना 7,000-9,000 kWh बिजली जनरेट कर सकते हैं, जो ₹50,000-₹70,000 (₹8/kWh मानकर) की बचत देता है. 7-8 साल में सिस्टम की कॉस्ट रिकवर हो सकती है.