इस भीषण गर्मी में अब AC के बिना गुजारा करना मुश्किल हो गया है. यह हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. लेकिन, जो लोग पहले से AC इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके दिमाग में एक सवाल आता है क्या हर साल AC की सर्विसिंग करवानी जरूरी है? यह कोई रुटीन काम नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरर्स और HVAC एक्सपर्ट्स की सलाह है.
अगर आप सोच रहे हैं कि सर्विसिंग स्किप करके कुछ पैसे बचा लें तो रुकिए! यह छोटा सा फैसला आपके AC और जेब पर भारी पड़ सकता है. सालाना AC सर्विसिंग क्यों जरूरी है, इससे क्या होता है, इसके फायदे क्या हैं और इसे इग्नोर करने की कीमत क्या हो सकती है.
AC कोई जादू की मशीन नहीं, यह भी समय के साथ घिसता-पिटता है. नियमित सर्विसिंग इसे टिप-टॉप रखती है. ज्यादातर मैन्युफैक्चरर्स वारंटी के लिए सालाना सर्विसिंग की सलाह देते हैं ताकि AC की उम्र बढ़े.
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एफिशिएंसी बरकरार: धूल और कचरा फिल्टर्स, कॉइल्स और इंटरनल पार्ट्स पर जम जाता है, जिससे एयरफ्लो और कूलिंग कमज़ोर पड़ती है. सालाना सफाई इसे फुल फॉर्म में लाती है.
प्रिवेंटिव केयर: सर्विसिंग में रेफ्रिजरेंट लीक, खराब पार्ट्स या इलेक्ट्रिकल फॉल्ट्स जैसी दिक्कतें पहले ही पकड़ ली जाती हैं, जिससे अचानक ब्रेकडाउन का खतरा कम होता है.
बिजली की बचत: अच्छे से मेंटेन किया गया AC कम बिजली खाता है, जिससे बिल में फर्क दिखता है.
एयर क्वालिटी: साफ फिल्टर्स और डक्ट्स हवा को शुद्ध रखते हैं, एलर्जन्स और प्रदूषकों को कम करते हैं.
लंबी उम्र: सर्विसिंग बड़े कंपोनेंट्स के फेल होने से बचाती है और AC को ज्यादा सालों तक चलने देती है.
एक स्टैंडर्ड AC सर्विस में क्लीनिंग, इंस्पेक्शन, लुब्रिकेशन और परफॉरमेंस टेस्टिंग शामिल होती है. सर्विस प्रोवाइडर और सिस्टम टाइप (स्प्लिट, विंडो, सेंट्रल) के हिसाब से प्रोसेस थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसमें ये चीजे होती हैं:
एयर फिल्टर्स की सफाई/रिप्लेसमेंट: फिल्टर्स में जमा धूल और कचरे को हटाया जाता है या नए फिल्टर्स लगाए जाते हैं, जिससे एयरफ्लो और एयर क्वालिटी बेहतर होती है.
रेफ्रिजरेंट लेवल चेक: टेक्नीशियन रेफ्रिजरेंट की सही मात्रा चेक करते हैं और लीक की जांच करते हैं.
कॉइल क्लीनिंग: इवेपोरेटर और कंडेंसर कॉइल्स को साफ किया जाता है ताकि हीट एक्सचेंज बेहतर हो.
ड्रेन लाइन चेक: कंडेंसेट ड्रेन लाइन को चेक और फ्लश किया जाता है ताकि ब्लॉकेज या वॉटर लीक न हो.
इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स टेस्टिंग: कनेक्शन्स, कैपेसिटर्स और स्विचेस की जांच होती है.
थर्मोस्टेट कैलिब्रेशन: थर्मोस्टेट की सेटिंग्स और फंक्शन्स की सटीकता चेक की जाती है.
फैन और ब्लोअर चेक: मोटर और ब्लेड्स को चेक और लुब्रिकेट किया जाता है.
परफॉरमेंस टेस्ट: कूलिंग एफिशिएंसी और एयरफ्लो को मापा जाता है ताकि सिस्टम ठीक काम कर रहा हो.
बेहतर एनर्जी एफिशिएंसी: साफ कंपोनेंट्स और सही रेफ्रिजरेंट लेवल बिजली की खपत कम करते हैं.
कम रिपेयर कॉस्ट: छोटी दिक्कतों को पहले पकड़ने से बड़े खर्चे बचते हैं.
ज्यादा उम्र: रेगुलर मेंटेनेंस सिस्टम पर स्ट्रेस कम करता है, जिससे AC ज़्यादा साल चलता है.
कंसिस्टेंट कूलिंग: सालाना सर्विसिंग से एकसमान कूलिंग और टेम्परेचर कंट्रोल मिलता है.
वारंटी वैलिडिटी: कुछ मैन्युफैक्चरर्स की वारंटी के लिए रेगुलर सर्विसिंग जरूरी होती है.
सेफ्टी: इलेक्ट्रिकल चेक्स और पार्ट्स की जांच से आग या गैस लीक का खतरा कम होता है.
कम एफिशिएंसी: गंदे फिल्टर्स और कॉइल्स AC को ज़्यादा मेहनत करने पर मजबूर करते हैं, जिससे बिजली ज्यादा खर्च होती है.
ज्यादा बिजली बिल: कम एफिशिएंसी का सीधा असर बिल पर पड़ता है.
बार-बार ब्रेकडाउन: छोटी-मोटी दिक्कतें बड़ी खराबी बन सकती हैं, जिससे सिस्टम बंद हो सकता है.
खराब एयर क्वालिटी: जमा हुए प्रदूषक और एलर्जन्स हवा में फैलते हैं, जो सांस की सेहत के लिए खराब है.
कम उम्र: ओवरस्ट्रेस्ड कंपोनेंट्स जल्दी खराब होते हैं, जिससे AC की लाइफ कम हो जाती है.
महंगे इमरजेंसी रिपेयर्स: अचानक खराबी से ज़्यादा खर्चीली सर्विसिंग करानी पड़ सकती है.
AC सर्विसिंग की लागत सिस्टम टाइप, सर्विस प्रोवाइडर और लोकेशन के हिसाब से अलग-अलग होती है. औसतन:
रेजिडेंशियल विंडो/स्प्लिट AC: ₹500 से ₹1,500 (लगभग)
सेंट्रल AC सिस्टम्स: ₹2,000 से ₹5,000 (लगभग)
AMC (एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट्स): मल्टीपल विज़िट्स और इमरजेंसी सर्विसिंग वाले पैकेज ज़्यादा महंगे हो सकते हैं, लेकिन लंबे समय में वैल्यू देते हैं.
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