क्या आपने कभी कल्पना की है अगर चांद पर मोबाइल टावर होने का? अगर नहीं तो अब कल्पना भी छोड़िए यह सच होने जा रहा है. नासा आज गुरुवार को Athena लैंडर लॉन्च करने जा रहा है, जो चांद पर पहला मोबाइल नेटवर्क डिप्लॉय करेगा. यह ऐतिहासिक मिशन Intuitive Machines के IM-2 मिशन का हिस्सा है.
इस मिशन को Nokia के साथ कोलैबोरेशन से मुमकिन बनाया गया है. Nokia की ओर से डेवलप किया गया Lunar Surface Communication System (LSCS) धरती पर यूज होने वाली सेल्युलर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके चांद की सतह पर कनेक्टिविटी स्थापित करेगा.
यह नेटवर्क लैंडर और लूनर व्हीकल्स के बीच हाई-डेफिनेशन वीडियो स्ट्रीमिंग, कमांड-एंड-कंट्रोल कम्युनिकेशन्स और टेलीमेट्री डेटा ट्रांसफर को सपोर्ट करेगा. इसे स्पेस की मुश्किल कंडीशन्स, जैसे एक्सट्रीम टेम्परेचर और रेडिएशन, को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है.
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आपको बता दें कि मिशन में दो लूनर मोबिलिटी व्हीकल्स शामिल हैं—Intuitive Machines का Micro-Nova Hopper और Lunar Outpost का Mobile Autonomous Prospecting Platform (MAPP) रोवर. ये व्हीकल्स Nokia के डिवाइस मॉड्यूल्स यूज करके लैंडर के नेटवर्क से कनेक्ट होंगे.
मोबाइल नेटवर्क डिप्लॉयमेंट के साथ-साथ नासा का Polar Resources Ice Mining Experiment 1 (PRIME-1) भी होगा. ये एक्सपेरिमेंट चांद की सतह में ड्रिल करके रेगोलिथ निकालेगा और मैस स्पेक्ट्रोमीटर से वोलेटाइल्स का एनालिसिस करेगा.
चांद पर मोबाइल नेटवर्क की स्थापना स्पेस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में एक बड़ी छलांग है. यह नासा के Artemis प्रोग्राम सहित भविष्य के लूनर मिशन्स का रास्ता तैयार करता है, जो 2028 तक इंसानों को चांद पर वापस लाने की प्लानिंग कर रहा है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Nokia का विजन है कि यह नेटवर्क चांद पर लॉन्ग-टर्म ह्यूमन एक्टिविटीज को सपोर्ट करे. जिसमें भविष्य के एस्ट्रोनॉट्स के लिए स्पेससूट्स में सेल कम्युनिकेशन्स को इंटीग्रेट करने की संभावना भी शामिल है. जैसे-जैसे चांद तक पहुंच आसान होती जा रही है, ऐसे एडवांसमेंट्स स्पेस एक्सप्लोरेशन और चांद पर संभावित बस्तियों के भविष्य को शेप देने में अहम रोल निभाएंगे.