चीन में iPhone Q4 की शिपमेंट में 22 फीसदी की गिरावट

Updated on 28-Jan-2019
HIGHLIGHTS

जहां दो सालों से लगातार चीन दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन मार्केट्स में से एक बना हुआ है वहीँ अब एप्पल ने भी टक्कर दी है। एप्पल अब अपने मार्किट शेयर का विस्तार करते हुए भारत और चीन का रुख कर रहा है।

खास बातें:

  • चीन iPhone शिपमेंट में 22% गिरावट
  • Apple बना चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता
  • दो सालों से एप्पल दे रहा शाओमी को टक्कर

 

2018 के आखिरी क्वाटर में Apple iPhone की शिपमेंट में 22 फीसदी की गिरावट चीन में पायी गयी। Cupertino आधारित इस कंपनी ने चीनी मार्किट की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी शाओमी को कड़ी टक्कर दी है। आपको बता दें कि चीन दुनिया की स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों में से एक है और सालों में Apple अपने मार्किट शेयर को बढ़ाने और उसका विस्तार करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया है जिससे कि वह भारत और चीन में भी ज़्यादा से ज़्यादा यूज़र्स के बीच पहुंच सके। 

Market researcher Strategy Analytics ने 2018 के आखिरी क्वाटर की चीनी मार्किट की एक रिपोर्ट निकाली है। रिपोर्ट का कहना है कि Apple ने Xiaomi की जगह ली है और वह 10 फीसदी मार्किट शेयर के साथ चीन में चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बन चुका  है। वहीँ iPhone शिपमेंट में सालाना तौर पर 22 फीसदी गिरावट आयी है जिससे 2017 से उसकी सबसे ख़राब परफॉरमेंस का खुलासा होता है।

दरअसल काफी लम्बे समय से Qualcomm के साथ एप्पल की आनाकानी चल रही है जिसके चलते चीन की कोर्ट भी चिप मेकर के खिलाफ रही। इसके साथ कोर्ट ने कुछ iPhone models की चीन में हो रही बिक्री पर भी रोक लगा दी। इसी के साथ एप्पल में आयी इस गिरावट की दूसरी वजह राजनीतिक मुद्दा भी हो सकता है। दरअसल Huawei के Chief Financial Officer, Meng Wanzhou कैनेडियन अथॉरिटीज ने अरेस्ट कर लिया था। 

इसके चलते चीनी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को iPhone को छोड़ने और Huawei स्मार्टफोन्स का रुख करने के लिए भारी इन्सेन्टिव्स भी दिया था।आपको बता दें कि वहीँ  कुछ  कर्मचारियों को ऐसा न करने पर, एप्पल का साथ देने पर पैनल्टी भी देनी पड़ी।

इस तरह ये कई वजह हो सकती है जिसने एप्पल को चीनी मार्किट में जगह न दी हो। Apple CEO Tim Cook जारी किया है अपनी लास्ट एअर्निंग को लेते हुए और कहा है कि Apple अब अपने बिकी हुई यूनिट्स का खुलासा नहीं करेगा जिससे कि इन्वेस्टर्स रेवेन्यू पर फोकस कर सकें।

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