UPI में बड़ा बदलाव! 1 अप्रैल से बदल जाएंगे ये नियम, अभी समझ लें वर्ना हो सकती है दिक्कत

Updated on 05-Mar-2025

UPI New Rule: नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने हाल ही में एक नया सर्कुलर जारी किया है. यह UPI पेमेंट्स को और बेहतर बनाने वाला है. UPI यूजर्स के लिए भी इससे काफी कुछ बदल जाएगा. आपको बता दें कि यह बदलाव 1 अप्रैल से लागू होगा. इस बदलाव से Numeric UPI ID Mapper के साथ UPI नंबर को रोलआउट किया जाएगा.

आपको बता दें कि पिछले साल 16 जुलाई 2024 को UPI स्टीयरिंग कमेटी की मीटिंग हुई थी. इन सबका मकसद था UPI नंबर बेस्ड पेमेंट्स में इंटरऑपरेबिलिटी और यूजर सुविधा को बढ़ाना था. आइए आपको बताते हैं कि 1 अप्रैल 2025 से क्या बदलने वाला है और ये आपके लिए क्या मायने रखता है?

क्या है नया UPI नियम?

NPCI के नए नियमों के मुताबिक, बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSP) को अपनी लिस्ट अपडेट करनी होगी. इसमें उन मोबाइल नंबर्स को हटाना होगा जो डिस्कनेक्ट हो गए हैं या सरेंडर कर दिए गए हैं. सर्कुलर में साफ कहा गया है कि बैंकों को अपने डेटाबेस को नियमित अंतराल पर अपडेट करना होगा. और यह अपडेट कम से कम हफ्ते में एक बार करना जरूरी है. इससे पुराने या रद्द हुए नंबर्स की वजह से होने वाली गलतियां कम होंगी.

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NPCI का कहना है कि अगर डिस्कनेक्टेड मोबाइल नंबर्स सही तरीके से बैंक और PSP/TPAP डेटाबेस में अपडेट होंगे तो ट्रांजैक्शन में होने वाली गलतियों की संभावना काफी कम हो जाएगी.

मान लीजिए, आपका पुराना नंबर अब किसी और के पास है तो वो आपके UPI से पैसे रिसीव कर सकता है. लेकिन नए रूल के बाद ऐसी दिक्कतें नहीं होंगी. सर्कुलर में ये भी जोड़ा गया है कि अगर NPCI का मैपर रिस्पॉन्स टाइम तय मानकों के मुताबिक नहीं है तो PSP ऐप लोकल लेवल पर नंबर रिजॉल्व कर सकता है. लेकिन इसके लिए PSP को हर महीने NPCI को रिपोर्ट देनी होगी.

NPCI ने साफ किया है कि UPI की सर्विस देने वाले ऐप्स को यूजर्स से साफ और गैर-दखल देने वाला कम्युनिकेशन करना होगा. कोई भ्रामक या जबरदस्ती का मैसेजिंग नहीं चलेगा. यूजर की सहमति (Consent) ट्रांजैक्शन से पहले या उसके दौरान नहीं ली जाएगी. UPI नंबर की सीडिंग या पोर्टिंग से जुड़े कम्युनिकेशन में भी गलतफहमी से बचा जाएगा. उदाहरण के लिए यूजर के बिना एक्शन लिए या मैपर में नंबर सीड किए वे पैसे रिसीव नहीं कर पाएंगे.

कब से लागू होगा नियम?

ये सारे नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे. सभी मेंबर्स को 31 मार्च 2025 तक इन नियमों का पालन करने के लिए तैयार रहना होगा.

बैंकों और PSP को हर महीने मैपर डेटा NPCI के साथ शेयर करना होगा। इसका फॉर्मेट कुछ ऐसा होगा:

  • कुल सीडिंग काउंट: कितने नंबर्स मैपर में जोड़े गए?
  • महीने के एक्टिव यूनीक यूजर्स: मैपर पर कितने यूजर्स एक्टिव रहे?
  • कुल CMID ट्रांजैक्शन्स: महीने में कितने CMID ट्रांजैक्शन्स हुए?
  • लोकल लेवल पर रिजॉल्व्ड UPI ट्रांजैक्शन्स: कितने ट्रांजैक्शन्स लोकली सॉल्व किए गए?

यह डेटा PSP/UPI ऐप्स को NPCI के फ्रेमवर्क के तहत देना होगा. यह प्रक्रिया 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगी.

आपके लिए क्या मतलब?

अगर आप UPI यूजर हैं तो ये बदलाव आपकी पेमेंट्स को और स्मूद और सिक्योर बनाएंगे. पुराने नंबर्स की वजह से गलत ट्रांजैक्शन का खतरा कम होगा.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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