Starlink की भारत में लॉन्चिंग करीब, ट्रायल्स के लिए मिला स्पेक्ट्रम, कीमत भी होगी काफी कम

Updated on 05-Sep-2025

भारत के दूर-दराज इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट का इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. Elon Musk की कंपनी Starlink की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के कमर्शियल रोल-आउट का रास्ता अब और साफ हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, कंपनी को देश में ट्रायल्स के लिए अस्थायी स्पेक्ट्रम मिल गया है. आइए जानते हैं कि भारत में Starlink की सर्विस कब तक शुरू हो सकती है और इसकी कीमत कितनी होगी.

कमर्शियल रोल-आउट की राह

दूरसंचार विभाग (DoT) ने कहा कि Starlink शुरुआत में देश भर में 10 साइटों पर ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करेगी, जिसका हब मुंबई होगा. कंपनी को अब लैंडिंग स्टेशन बनाने होंगे और कमर्शियल रोल-आउट की ओर बढ़ने से पहले भारतीय सुरक्षा मानदंडों का अनुपालन प्रदर्शित करना होगा.

फाइनल स्पेक्ट्रम आवंटन अभी भी लंबित है, और डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन जल्द ही मूल्य निर्धारण और शर्तों पर निर्णय लेने के लिए बैठक करने वाला है. एक बार जब इसकी सिफारिशें भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Trai) को भेज दी जाती हैं, तो Starlink जैसी कंपनियां औपचारिक रूप से सर्विसेज लॉन्च कर सकती हैं.

कम सेवा वाले क्षेत्रों के लिए सस्ता ब्रॉडबैंड

कीमत पर, अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भारत में Starlink का मंथली चार्ज भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में काफी सस्ता होगा, जहां यूजर्स वर्तमान में लगभग 3,000 रुपये प्रति माह और 30,000 रुपये का एक बार का इंस्टॉलेशन शुल्क देते हैं. भारत के बड़े कस्टमर बेस के साथ, टैरिफ इसके लगभग एक-तिहाई होने की उम्मीद है.

सैटेलाइट कम्युनिकेशन विशेष रूप से दूरस्थ, पहाड़ी और आपदा-प्रवण क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाना या तो अव्यावहारिक है या बहुत महंगा है. यह पूरे भारत में कम सेवा वाले क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच का विस्तार करने में मदद कर सकता है.

Starlink 2021 से भारतीय मार्केट पर नजर गड़ाए हुए है, लेकिन क्लियरेंस के बिना प्री-ऑर्डर लेना शुरू करने के बाद यह रेगुलेटरी मुश्किल में पड़ गया था, जिससे अधिकारियों को ग्राहक रिफंड का आदेश देना पड़ा. कंपनी, जो पहले से ही 125 से अधिक देशों में काम करती है, ने आधार-बेस्ड कस्टमर वेरिफिकेशन को सक्षम करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के साथ भी समझौता किया है.

बाजार में और भी हैं खिलाड़ी

अन्य वैश्विक खिलाड़ी भी भारतीय मार्केट की खोज कर रहे हैं. Amazon का Project Kuiper मंजूरी का इंतजार कर रहा है, जबकि Apple के सैटकॉम पार्टनर Globalstar ने यहां सर्विसेज की पेशकश में रुचि व्यक्त की है.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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