नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से मनी रिक्वेस्ट ऑप्शन को हटाने का ऐलान किया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि पिछले कुछ समय से इस फीचर का गलत इस्तेमाल कर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे थे.
यूपीआई का मनी रिक्वेस्ट फीचर दोस्तों या परिवार से बिल बांटने या किसी खर्च की याद दिलाने के लिए काफी उपयोगी साबित होता था. लेकिन अब ज्यादातर इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. स्कैमर्स नए या जिन्हें अनुभव नहीं है उन यूजर्स को झांसे में लेकर पैसे निकलवा लेते थे. पीड़ितों को लगता था कि वे पेमेंट कन्फर्म कर रहे हैं, जबकि असल में उनके खाते से पैसा कट जाता था.
NPCI के नए निर्देश के अनुसार, 1 अक्टूबर 2025 से कोई भी P2P (पर्सन टू पर्सन) कलेक्ट ट्रांजैक्शन न तो रूट किया जाएगा और न ही प्रोसेस. यह नियम सभी पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स, बैंकों और यूपीआई एप्लिकेशंस पर लागू होगा. सभी चैनलों को अपने सिस्टम को अपडेट करना होगा ताकि इस तरह के रिक्वेस्ट ब्लॉक हो सकें.
हालांकि, यूजर्स अब भी QR कोड स्कैन करके परिवार, दोस्तों और दुकानदारों को पेमेंट कर पाएंगे. इसके अलावा, सीधे UPI ID, बैंक डिटेल्स से पैसे भेजने और डिलीवरी ऐप्स आदि से आने वाले पेमेंट रिक्वेस्ट को अप्रूव करने की सुविधा जारी रहेगी.
NPCI अधिकारियों के अनुसार, मनी रिक्वेस्ट फीचर UPI का सबसे कमजोर हिस्सा साबित हो रहा था और इसे हटाने से सुरक्षा मजबूत होगी. यह कदम यूज़र्स को सुरक्षित रखने और प्लेटफॉर्म पर उनका भरोसा बढ़ाने के लिए उठाया गया है. NPCI का मानना है कि इससे यूपीआई और ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा और मार्केट में इसका भरोसा भी मजबूत होगा.
यह कदम उन स्कैमर्स की कमर तोड़ देगा जो इसी तरीके से लोगों को ठगते थे. हालांकि, बिल स्प्लिट करने या पेमेंट रिमाइंडर भेजने वाले यूजर्स पर इसका असर जरूर पड़ेगा.
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