क्या आप भी पुराने फोन में बिना सिम के Wi-Fi से WhatsApp चलाते हैं? या फिर वेब वर्जन पर एक बार लॉग-इन करके महीनों तक भूल जाते हैं? अगर हां, तो आपकी ये आदतें अब बदलने वाली हैं. भारत सरकार ने ‘Telecommunication Cybersecurity Amendment Rules, 2025’ के तहत WhatsApp और अन्य मैसेजिंग ऐप्स के लिए नियम बेहद सख्त कर दिए हैं.
अब WhatsApp चलाने के लिए आपके फोन में ‘एक्टिव सिम’ होना अनिवार्य होगा. और तो और, वेब वर्जन पर भी आपको बार-बार लॉग-इन करना पड़ेगा. आइए, जानते हैं इन नए नियमों का आपकी डिजिटल जिंदगी पर क्या असर होगा.
अब WhatsApp को ‘Telecommunication Identifier User Entity (TIUE)’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका मतलब है कि इसे भी टेलीकॉम कंपनियों की तरह कुछ सख्त नियमों का पालन करना होगा. इस नियम के केंद्र में है ‘अनिवार्य सिम बाइंडिंग’.
इसका मतलब क्या है?: आसान भाषा में, ऐप को लगातार यह जांचना होगा कि जिस नंबर से अकाउंट चल रहा है, वह सिम कार्ड आपके फोन में मौजूद और एक्टिव है या नहीं. अगर सिम हटा दिया जाता है या बदल दिया जाता है, तो WhatsApp काम करना बंद कर देगा. यह ठीक वैसा ही है जैसे UPI ऐप्स (Google Pay, Paytm) काम करते हैं.
यह नियम सिर्फ मोबाइल तक सीमित नहीं है. WhatsApp Web के लिए भी बड़ा बदलाव है. नए नियमों के तहत, सुरक्षा जोखिमों को कम करने के लिए वेब वर्जन अब हर छह घंटे में यूजर्स को ऑटोमैटिकली लॉग आउट कर देगा. दोबारा एक्सेस पाने के लिए आपको फिर से QR कोड स्कैन करना होगा. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ब्राउजर सेशन का कोई गलत इस्तेमाल न कर सके.
अधिकारियों का मानना है कि ये कदम साइबर अपराधियों के लिए गुमनाम रूप से काम करना या लोगों को ठगने के लिए निष्क्रिय सिम कार्ड का फायदा उठाना मुश्किल बना देंगे. सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने कहा कि वर्तमान में सिम और ऐप के बीच बाइंडिंग केवल इंस्टॉलेशन के समय होती है, जिसका फायदा उठाकर धोखेबाज सिम निकालने के बाद भी ऐप चलाते रहते हैं. यह नया नियम इस ‘लूपहोल’ को बंद कर देगा.
भारत में WhatsApp के 50 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के लिए यह थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है. खासकर वे लोग जो Wi-Fi वाले टैबलेट पर WhatsApp चलाते हैं या अक्सर सिम बदलते रहते हैं, उन्हें दिक्कत हो सकती है. हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि सिम बाइंडिंग अकेले घोटालों को नहीं रोक सकती, क्योंकि अपराधी फर्जी आईडी से नए सिम ले सकते हैं. WhatsApp और अन्य कंपनियों को इन बदलावों को लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है.
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