भारत में मोबाइल कॉमर्स: मुख्यधारा में शामिल होने को तैयार है एक और बाजार

Updated on 01-Dec-2014
HIGHLIGHTS

मोबाइल इंटरनेट जाहिर तौर पर परंपरागत इंटरनेट की जगह लेने लगा है। लेकिन क्या मोबाइल इंटरनेट के फायदों से हम पूरी तरह वाकिफ हैं? आखिर क्यों मोबाइल कॉमर्स अब तक मुख्य धारा में शामिल नहीं हो पाया है? इसकी वर्तमान स्थिति क्या है और निकट भविष्य में इसे किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है? हमने इस पर एक विस्तृत अध्यन किया।

आज जब देश में इंटरनेट और स्मार्टफोन अपनी पहुंच बढ़ा रहा है, ई-कॉमर्स सेगमेंट भी कहीं पीछे नहीं है और बड़ी तेजी से अपनी स्थिति सुधार रहा। ई-कॉमर्स के बड़े विस्तार पर हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं लेकिन एम-कॉमर्स पर् अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है।  इसमें कोई शक नहीं कि एम-कॉमर्स बहुत तेजी से विस्तार कर रहा है और परंपरागत ई-मार्केटिंग से कदम से कदम मिलाकर चलने की ओर कदम बढ़ा चुका है। इसके पीछे कोई रॉकेट साइंस नहीं है बल्कि स्मार्टफोन के विस्तार के साथ इसमें ज्यादा सुरक्षित पेमेंट सिस्टम आने के कारण ही ऐसा संभव हो सका है।

यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स ने भी मोबाइल से होने वाली ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ने की बात स्वीकारी है। अप्रैल 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन माह में स्नैपडील ने अपने मोबाइल एप से 45% की बिक्री की। इसी रिपोर्ट के अनुसार फ्लिपकार्ट का 20% ऑर्डर इसके मोबाइल एप से आया और यह अपने मोबाइल यूजर से साल की आधी सेल आने की उम्मीद करता है।

दूसरी कंपनी जो एम-कॉमर्स सेगमेंट में तेजी से बढ़ रहा है वह है ‘पेटीएम’। यह मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज की सुविधा प्रदाता कंपनी है। पेटीएम ने जो आंकड़े बताए उन्हें हम यहां शेयर कर रहे हैं। पेटीएम के इन आंकड़ों के अनुसार इसे एक दिन में 800, 000 ऑर्डर्स मिले हैं जिनमें 90% दुबारा आने वाले यूजर्स थे। 12 मिलियन इसका एप यूज करते हैं और 80% मोबाइल से आने वाले नए यूजर्स हैं। पेटीएम को उम्मीद है कि 2015 के अंत तक यह एक दिन में 1 मिलियन ऑर्डर्स लेने का आंकड़े छू लेगा।

यद्यपि एम-कॉमर्स विस्तार कर रहा है लेकिन यह पूरी तरह स्मार्टफोन बाजार के विस्तार पर निर्भर नहीं रह सकता। इसमें कोई शक नहीं कि स्मार्टफोन यूजर्स का बढ़ना मोबाइल ई-कॉमर्स के लिए उज्ज्वल भविष्य का रास्ता बना रहा है लेकिन लेकिन तेज गति से चलने वाला मोबाइल इंटरनेट, तेज और सस्ती 3जी और 4जी नेटवर्क भी इसके लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण है।

इस नई स्थिति के अलावे भी ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में पहले ही कई बदलाव हो चुके हैं। इसका बाजार अब लगभग स्थायी बाजार बनने लगा है खासकर जब से फ्लिपकार्ट ने अपना बिजनेस मॉडल बदला है यह स्थिति अच्छी हुई है। एम-कॉमर्स के लिए मॉडल बदला है और अब बिजनेस कंपनियों के लिए मोबाइल प्लेटफॉर्म जॉइन करना काफी आसान बन गया है।

मोबाइल कॉमर्स के विस्तार के लिए ई-कॉमर्स पर बोझ डालना सही नहीं होगा। बैंकिंग और ई-गवर्नेंस जैसे अन्य सेक्टर्स को भी मोबाइल फोन प्लेटफॉर्म के लिए अपनी सेवाएं बढ़ानी होंगी। विशेष रूप से बैंकिंग सेक्टर इसमें आगे आ सकता है और मोबाइल प्लेटफॉर्म को आगे बढा सकता है।

कुछ हद तक यूजर्स ने ‘ई-वॉलेट सिस्टम’ को अपनाया है लेकिन यह अभी भी देश की मुख्यधारा की पसंद नहीं पन पाया है। किसी भी तरह की खरीदारी को तकनीकी रूप से बेहद तेज और आसान बना देता है। अगर पेटाइम के आंकड़ों की मानें तो वॉलेट में आगे जाने की संभावनाएं बहुत अधिक हैं और लॉन्च के मात्र 10 महीनों के अंदर इसके 15 मिलियन एक्टिव वॉलेट हैं जिनमें 6.5 मिलियम में पैसे हैं या सेव किया हुआ कार्ड है।

पर कस्टमर्स में जागरुकता बढ़ाने के लिए आरबीआई द्वारा नियमों के बात करने के बाद वॉलेट सिस्टम की चुनौतियां बढ़ गई हैं। हालांकि निकट भविष्य में इसके मानकों में कुछ रियायत मिलने की उम्मीद की जा रही है। वॉलेट सिस्टम ने यूजर्स को अपने एप को ई-मनी के रूप में साथ लेकर चलने की आजादी है। इसके अलावे एयरटेल के ‘एयरटेल मनी’ और वोडाफोन की ‘एम-पैसा’ जैसे एप ई-वॉलेट को यूजर्स की पसंदगी में शामिल कर सकते हैं। 

एम-कॉमर्स के विस्तार में एक और बड़ी बाधा यह भी है कि अभी भी यहां यूजर्स नॉन-पेपर पेमेंट सिस्टम पर बहुत अधिक भरोसा नहीं करते हैं। ज्यादा सुरक्षित पेमेंट सिस्टम का ऑप्शन देकर ही हम इस ट्रेंड के बदलने की उम्मीद कर सकते हैं जो अंतत: मोबाइल कॉमर्स को विस्तार देगा।

अंत में, हम यह जरूर महसूस करते हैं कि मोबाइल प्लेटफॉर्म के विकास के लिए अभी भी कई बदलावों की जरूरत है। इसके लिए सबसे पहले इसकी चुनौतियों से पार पाते हुए इसे उपयोग में और भी ज्यादा आसान बनाना होगा।

मोबाइल कॉर्मस की स्थितियों पर आपकी क्या राय है? इसके विस्तार के लिए अगर आपके पास कोई आइडिया है तो नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर करें।

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