Pegasus vs WhatsApp: क्या है लोगों की जासूसी का मामला, जिसमें Meta को मिली बड़ी जीत, अभी से अपना लें ये टिप्स

Updated on 07-May-2025

Meta को बड़ी जीत हासिल हुई है. Meta ने इजराइल की NSO ग्रुप Pegasus स्पाइवेयर की निर्माता के खिलाफ कैलिफोर्निया की फेडरल जूरी में 1,400 करोड़ रुपये ($167.25 मिलियन) की मुकदमे में जीत हासिल की है. इसके अलावा जूरी ने मेटा को 3.7 करोड़ रुपये ($444,719) का मुआवजा भी देने का आदेश दिया है.

मेटा ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा, WhatsApp केस में आज का फैसला गोपनीयता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह अवैध स्पाइवेयर के विकास और उपयोग के खिलाफ पहली जीत है जो सभी की सुरक्षा और गोपनीयता को खतरे में डालता है. NSO जैसे कुख्यात विदेशी स्पाइवेयर विक्रेता को नुकसान का भुगतान करने का जूरी का फैसला इस खतरनाक इंडस्ट्री के लिए एक मजबूत चेतावनी है.

Meta बनाम NSO ग्रुप: मामला क्या है?

2019 में मेटा ने NSO ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. NSO के पेगासस स्पाइवेयर ने 1,400 WhatsApp यूजर्स के अकाउंट्स को हैक किया था. Citizen Lab ने इस हमले को सबसे पहले उजागर किया. पेगासस एक फोन कॉल के जरिए स्मार्टफोन्स को इन्फैक्ट करता था चाहे यूजर ने कॉल रिसीव की हो या नहीं.

फोन इन्फैक्ट होने के बाद स्पाइवेयर फोन के कैमरा और माइक्रोफोन को रिमोटली कंट्रोल करता था. इसके अलावा कॉल रिकॉर्ड्स, मैसेज, ईमेल, लोकेशन, और अन्य डेटा तक पहुंच बनाता था. NSO ने माना कि पेगासस बिना यूजर की जानकारी या सहमति के “फोन पर हर तरह का यूजर डेटा” एक्सेस कर सकता है.

दिसंबर 2024 में, एक अमेरिकी अदालत ने NSO ग्रुप को WhatsApp हैक के लिए जिम्मेदार ठहराया. कोर्ट फाइलिंग के अनुसार, 1,400 में से कम से कम 100 हमले भारत में हुए, जो अप्रैल-मई 2019 के दो महीनों में हुए.

पेगासस का प्रभाव और टारगेट्स

पेगासस ने खास तौर पर पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनयिकों को निशाना बनाया. ये 50 से ज्यादा देशों में फैले थे. भारत में हुए 100 हमलों ने खास चिंता पैदा की क्योंकि ये टारगेट्स गोपनीयता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा थे.

मेटा की जांच में पाया गया कि NSO ने न सिर्फ WhatsApp बल्कि अन्य कंपनियों की टेक्नोलॉजी जैसे इंस्टेंट मैसेजिंग, ब्राउजर्स और ऑपरेटिंग सिस्टम्स को भी टारगेट किया. NSO हर साल करोड़ों डॉलर मैलवेयर डेवलपमेंट पर खर्च करता है जो iOS और Android डिवाइस को आज भी खतरे में डाल सकता है.

NSO ग्रुप की प्रतिक्रिया

NSO ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट (ग्लोबल कम्युनिकेशन) गिल लेनर ने AFP को बताया, “हम फैसले की विस्तार से सावधानीपूर्वक जांच करेंगे और उचित कानूनी उपाय अपनाएंगे. जिसमें आगे की कार्यवाही और अपील शामिल है.” NSO ने हमेशा दावा किया है कि उसका सॉफ्टवेयर केवल “कानूनी निगरानी” के लिए है, लेकिन कोर्ट ने इसे अवैध माना.

Apple का भी NSO के खिलाफ मुकदमा

2021 में Apple ने भी NSO ग्रुप पर पेगासस स्पाइवेयर के जरिए iPhone यूजर्स को टारगेट करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था. Apple ने कहा था कि वह NSO को अपने किसी भी सॉफ्टवेयर, सर्विस या डिवाइस का उपयोग करने से स्थायी रूप से प्रतिबंधित करना चाहता है.

मेटा की जीत का महत्व

यह फैसला गोपनीयता के लिए मील का पत्थर है. यह पहला मौका है, जब किसी कोर्ट ने स्पाइवेयर डेवलपर को अमेरिकी कंपनी और यूजर्स की गोपनीयता के उल्लंघन के लिए दंडित किया है. मेटा का कहना है कि यह फैसला NSO जैसे संगठनों को अवैध गतिविधियों से रोकने में मदद करेगा.

यूजर्स के लिए टिप्स

  • अपने फोन का OS (iOS 17+, Android 11+) और WhatsApp को हमेशा अपडेट रखें. मेटा ने 2019 में WhatsApp कॉलिंग सिस्टम की कमजोरी को पैच कर दिया था.
  • संदिग्ध कॉल्स से बचें: अनजान नंबरों से कॉल्स या मैसेज पर क्लिक न करें. Truecaller जैसे ऐप्स यूज करें.
  • DigiLocker: महत्वपूर्ण दस्तावेज़ सुरक्षित रखने के लिए DigiLocker का उपयोग करें.
  • साइबर अवेयरनेस: फिशिंग और स्पाइवेयर हमलों से बचने के लिए साइबर सिक्योरिटी गाइडलाइन्स फॉलो करें.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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