कुछ समय पहले पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के पीछे भारतीय सेना की एक स्वदेशी टेक्नोलॉजी का बड़ा हाथ था. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने खुलासा किया है कि इस ऑपरेशन के दौरान कमांड और कम्युनिकेशन के लिए WhatsApp जैसे ऐप्स का नहीं, बल्कि सेना के अपने सिक्योर मोबाइल इकोसिस्टम ‘संभव’ (SAMBHAV) का इस्तेमाल किया गया था. यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक बड़ा उदाहरण है.
यानी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने सिक्योर आर्मी मोबाइल भारत वर्जन पर भरोसा किया. उन्होंने कहा कि सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए अपग्रेड चल रहे हैं. AIMA के 52वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में बोलते हुए, जनरल द्विवेदी ने कहा, “हम उपकरणों के स्पाइरल डेवलपमेंट को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.
संभव फोन का उपयोग ऑपरेशन सिंदूर में कमांड और कम्युनिकेशन के लिए किया गया था. हम WhatsApp और अन्य का उपयोग नहीं कर रहे थे. हम अब इसे एक उच्च स्तर पर अपग्रेड कर रहे हैं.”
इसका पहली बार जनवरी 2024 में अनावरण किया गया था. संभव आत्मनिर्भर भारत के लोकाचार का प्रतीक है, जो आधुनिक 5G टेक्नोलॉजी पर एक एंड-टू-एंड सिक्योर मोबाइल इकोसिस्टम के रूप में कार्य करता है. यह मल्टी-लेयर्ड एन्क्रिप्शन बनाए रखते हुए चलते-फिरते तुरंत कनेक्टिविटी की अनुमति देता है.
सिस्टम में M-Sigma शामिल है, जो WhatsApp का एक स्वदेशी विकल्प है, जो अधिकारियों को लीक के जोखिम के बिना सुरक्षित रूप से डॉक्यूमेंट्स, इमेज और वीडियो का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है.
एक रक्षा अधिकारी ने PTI को बताया, “मोबाइल नेटवर्क में जासूसी का खतरा होता है; और इसलिए, मोबाइल की सूचना सिक्योरिटी से समझौता होने का खतरा होता है. एक एंड-टू-एंड सिक्योर मोबाइल इकोसिस्टम, जो नेटवर्क-एग्नोस्टिक है, को चलते-फिरते तुरंत कनेक्टिविटी के साथ सिक्योर कम्युनिकेशन प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है.” संभव को शिक्षा और उद्योग के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों के सहयोग से विकसित किया गया था.
रक्षा सूत्रों ने ANI को बताया कि संभव डिवाइसेज का उपयोग अक्टूबर में चीन के साथ पिछले दौर की सैन्य वार्ता के दौरान भी किया गया था. पिछले साल लॉन्च होने के बाद, अब तक बल भर में अधिकारियों को लगभग 30,000 डिवाइस जारी किए जा चुके हैं, जो homegrown और सिक्योर कम्युनिकेशन के प्रति सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
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