कल भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इतने दिन के सफर में देश काफी आगे निकल चुका है. बैलगाड़ी से शुरू हुआ सफर अंतरिक्ष तक पहुंच तुका है. हाल ही में अंतरिक्ष में भारत को एक और उपलब्धि हासिल हुई है.
भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा दूरदर्शिता, दृढ़ता और विश्वस्तरीय उपलब्धियों की कहानी है. हाल ही में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है. 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने पहली बार अंतरिक्ष में भारत का तिरंगा लहराया था. बीते छह दशकों में भारत एक साधारण पेलोड लॉन्च करने वाले विकासशील देश से अंतरिक्ष तकनीक और मानव अन्वेषण के अग्रणी राष्ट्रों में शामिल हो गया है.
भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1960 के दशक में डॉ. विक्रम साराभाई और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में इंकोस्पार (INCOSPAR) की स्थापना से शुरू हुई, जो 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में तब्दील हुआ.
शुरुआती चरण में मौसम पूर्वानुमान, वायुमंडलीय अध्ययन और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर अनुसंधान केंद्रित था. 1975 में भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट लॉन्च कर अंतरिक्ष में कदम रखा. 1980 में एसएलवी-3 के जरिए आरएस-1 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण कर भारत विश्व का सातवां देश बना जिसने स्वदेशी रॉकेट से उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया.
राकेश शर्मा का मिशन (1984): Soyuz T-11 के जरिए अंतरिक्ष में गए पहले भारतीय, जिनके शब्द “सारे जहाँ से अच्छा” आज भी प्रेरणा देते हैं.
सैटेलाइट नेटवर्क: INSAT, IRS, GSAT सीरीज ने संचार, शिक्षा, मौसम पूर्वानुमान और रिमोट सेंसिंग में क्रांति ला दी.
लॉन्च व्हीकल इनोवेशन: PSLV और GSLV के जरिए भारत वैश्विक ग्राहकों के लिए किफायती और भरोसेमंद लॉन्च डेस्टिनेशन बना.
चंद्र और मंगल मिशन: चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी खोजा; मंगलयान (2014) से भारत एशिया का पहला देश बना जो मंगल तक पहुंचा. चंद्रयान-3 (2023) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफल लैंडिंग की.
वाणिज्यिक प्रक्षेपण: NSIL के जरिए 300 से अधिक विदेशी उपग्रह लॉन्च कर भारत ने किफायती और भरोसेमंद अंतरिक्ष सेवाओं में पहचान बनाई.
41 साल बाद, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को Axiom-4 के प्राइवेट कमर्शियल मिशन के तहत SpaceX Grace से ISS पर पहुंचकर नया इतिहास रचा. अंतरिक्ष में कदम रखने वाले वे 634वें व्यक्ति बने. यह अनुभव भारत के गगनयान मिशन (2027) के लिए अहम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्ला के लौटने पर उनका स्वागत किया, और शुक्ला ने इसे “पूरे राष्ट्र की सामूहिक उपलब्धि” बताया.
गगनयान मिशन (2025-2027): स्वदेशी HLVM3 रॉकेट से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लो
अर्थ ऑर्बिट में भेजा जाएगा.
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS-1): 2035 तक संचालन, 2028 तक 8 मिशनों के जरिए नींव रखी जाएगी.
मानवयुक्त चंद्र मिशन (2040): भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरेंगे.
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: वाणिज्यिक मानव अंतरिक्ष उड़ानों और संयुक्त मिशनों में भारत की बड़ी भूमिका.
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम वैज्ञानिक शोध के साथ-साथ कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी योगदान दे रहा है. संचार उपग्रह दूरदराज के इलाकों को जोड़ रहे हैं, जबकि NAVIC जैसी नेविगेशन प्रणाली परिवहन और सुरक्षा को मजबूती दे रही है.
आर्यभट से लेकर चंद्रयान और शुभांशु शुक्ला के ISS मिशन तक, भारत की अंतरिक्ष यात्रा अदम्य साहस और नवाचार की मिसाल है. आने वाले दशक में भारत न केवल अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्र मिशन को अंजाम देगा, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी भूमिका निभाएगा.
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