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मद्रास हाई कोर्ट में जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने एक महिला वकील की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें महिला ने आरोप लगाया कि उनके प्राइवेट वीडियो बिना सहमति के इंटरनेट पर लीक कर दिए गए. यह वीडियो कॉलेज के दिनों में उनके एक पूर्व साथी द्वारा चुपचाप रिकॉर्ड किए गए थे और अब सालों बाद सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर फैल गए.
जज ने सुनवाई के दौरान कहा, “महिला अत्यधिक मानसिक पीड़ा से गुजर रही है. सोचिए अगर यह मेरी बेटी होती तो?” कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आदेश दिया कि वह 48 घंटे के भीतर इस वीडियो को इंटरनेट से हटाए और इसकी रिपोर्ट 14 जुलाई तक कोर्ट में दाखिल करे. जस्टिस ने तमिलनाडु पुलिस प्रमुख को भी इस मामले में शामिल करते हुए कहा कि डिजिटल अपराधों को रोकने के लिए एक सख्त व्यवस्था की जरूरत है.
पिछले महीने एक और मामला सामने आया जब एक किशोरी की फर्जी इंस्टाग्राम प्रोफाइल बनाई गई. इन प्रोफाइल्स पर लड़की की असली और मॉर्फ की गई आपत्तिजनक तस्वीरें डाली गईं. सिर्फ 15 साल की इस बच्ची और उसके परिवार पर इसका गहरा असर पड़ा. दिल्ली हाई कोर्ट ने मेटा को आदेश दिया कि वह तुरंत इन फर्जी अकाउंट्स को ब्लॉक करे और संबंधित तकनीकी जानकारी, जैसे कि IP एड्रेस, मुहैया कराए ताकि आरोपियों की पहचान हो सके.
अगर आपकी कोई निजी फोटो, वीडियो या फर्जी पहचान ऑनलाइन सामने आती है तो घबराने की जरूरत नहीं है. इसे हटवाने और कंट्रोल वापस पाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं.
वेबसाइट या अपलोडर से बात करें: अगर वीडियो ऐसी वेबसाइट पर है जिस पर आपका कंट्रोल नहीं है, तो WHOIS टूल से वेबसाइट का मालिक पता करें और सीधे संपर्क करें.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें: Instagram, Facebook, X (पूर्व में Twitter), या YouTube पर बिल्ट-इन रिपोर्टिंग फीचर का इस्तेमाल करें.
अगर प्रतिक्रिया न मिले तो Report Harmful Content जैसे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म से मार्गदर्शन लें.
TOFEE के सह-संस्थापक और साइबर एक्सपर्ट तुषार शर्मा कहते हैं, “आपत्तिजनक कंटेंट की शिकायत सीधे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर की जा सकती है. IT नियम 2021 और संशोधित नियम 2023 के अनुसार, सभी प्लेटफॉर्म को एक ग्रिवेंस ऑफिसर नियुक्त करना होता है, जो 24 घंटे में शिकायत स्वीकार करे और 15 दिन के भीतर उसका समाधान करे.”
उन्होंने आगे कहा, “संवेदनशील मामलों में समाधान 72 घंटे के अंदर करना अनिवार्य है. अगर आप चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साइबरबुलिंग, ऑनलाइन उत्पीड़न, या महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो http://www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. ‘सहयोग’ पोर्टल भी नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा के लिए एक अन्य विकल्प है.”
CloudSEK के थ्रेट रिसर्चर पवन कार्तिक एम बताते हैं, “आप Google से अनुरोध कर सकते हैं कि वह संबंधित सामग्री को सर्च रिजल्ट से हटाए. प्लेटफॉर्म्स पर सीधे टे़कडाउन रिक्वेस्ट भेजें. अगर कंटेंट डार्क वेब पर है तो उसे हटवाना मुश्किल होता है, और इसमें क्रिप्टो पेमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है.”
अगर आपकी सामग्री कॉपीराइट के तहत है तो Digital Millennium Copyright Act (DMCA) नोटिस दाखिल करें.
Google की सपोर्ट साइट पर जाकर आपत्तिजनक सामग्री हटवाने का अनुरोध करें. आपको यूआरएल और सबूत (जैसे स्क्रीनशॉट) देने होंगे. Google इस पर विचार करेगा और ईमेल से जवाब देगा.
अगर मामला गंभीर है, जैसे कि मानहानि या इमेज-आधारित शोषण, तो किसी वकील से सलाह लें. वह कोर्ट नोटिस, सीज एंड डिसिस्ट लेटर या कानूनी कार्रवाई में मदद कर सकते हैं.
Take It Down – https://takeitdown.ncmec.org. Meta का यह नया टूल नाबालिगों से जुड़े न्यूड या यौन कंटेंट के ऑनलाइन प्रसार को रोकता है, चाहे वे अब वयस्क क्यों न हो गए हों.
Google टूल:
https://support.google.com/websearch/answer/6302812
अगर आपकी निजी इमेज बिना सहमति के ऑनलाइन आई है, तो Google उसे सर्च से हटाने में मदद करता है.
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