आज मोबाइल और इंटरनेट ने हमारे हर काम को इतना आसान बना दिया है कि इन दोनों की मदद मात्र से हम किसी भी प्रकार के बिल भर सकते हैं, सामान खरीद सकते हैं, फिर चाहे वह किराने का हो या ऑनलाइन माध्यम से घर के किसी सामान की खरीदारी हो, पैसे ट्रांसफर करने के लिए इस समय हमें बैंक आने जाने की भी कोई जरूरत नहीं पड़ती है, इसके साथ साथ अगर निवेश करना होता है तो वह भी ऑनलाइन माध्यम से बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। ऐसा भी कह सकते है कि जरूरत का हर काम आजकल इंटरनेट और मोबाइल की मदद से किया जा सकता है, लेकिन इसी सुविधा के साये में एक बड़ा ख़तरा भी हमें अपने जाल में फँसाता जा रहा है, जिसे हम ‘साइबर फ्रॉड’ के तौर पर जानते हैं। धोखेबाज़ अब गलियों या दुकानों तक ही नहीं, वे सीधे हमारी मोबाइल स्क्रीन तक पहुँच बना चुके हैं, और यह हुआ है SMS, WhatsApp, कॉल और सोशल मीडिया के ज़रिये। सबसे खतरनाक बात यह है कि स्कैम अब इतने चालाक और उन्नत हो गए हैं कि पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी इनके बहकावे में आने लग पड़े हैं।
हालांकि, अगर असल मायने में देखा जाए तो समस्या तकनीकी या किसी तकनीक में नहीं, बल्कि हमारी जल्दबाज़ी, लालच और डर के कारण बढ़ती जा रही है, इसी का फायदा एक हथियार के तौर पर साइबर ठग कर रहे हैं।
आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि किसी भी स्कैम की कहानी एक गैर जरूरी से दिखने वाले लेकिन एकदम क्लिक करने वाले एक छोटे से मैसेज या कॉल से शुरू होती है! किसी एक मैसेज या कॉल के माध्यम से हमें से अचानक कहा जाता है कि ‘हमारा KYC अपडेट नहीं है’, ‘खाता बंद हो जाएगा’, ‘बिजली बिल बकाया है’, या फिर ‘वर्क फ्रॉम होम से रोज़ कमाएँ’, आदि आदि आदि..! लिस्ट दिन बदिन बढ़ती ही जा रही है। खास बात यह है कि इस मैसज में एक लिंक जरूर होता है, जिसपर क्लिक करने के लिए आपसे कहा जाता है, और कहा जाता है कि इसपर क्लिक करके सब सही हो जाने वाला है।
ऐसे में पहले तो आपको लगता है कि कोई सरकारी सूचना या छोटा-सा ऑफर होगा, लेकिन जैसे ही आप दिए गए लिंक पर क्लिक करते हैं या बताए गए ऐप डाउनलोड कर लेते हैं, तब शुरू हो जाता है भयानक और आर्थिक नुकसान का सबसे बड़ा खेल। आपकी इस छोटी सी गलती के कारण ही यानि कोई बताया गया ऐप डाउनलोड कर लेने या लिंक पर क्लिक कर देने से आप अपने फोन का एक्सेस रिमोट ऐप के ज़रिये साइबर ठगों को दे देते हैं, अब कैसे आपके बैंक से पैसे गायब होते हैं, यह आपको पता ही नहीं चलता है।
कुछ मामलों में तो डर को हथियार बनाया जाता है, हमने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बहुत से मामलों की रिपोर्टिंग की है, इन मामलों में यह देखा गया हु कि आपको झूठी धमकियाँ देकर कहा जाता है कि आप किसी अपराध में फँसे हैं और बचने के लिए आपको तुरंत पैसे देने होंगे। डर इंसान से सोचने की ताकत छीन लेता है, और यही ठग चाहते हैं। इसी कारण आप इस जाल में फँसकर इसका शिकार हो जाते हैं।
सच यह है कि साइबर सुरक्षा का सबसे मजबूत कवच कोई ऐप नहीं, बल्कि आपकी समझदारी ही है।
OTP, PIN, पासवर्ड कभी किसी भी अनजान या किसी भी दूसरे व्यक्ति को नहीं दिए जाते हैं। चाहे सामने वाला खुद को किसी बैंक का बड़ा अफसर या फिर पुलिस ही क्यों न बताए, इन जानकारियों की फोन पर माँग करना ही फर्जी होने का सबूत है।
सोशल मीडिया पर जन्मतिथि, पता, मोबाइल नंबर जैसी बातें खुलकर पोस्ट करना अपने घर की चाबी मोहल्ले भर में बाँट देने वाली बात है।
अनजान लिंक संदिग्ध दिखने वाले किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचना ही नहीं, इससे कोसों दूर रहना है। अगर बैंक से जुड़ा सच में कोई मामला होता, तो समाधान लिंक से नहीं बल्कि बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या ब्रांच से होता। अगर आप ये छोटी सी बात समझ लेते हैं तो आपको चिंता करने की जरूरत ही नहीं पड़ने वाली है।
और अगर कोई आपसे AnyDesk, TeamViewer जैसे ऐप डाउनलोड करने को कहे, तो समझ जाइए कि खतरे की घंटी बज चुकी है। ये ऐप किसी को दूर बैठे आपके फोन पर पूरा कंट्रोल दे सकते हैं।
बहुत से लोग नहीं जानते कि सरकार ने आम लोगों के लिए उपयोगी टूल बनाए हैं। संचार साथी पोर्टल पर जाकर आप यह देख सकते हैं कि आपके नाम से कितने सिम एक्टिव हैं। कोई अनजान नंबर दिखे तो तुरंत ब्लॉक कराना आपकी जिम्मेदारी है, क्योंकि वही नंबर आगे किसी बड़े फ्रॉड की जड़ बन सकता है।
ठग हमेशा हमें सपना दिखाते हैं, बिना मेहनत पैसे कमाने का। लेकिन जीवन का सबसे बड़ा सच यही है कि, ‘जो ऑफर हद से ज्यादा सुनहरा और लुभावने लगे, वही सबसे बड़े खतरे का संकेत होता है।’
किसी भी कॉल या मैसेज पर खुद से एक सवाल ज़रूर पूछिए! क्या ये बात वाकई तर्कसंगत है? क्या बैंक या सरकार ऐसे फोन करती है?
अगर आप इस तरह के सवाल किसी भी कॉल आने या मैसेज बढ़ने के दौरान अपने आप से कर लेते हैं तो जाहिर तौर पर आप अपने लाखों रुपये पानी में जाने से बचा सकते हैं।
अब अगर इस बात को मान लिया जाए कि कोई भी गलती कर सकता है या गलती किसी से भी हो सकती है! ऐसे में अब नया सवाल यह नहीं होना चाहिए कि ठगी किस प्रकार और किसके साथ हुई है, सवाल यह होना चाहिए कि इस ठगी से कैसे जल्दी से निकला जा सकता है या कैसे संभला जा सकता है। अगर गलती कर चुके तो अब क्या करना चाहिए।
साइबर फ्रॉड से लड़ाई सरकार या पुलिस अकेले नहीं जीत सकती। असली जीत तब होगी जब हर आम नागरिक सतर्क बनेगा। डिजिटल दुनिया सुविधाओं से भरी है, डरने की जगह समझदारी से चलने की ज़रूरत है। याद रखें एक गलत क्लिक जीवन भर की कमाई छीन सकता है, और एक सही फैसला आपको पूरी तरह सुरक्षित रख सकता है।
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