Chandrayaan 3 ने चाँद के अंधेरे कोने को किया रोशन, पहुँचने में आई थी ये 3 मुश्किल फिर भी लहराया तिरंगा

Updated on 22-Oct-2023
HIGHLIGHTS

चाँद पर South Pole एक ऐसा इलाका है जहां करोड़ों सालों से अंधेरा ही है। इसके अलावा यह का तापमान भी समझ से परे है।

Moon की सरफेस फ्लैट और स्टेबल नहीं है, इसी कारण यह बेहद ही ज्यादा Moonquakes आते हैं।

एक शोध के से पता चलता है कि स्क्रैप 1 का 58-Km लंबा सेगमेंट अभी हाल ही में “seismically active” हुआ है।

Chandrayaan 3 ने अपनी चाँद की यात्रा को sriharikota के दूसरे लॉन्च पैड से शुरू किया था, अब यह सफलतापूर्वक मून या चाँद पर लैन्ड कर गया है। इसका मतलब है कि भारत के ISRO ने अब चाँद पर भी अपने भारत के तिरंगे को लहरा दिया है। भारत के लिए यह बड़े ही गर्व की बात है, असल में भारत एकमात्र ऐसा देश है जो चाँद के साउथ पोल पर पहुंचा है, अभी तक कोई भी देश के कारनामे को नहीं कर पाया है।

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अब चाँद पर जाने के बाद क्या क्या होने वाला है?

अब जब हम चाँद पर पहुँच गए हैं तो सबसे पहले Vikram Lander (एक लैन्डिंग मॉड्यूल) Pragyan Rover को रिलीज कर देने वाला है। जिसके बाद चाँद पर पानी की खोज की जाने वाली है, इसके अलावा इसके केमिकल कम्पोजिशन का विश्लेषण भी किया जाने वाला है। हालांकि सभी को लग रहा है कि भारत का अगला घर चाँद है लेकिन चाँद तक पहुँचने में Chandrayaan-3 को कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा है। आज हम इसी के बारे में चर्चा करने वाले हैं।

Chandrayaan-3 ने इन 3 मुश्किलों का सामना किया!

जैसा कि दुनिया में सभी जानते है कि Moon का South Pole एक ऐसा इलाका है जो करोड़ों सालों से अंधेरे में है। इसके अलावा यहाँ का तापमान भी काफी उतार चढ़ाव वाला है। इसे हम Extreme Temperature भी कह सकते हैं। भारत से पहले ही लगभग 4 देश चाँद की इस जगह पर जाने की कोशिशे कर चुके हैं, इसमें भारत भी शामिल है। हालांकि किसी को भी कामयाबी नहीं मिली है। इसमें Russia का Luna-25 Spacecraft है, भारत के Chandrayaan-2 है, इसके अलावा जापान और इस्राइल भी यहाँ तक पहुँचने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं। ऐसा देखा गया है कि यहाँ पर पहुंचे से कुछ ही मिनट पहले यह सभी अंतरराष्ट्रीय कोशिश नाकाम हो चुकी हैं।

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चाँद की सतह फ्लैट और स्टेबल नहीं है

आपको जानकारी के लिए बता देते है कि चाँद की सतह फ्लैट और स्टेबल नहीं है। इसके अलावा यहाँ समय समय पर moonquakes आते रहते हैं। इसी कारण या इसी वजह से चाँद की सतह पर लोबेट स्कार्प्स निर्मित हो गए हैं। फिज़िकल रिसर्च लैबोरेट्री के एक शोध की बात करें तो इसका कहना है कि लोबेट स्कार्प्स का लगभग 58Km लंबा सेगमेंट लैन्डिंग साइट के लगभग 6KM वेस्ट में बना हुआ है। इसके कारण चंद्रयान-3 को लैन्ड करने में काफी दिक्कत आई।

चंद्रयान-3 को झेलनी पड़ी हैं ये दिक्कत

चंद्रयान-3 के लिए जिस लैन्डिंग साइट का चुनाव किया गया था, वहाँ पर 2 बड़े स्क्रैप थे, इस बारे में पहले ही जानकारी भी थी, सभी इसके बारे में जानते भी थे। इसी इलाके में Moonquakes भी आमतौर पर आते रहते हैं। एक शोध के से पता चलता है कि स्क्रैप 1 का 58-Km लंबा सेगमेंट अभी हाल ही में “seismically active” हुआ है। इस कारण से चाँद की सतह शेक कर सकती थी। ऐसा भी हो सकता था कि चाँद पर उतरते हुए चंद्रयान-3 को इनका सामना करना होता।

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हालांकि इन सभी समस्या और मुश्किलों के चलते भी चंद्रयान-3 ने चाँद पर बड़ी ही आसानी से सफलतापूर्वक लैन्डिंग की है। इसी के साथ भारत ऐसा पहला देश बन गया है, जो Moon के South Pole पर पहुंचा हो। Chandrayaan-3 की इस सफलता को लेकर आप क्या सोचते हैं? हमें कमेन्ट बॉक्स में जाकर बताएं।

Ashwani Kumar

Ashwani Kumar has been the heart of Digit Hindi for nearly nine years, now serving as Senior Editor and leading the Vernac team with passion. He’s known for making complex tech simple and relatable, helping millions discover gadgets, reviews, and news in their own language. Ashwani’s approachable writing and commitment have turned Digit Hindi into a trusted tech haven for regional readers across India, bridging the gap between technology and everyday life.

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