सालों पहले Baba Vanga ने कर दी थी स्मार्टफोन को लेकर ये बड़ी भविष्यवाणी..अब हो रहा वैसा ही, जानें क्या कही थीं

Updated on 08-May-2025

Baba Vanga कोई आम महिला नहीं बल्कि बुल्गारिया की रहस्यमयी भविष्यवक्ता थी. जिनकी भविष्यवाणी आज भी दुनिया को चौंका रही है. हालांकि, उनका 1996 में निधन हो गया लेकिन अपनी भविष्यवाणी की वजह से वह लगातार चर्चा में रहती है. प्राकृतिक आपदाओं से लेकर पॉलिटिकल उथल-पुथल तक, उनकी भविष्यवाणियां अक्सर हकीकत से मेल खाती दिखती हैं.

अब उनकी एक और भविष्यवाणी वायरल हो रही है. जिसमें उन्होंने फोन के इस्तेमाल को लेकर बड़ी बात कही है. Baba Vanga ने चेतावनी दी थी कि स्मार्टफोन्स पर बढ़ती निर्भरता इंसानों को इमोशनली खोखला कर सकती है. इसके संकेत साल 2025 तक आते-आते दिख भी रहे हैं.

क्या कहा बाबा वेंगा ने?

हालांकि, उस समय फोन नहीं था उन्होंने फोन या मोबाइल शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था. लेकिन, उन्होंने कहा था कि ऐसा समय आएगा कि लोग छोटे डिब्बों में खो जाएंगे. छोटे डिब्बे से उनका मतलब आज के फोन को कहा जा रहा है.

बाबा वेंगा ने अपने समय में भविष्य देखा था कि स्मार्टफोन्स का ज्यादा इस्तेमाल इंसानों के बिहेवियर को हमेशा के लिए बदल देगा. उन्होंने इसको लेकर चेतावनी भी दी थी. उन्होंने बताया था कि स्मार्टफोन्स की लत इंसानों की जेनुइन इमोशन्स फील करने की कैपेसिटी को कम कर सकती है. लोग मशीनों की तरह ऑटोमेटेड, रिलेशनशिप्स में डिसइंटरेस्टेड और डिवाइस से वैलिडेशन लेने वाले हो जाएंगे. स्क्रीन टाइम से फिजिकल हेल्थ (आंखें, नींद) और इमोशनल वेल-बीइंग (रिलेशनशिप्स, मेंटल हेल्थ) दोनों को नुकसान होगा.

डिजिटल डिपेंडेंसी: लोग रियल वर्ल्ड से कटकर डिजिटल स्टिमुलेशन के गुलाम बन जाएंगे. अब साल 2025 की डेटा और रिसर्च Baba Vanga की चेतावनी को सपोर्ट करती है. WHO के मुताबिक, लोग एवरेज 7 घंटे/दिन स्क्रीन्स पर बिताते हैं, जिसमें 4 घंटे स्मार्टफोन यूज शामिल है. साइकोलॉजिकल स्टडी दिखाती हैं कि स्मार्टफोन ओवरयूज से ब्लू लाइट से स्लीप साइकिल डैमेज, कॉन्स्टेंट कनेक्टिविटी और सोशल कम्पैरिजन से मेंटल प्रेशर और प्रोडक्टिविटी ड्रॉप हो रही है.

साइंस भी मान रहा ये बात

Baba Vanga की इमोशनल इंटेलिजेंस को लेकर चेतावनी को मॉडर्न साइंस की स्टडी भी सपोर्ट कर रही है. डिजिटल कम्युनिकेशन यानी टेक्स्ट और इमोजी फेस-टू-फेस इंटरैक्शन्स जितने इमोशनली रिच नहीं हो रहे हैं. यंग अडल्ट्स और टीनएजर्स में डीप कन्वर्सेशन्स और एम्पैथी कम हो रही है.

डिजिटल फ्रेंडशिप्स अक्सर ट्रांजिएंट होती हैं. यूजर्स ऑनलाइन “कनेक्टेड” होने के बावजूद लोनली फील करते हैं. 2024 की एक स्टडी में 60% टीनएजर्स ने कहा कि वे इन-पर्सन इंटरैक्शन्स से ज्यादा ऑनलाइन चैटिंग प्रिफर करते हैं.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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