NASA और दुनिया भर की अंतरिक्ष मौसम एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है. चेतावनी में बताया गया है कि एक शक्तिशाली सौर तूफान पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. सूरज का सबसे सक्रिय क्षेत्र हाल ही में नजर में आया है और इसने 2025 का सबसे तीव्र X2.7-क्लास सौर विस्फोट (Solar Flare) उत्पन्न किया है.
इस चरम सौर एक्टिविटी से रेडियो ब्लैकआउट, GPS में दिक्कत और दुनिया के कुछ हिस्सों में चमकीली औरोरास (Northern Lights) हो सकता है. सूरज के 11-वर्षीय सौर चक्र के चरम पर होने के कारण, वैज्ञानिक कई सनस्पॉट क्षेत्रों पर नजर रख रहे हैं, जो आने वाले दिनों और हफ्तों में और दिक्कतें पैदा कर सकते हैं.
इस घटना की तीव्रता ने वैश्विक निगरानी एजेंसियों में अलर्ट स्तर बढ़ा दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सौर गतिविधि और तेज होती है, तो और गंभीर विस्फोट हो सकते हैं. वैश्विक सैटेलाइट नेटवर्क में चरम विस्फोट के दौरान रुक-रुक कर गड़बड़ी हो सकती है.
सौर विस्फोट सूरज की सतह से होने वाली अचानक और तीव्र रेडिएशन की फुहारें हैं, जो अक्सर सनस्पॉट गतिविधि से जुड़ी होती हैं. हाल का X2.7-क्लास विस्फोट सबसे तीव्र स्तरों में से एक है, जो पृथ्वी के ऊपरी वातावरण पर तुरंत असर डाल सकता है. ऐसे विस्फोट हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार, विमानन सिस्टम, और नेविगेशन नेटवर्क्स को बाधित कर सकते हैं, खासकर पृथ्वी के उस हिस्से में जो सूरज की रोशनी में होता है.
ये उच्च-ऊर्जा घटनाएं प्रकाश की गति से यात्रा करती हैं और मात्र 8 मिनट में पृथ्वी तक पहुंच सकती हैं. X-क्लास विस्फोट सबसे खतरनाक श्रेणी में आते हैं और इनका वैश्विक तकनीकी असर हो सकता है. सौर चक्र के चरम (Solar Maximum) के दौरान इनकी बारंबारता बढ़ने से जोखिम काफी बढ़ जाता है.
NOAA के अनुसार, हाल के विस्फोट ने मध्य पूर्व में लगभग 10 मिनट तक अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट का कारण बना. यह व्यवधान रेडिएशन की शक्तिशाली लहर के कारण हुआ, जिसने पृथ्वी के आयनोस्फीयर में हस्तक्षेप किया. NASA ने चेतावनी दी है कि इस क्षेत्र से लगातार होने वाले सौर विस्फोट और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) पावर ग्रिड, सैटेलाइट्स, और अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों पर असर डाल सकते हैं. ये व्यवधान आपातकालीन संचार और प्रभावित क्षेत्रों में एयरलाइन संचालन को प्रभावित कर सकते हैं.
सूरज वर्तमान में सौर चरम (Solar Maximum) नाम के चरण में है, जो इसके नियमित 11-वर्षीय चक्र का हिस्सा है. इस चरण में सूरज के चुंबकीय ध्रुव उलट जाते हैं, जिससे सनस्पॉट गतिविधि बढ़ती है और अधिक बार और तीव्र सौर तूफान उत्पन्न होते हैं. नतीजतन, पृथ्वी जियोमैग्नेटिक तूफानों, रेडियो सिग्नल व्यवधान और सैटेलाइट खराबी जैसे अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है. 2025 का सौर चरम 2014 के पिछले चक्र से अधिक मजबूत होने की उम्मीद है. वैज्ञानिकों का मानना है कि हम इस गतिविधि के बढ़ते दौर के केवल आधे रास्ते पर हैं.
भारत में, इस सौर तूफान से रेडियो संचार, GPS, और सैटेलाइट-आधारित सेवाओं में मामूली व्यवधान हो सकते हैं, खासकर सूरज की रोशनी वाले यानी दिन के समय में. Indian Express के अनुसार, ISRO और IN-SPACe सौर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं, ताकि सैटेलाइट्स और इसरो के मिशनों पर असर कम हो. विमानन और समुद्री नेविगेशन सिस्टम्स को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है. हालाँकि, भारत में औरोरास दिखने की संभावना न के बराबर है, क्योंकि यह घटना उच्च अक्षांशों (उत्तरी/दक्षिणी ध्रुवों के पास) तक सीमित रहती है.
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