Xiaomi की ओर से आने वाले साल के साथ ही स्मार्टफोन्स की कीमतों में बजही इजाफा किया जाने वाला है, कहा जा रहा है कि 2026 तक ग्लोबल मेमोरी मार्केट में बड़ा बदलाव आने वाला है। कंपनी की Q3 2025 की वित्तीय रिपोर्ट बताती है कि मेमोरी की सप्लाई लगातार कम होती जा रही है, क्योंकि मेमोरी चिप निर्माता अब तेजी से उन प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रहे हैं जिन्हें AI हार्डवेयर और डेटा सेंटर की ज़रूरतों को पूरा करना होता है। इस शिफ्ट के कारण स्मार्टफोन मेमोरी की लागत पहले ही बढ़ने लगी है और आने वाले महीनों में यह ट्रेंड बहुत तेजी से बदलने की उम्मीद की जा रही है।
Xiaomi के ग्रुप प्रेसिडेंट, Lu Weibing ने कहा है कि पूरा स्मार्टफोन उद्योग एक चुनौतीपूर्ण दौर में एंट्री ले रहा है, ऐसे में आने वाला साल 2026 समार्टफोन कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से कहीं ज्यादा मुश्किल हो सकता है। उन्होंने बताया कि मेमोरी सप्लायर्स अब AI-केंद्रित ऑर्डर्स को बड़े पैमाने पर प्राथमिकता दे रहे हैं, उनकी भी इसमें गलती नहीं है, असल में, इस तरफ उन्हें ज्यादा मुनाफा नजर आ रहा है। इस वजह से स्मार्टफोन्स के लिए मेमोरी यूनिट्स की उपलब्धता निरंतर और समय के साथ सिमट रही है, इसी कारण यह महंगी भी हो रही हैं।
दुनिया की प्रमुख मेमोरी चिप कंपनियाँ, जैसे सैमसंग, AI सर्वर और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश कर रही हैं। इसका नतीजा यह है कि मोबाइल डिवाइसेज़ के लिए मेमोरी सप्लाई धीरे-धीरे कम होती जा रही है, और इससे स्मार्टफोन्स की कीमतों पर सीधा असर पड़ रहा है, और भविष्य में यह असर बहुत अधिक हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार मेमोरी के दाम आने वाले महीनों में लगातार बढ़ते रहेंगे, जिससे स्मार्टफोन कंपनियों पर वित्तीय दबाव होने के कारण वह स्मार्टफोन्स के दाम बढ़ा देने वाले हैं। ऐसा करके वह अपने ऊपर आने वाले दबाव को तो कम कर लेंगे लेकिन ग्राहकों की कमर पर इतना बोझ आ जाने वाला है कि उन्हें अपनी कमर टूटी हुई नजर आने वाली है।
Lu Weibing ने यह भी कहा कि बढ़ती लागत को देखते हुए कंपनियों को स्मार्टफोन के रिटेल प्राइस बढ़ाने पड़ सकते हैं, लेकिन केवल कीमत बढ़ाने से भी पूरा नुकसान कवर नहीं होगा। इसका असर बजट से लेकर प्रीमियम दोनों सेगमेंट के स्मार्टफोन्स पर पड़ेगा।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि AI की बढ़ती मांग ने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम की प्रोडक्शन प्रायोरिटी को पूरी तरह बदल दिया है। जैसे-जैसे AI आधारित वर्कलोड बढ़ रहे हैं, डेटा सेंटरों में मेमोरी की ज़रूरत कई गुना बढ़ चुकी है। इससे स्मार्टफोन निर्माताओं को कम होती सप्लाई के लिए ज्यादा प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। और क्योंकि इस स्थिति में सुधार के कोई तुरंत संकेत नहीं हैं, इसलिए स्मार्टफोन की कीमतें कम से कम 2026 तक लगातार बढ़ने की संभावना है।
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