डिजिटल पेमेंट की दुनिया में भारत पहले से ही सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब UPI को लेकर एक और बड़ी अपडेट सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, NPCI (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) एक नए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम पर काम कर रहा है जो UPI पेमेंट को और भी आसान और सुरक्षित बना सकता है.
इस नए फीचर के आने के बाद यूजर्स को हर बार PIN डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वे फेस रिकग्निशन या फिंगरप्रिंट स्कैन से ही पेमेंट को वेरीफाई कर सकेंगे. अभी तक, भारत में 80% से ज्यादा डिजिटल पेमेंट UPI से होते हैं. लेकिन UPI ट्रांजैक्शन के लिए अभी भी PIN डालना अनिवार्य है.
हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां लोगों का PIN चोरी हुआ या फिशिंग अटैक से डेटा लीक हुआ. PIN याद रखना भी कभी-कभी मुश्किल हो जाता है, खासकर बुजुर्गों या टेक्नोलॉजी से दूर रहने वाले लोगों के लिए.
ऐसे में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसे फेस या फिंगरप्रिंट स्कैन एक ज्यादा सुरक्षित विकल्प साबित हो सकता है. इससे आपका चेहरा या उंगली की छाप कॉपी करना लगभग नामुमकिन होता है. इससे न केवल फ्रॉड के चांस कम होंगे, बल्कि सिक्योरिटी लेवल भी पहले से बेहतर हो जाएगा.
सिर्फ सिक्योरिटी ही नहीं, यह सिस्टम ट्रांजैक्शन को ज्यादा फास्ट और फ्रिक्शन-फ्री बना देगा. सोचिए, रोजाना कई बार पेमेंट करने वाले यूजर्स के लिए हर बार PIN डालने की परेशानी खत्म हो जाएगी. सिर्फ मोबाइल उठाइए, फेस स्कैन करिए और पेमेंट हो गया.
हालांकि, यह सुविधा अभी डेवलपमेंट स्टेज में है और NPCI ने इसे लेकर कोई ऑफिशियल टाइमलाइन शेयर नहीं की है. लेकिन सवाल ये भी उठ रहे हैं कि जिन फोन्स में बायोमेट्रिक हार्डवेयर नहीं है, उनका क्या? और जो यूजर्स बार-बार फेस स्कैन में फेल हो जाते हैं, उनके लिए बैकअप ऑप्शन क्या होगा? संभावना है कि बायोमेट्रिक सिस्टम के साथ-साथ PIN का ऑप्शन भी बरकरार रहेगा ताकि कोई यूजर इससे वंचित न रह जाए.
एक और अहम मुद्दा है बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा. क्या ये डेटा सिर्फ फोन में ही स्टोर रहेगा या किसी सेंट्रल सर्वर में भेजा जाएगा? ऐसे में डेटा प्राइवेसी और साइबर लॉ को लेकर भी नियम तय करने होंगे ताकि लोगों की पर्सनल जानकारी पूरी तरह से सुरक्षित रहे.
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