TRAI new rules starts from December 1st and here is all you need to know
1 सितंबर से ग्राहकों को बैंकों, वित्तीय संस्थानों और ई-कॉमर्स फ़र्मों से अपने मोबाइल फोन्स पर सेवा और लेनदेन के संदेश प्राप्त करने में बाधा का सामना करना पड़ सकता है। यह आदेश टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की ओर से आया है जिसका लक्ष्य स्पैम (विशेष रूप से फिशिंग अटेम्प्ट) को घटाना है।
TRAI ने टेलिकॉम कम्पनियों को 1 सितंबर से ऐसे संदेश प्रसारित करने से रोकने के निर्देश दिए हैं जिनमें URLs, OTT लिंक्स, APKs (एंड्रॉइड ऐप्लिकेशन पैकेज) या कॉल-बैक नंबर्स शामिल हों और उन्हें व्हाइटलिस्ट न किया गया हो, और टेल्को के साथ रजिस्टर्ड न हो।
इस आदेश का मतलब है कि बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को 31 अगस्त तक ऑपरेटर्स के साथ अपने मेसेज टेम्प्लेट्स और कॉन्टेन्ट को रजिस्टर करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो इन तत्वों के साथ आने वाले मेसेजेस को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
वर्तमान में इकाईयाँ टेल्को के साथ अपने हेडर्स और टेम्प्लेट्स रजिस्टर करते हैं लेकिन मेसेजेस का कॉन्टेन्ट नहीं। यानि ऑपरेटर्स प्रसारित किए गए संदेशों का कॉन्टेन्ट नहीं देखते। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, अगले महीने से टेलिकॉम कम्पनियों को व्यावसायिक संदेशों के कॉन्टेन्ट को पढ़ना होगा और जो उनके रिकॉर्ड्स से मेल नहीं खाते उन्हें ब्लॉक करना होगा।
उद्योग डेटा के अनुसार, भारत में रोजाना 1.5-1.7 अरब व्यावसायिक संदेश भेजे जाते हैं, जो हर महीने कुल मिलाकर लगभग 55 अरब होते हैं।
Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि टेलिकॉम क्षेत्र इस आदेश को लागू करने के लिए TRAI से थोड़ा और समय मांग रहा है क्योंकि ब्लॉकचेन-आधारित डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) प्लेटफ़ॉर्म को अपडेट की जरूरत है। हालांकि, इस मामले से परिचित अधिकारियों के अनुसार, रेगुलेटरी का मानना है कि वह टेलिकॉम कम्पनियों को पर्याप्त समय दे चुका है और अब डेडलाइन बढ़ाना नहीं चाहता।
व्हाइटलिस्टिंग के लिए टेलीकॉम कंपनियों को यूआरएल, कॉल-बैक नंबर आदि से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करने के लिए संदेश भेजने वाली संस्थाओं की जरूरत होती है, जो बाद में जानकारी को अपने DLT प्लेटफॉर्म में फीड करती है। अगर वह जानकारी मेल खाती है तो, मेसेज को पास कर दिया जाता है, वरना उसे ब्लॉक कर दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, बैंकों की ओर से फंड्स डेबिट या क्रेडिट के लेनदेन वाले संदेशों में एक कॉल-बैक नंबर दिया जाता है। यदि बैंक उस नंबर को व्हाइटलिस्ट नहीं करता है तो ऐसे संदेशों का प्रसारण बंद कर दिया जाएगा।
एक टेलिकॉम उद्योग अधिकारी ने कहा, “बैंकों समेत केवल उन इकाईयाँ को आगे भेजा जाएगा, जो अपने संदेशों के यूआरएल और कॉन्टेन्ट को टेलिकॉम कम्पनियों के साथ व्हाइटलिस्ट करेंगे, बाकियों को ब्लॉक कर दिया जाएगा।”