साइबर सुरक्षा को लेकर भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा और सख्त कदम उठाया है. इसका सीधा असर अब हर नए स्मार्टफोन पर पड़ेगा. टेलीकॉम मंत्रालय ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को निजी तौर पर निर्देश दिए हैं कि वे अपने सभी नए डिवाइस में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) को प्री-लोड करें.
सबसे बड़ी बात यह है कि यह ऐप डिलीट नहीं हो सकेगा. ऐपल (Apple) जैसी कंपनियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है जो अपनी प्राइवेसी नीतियों को लेकर बहुत सख्त हैं. इस आदेश को लागू करने के लिए कंपनियों को 90 दिन का समय दिया गया है. यानी 90 दिन के बाद आने वाले सभी स्मार्टफोन में हमें यह ऐप पहले से देखने को मिलेगा. इसको ऐसे समझिए, अभी आप अगर कोई नया फोन खरीदते हैं तो उसमें आपको कई थर्ड पार्टी ऐप जैसे Netflix दिखते हैं. हालांकि, आपके पास उसको डिलीट करने का ऑप्शन होता है. उसी तरह नए फोन में पहले से संचार साथी ऐप इंस्टॉल होगा. लेकिन, आप उसे डिलीट नहीं कर पाएंगे.
आपको बता दें कि भारत 120 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर्स के साथ दुनिया के सबसे बड़े फोन बाजारों में से एक है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में लॉन्च किए गए इस ऐप ने 7 लाख से अधिक खोए हुए फोन को बरामद करने में मदद की है, जिसमें अकेले अक्टूबर में 50 हजार फोन शामिल हैं. यानी इस ऐप से खोए हुए फोन को ट्रैक करना सरकारी एजेंसी के लिए आसान हो जाता है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 28 नवंबर को जारी किए गए आदेश में प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों को 90 दिन का समय दिया गया है ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि सरकार का ‘संचार साथी’ ऐप नए मोबाइल फोन पर प्री-इंस्टॉल हो. इसके साथ यूजर्स के पास इसे डिसेबल करने का कोई ऑप्शन न हो.
एक रिपोर्ट के अनुसार, Apple का iOS भारत में लगभग 4.5 प्रतिशत मार्केट शेयर करता है. भारत में टोटल 735 मिलियन स्मार्टफोन होने की उम्मीद है. लेकिन, इस आदेश से Samsung, Vivo, Oppo और Xiaomi जैसी कंपनियों की तरह ही ऐपल भी नए आदेश से बंधी हुई है.
काउंटरपॉइंट के निदेशक और रिसर्चर तरुण पाठक ने कहा कि Apple ने ऐतिहासिक रूप से सरकारों के ऐसे अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने भविष्यवाणी की है कि “अनिवार्य प्री-इंस्टॉल” के बजाय, Apple इस ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यूजर्स को अलर्ट देने के लिए बातचीत कर सकता है.
Apple की इंटरनल नीतियां स्मार्टफोन की बिक्री से पहले किसी भी सरकारी या तीसरे पक्ष के ऐप को इंस्टॉल करने पर रोक लगाती हैं. इस वजह से कंपनी यूजर को बार-बार अलर्ट या नोटिफिकेशन भेज कर इसे इंस्टॉल करने के लिए कह सकती है. हालांकि, सरकार और कंपनी के बीच क्या बातचीत होती है, उस पर यह निर्भर करता है.
सरकार का कहना है कि यह ऐप डुप्लीकेट या स्पूफ किए गए IMEI नंबरों से टेलीकॉम साइबर सुरक्षा के “गंभीर खतरे” का मुकाबला करने के लिए आवश्यक है, जिससे स्कैम और नेटवर्क का दुरुपयोग होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि IMEI (इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) एक 14 से 17 अंकों का नंबर होता है जो प्रत्येक हैंडसेट के लिए यूनिक होता है. ‘संचार साथी’ ऐप यूजर्स को संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट करने, IMEI को वेरिफाई करने और चोरी हुए डिवाइस को एक सेंट्रल रजिस्ट्री के माध्यम से ब्लॉक करने की अनुमति देता है.
ऐप को लॉन्च होने के बाद से 50 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है. इस ऐप ने 33 लाख से अधिक चोरी या खोए हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक करने में मदद की है. जबकि 30 मिलियन से अधिक धोखाधड़ी वाले कनेक्शन भी समाप्त किए गए हैं.
अब सरकार ने इस पर सफाई दी है. टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि इस ऐप को रखना या ना रखना ऑप्शनल होगा. यानी यूजर चाहे तो इस ऐप को डिलीट कर सकता है.
यह भी पढ़ें: दिसबंर में लॉन्च होने वाले हैं एक से बढ़कर एक धांसू स्मार्टफोन्स, OnePlus से Redmi तक शामिल, देखें लिस्ट