भारत की एविएशन अथॉरिटी DGCA (Directorate General of Civil Aviation) जल्द ही एयर ट्रैवल के दौरान पावर बैंक ले जाने से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी करने की तैयारी में है। हाल ही में विमान के अंदर स्मोक और फायर से जुड़ी घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। DGCA ने अंतरराष्ट्रीय एविएशन प्रैक्टिसेज और तकनीकी रिपोर्ट्स को भी रिव्यू करना शुरू कर दिया है, ताकि उड़ानों में सुरक्षा को और बेहतर बनाया जा सके।
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में लिथियम-आयन बैटरियों में खराबी के कारण कई घटनाएं सामने आई हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर एक इंडिगो फ्लाइट में यात्री के डिवाइस में आग लग गई थी, जब विमान टैक्सी कर रहा था। इसी तरह दिमापुर जा रही एक अन्य इंडिगो फ्लाइट में पावर बैंक से धुआं निकलने की घटना दर्ज की गई। विदेशों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जैसे कि एयर चाइना की एक फ्लाइट को बैटरी से जुड़ी समस्या के कारण डाइवर्ट करना पड़ा। इन सभी घटनाओं के बाद DGCA मौजूदा सुरक्षा नियमों की पुनः समीक्षा कर रही है।
दुनिया भर की कई एयरलाइंस ने पहले से ही कड़े सुरक्षा नियम लागू कर दिए हैं। उदाहरण के लिए, एमिरेट्स एयरलाइन ने 1 अक्टूबर से फ्लाइट में पावर बैंक का इस्तेमाल या चार्जिंग पूरी तरह से बैन कर दिया है। यात्रियों को केवल 100 वॉट-आवर (Wh) से कम क्षमता वाले एक पावर बैंक को ले जाने की अनुमति है, और उसे यात्रा के दौरान पूरी तरह बंद रखना अनिवार्य है। इसी तरह सिंगापुर एयरलाइंस ने भी इन-फ्लाइट चार्जिंग पर लिमिट लगाई है और यात्रियों को निर्देश दिया है कि वे पावर बैंक को ओवरहेड बिन की बजाय सीट पॉकेट या सीट के नीचे रखें।
अब भारत में DGCA भी इसी तरह के नियमों पर विचार कर रही है। नए दिशानिर्देशों में यात्रियों के लिए एक तय संख्या में पावर बैंक की सीमा, उनकी कैपेसिटी रेटिंग स्पष्ट रूप से दिखाना, और उड़ान के दौरान सही तरीके से स्टोर करने के निर्देश शामिल हो सकते हैं। साथ ही यह भी संभव है कि फ्लाइट में पावर बैंक का इस्तेमाल या चार्जिंग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी जाए। इन प्रस्तावों का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए व्यावहारिक संतुलन बनाए रखना है, क्योंकि आज के दौर में लगभग हर यात्री इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस साथ लेकर चलता है।
वर्तमान नियमों के तहत, भारत में यात्री पावर बैंक केवल हैंड बैगेज में ले जा सकते हैं, चेक-इन लगेज में इसकी अनुमति नहीं है। 100Wh से ज्यादा क्षमता वाले पावर बैंक के लिए एयरलाइन की मंजूरी आवश्यक होती है, जबकि 160Wh से ऊपर के पावर बैंक पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। साथ ही, यह भी जरूरी है कि पावर बैंक अच्छी स्थिति में हो, उस पर कैपेसिटी लेबल स्पष्ट हो, और उसे शॉर्ट सर्किट से सुरक्षित रखा गया हो।
लिथियम-आयन बैटरियां, जो अधिकतर पोर्टेबल डिवाइसेज़ को चलाती हैं, थर्मल रनअवे (thermal runaway) नामक प्रक्रिया के कारण आग पकड़ सकती हैं। इसमें बैटरी के अंदर अत्यधिक गर्मी पैदा होती है जो कंट्रोल से बाहर होकर विस्फोट या आग का कारण बन सकती है। इसलिए DGCA की नई एडवाइजरी में ऐसे मामलों से बचाव के लिए व्यापक सुरक्षा मानक तैयार किए जा रहे हैं। इन नए नियमों के लागू होने के बाद उड़ान के दौरान पावर बैंक का ज्यादा सुरक्षित उपयोग और हैंडलिंग सुनिश्चित की जा सकेगी।
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