Telegram CEO
टेक दुनिया के अरबपति अक्सर अपनी अजीबोगरीब हरकतों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन Telegram के संस्थापक Pavel Durov ने जो ऐलान किया है, उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. 41 साल के ड्यूरोव, जिनकी कुल संपत्ति लगभग 17 बिलियन डॉलर (करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये) है, ने एक अजीब प्रस्ताव रखा है.
उन्होंने कहा है कि वे उन महिलाओं के IVF (In Vitro Fertilisation) का पूरा खर्चा उठाएंगे जो उनके स्पर्म का इस्तेमाल करके मां बनना चाहती हैं. लेकिन ऑफर सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता है. ड्यूरोव ने वादा किया है कि उनके इस “जैविक योगदान” से पैदा होने वाले सभी बच्चे भविष्य में उनकी अरबों की जायदाद के हिस्सेदार होंगे. खुद को आधुनिक “चंगेज खान” साबित करने की राह पर चले ड्यूरोव का दावा है कि उनके पहले से ही 100 से ज्यादा बच्चे हैं.
ड्यूरोव ने मास्को की एक फर्टिलिटी क्लीनिक के जरिए एक खुला प्रस्ताव रखा है. ड्यूरोव ने कहा है कि वह उन महिलाओं के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) उपचार की पूरी लागत वहन करेंगे जो उनके दान किए गए स्पर्म का इस्तेमाल करके गर्भधारण करना चाहती हैं.
इस ऑफर का लाभ उठाने के लिए महिला की उम्र 37 वर्ष से कम होनी चाहिए. जो बात इस खबर को सबसे बड़ी हेडलाइन बनाती है, वह है विरासत का वादा. ड्यूरोव ने साफ किया है कि उनके सभी जैविक बच्चे एक दिन उनकी बड़ी संपत्ति में हिस्सा पाएंगे.
अक्टूबर में Lex Fridman Podcast पर एक इंटरव्यू के दौरान ड्यूरोव ने इस योजना का खुलासा किया था. उन्होंने कहा, “जब तक वे मेरे साथ अपना शेयर्ड डीएनए (Shared DNA) स्थापित कर सकते हैं, शायद आज से 30 साल बाद, मेरे जाने के बाद वे मेरी संपत्ति के एक हिस्से के हकदार होंगे.”
एक अलग इंटरव्यू में, फ्रांसीसी पत्रिका Le Point से बात करते हुए, ड्यूरोव ने कहा, “मैं अपने बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं करता.” यानी चाहे वे बच्चे उनकी एक्स-गर्लफ्रेंड्स से हों या स्पर्म डोनेशन से, ड्यूरोव की नजर में सब बराबर हैं.
ड्यूरोव का दावा है कि स्पर्म डोनेशन के जरिए वे पहले ही 100 से अधिक बच्चों के पिता बन चुके हैं. इसके अलावा, 3 अलग-अलग पार्टनर्स से उनके 6 बच्चे और हैं. ड्यूरोव ने बताया कि उन्होंने 2010 में स्पर्म डोनेट करना शुरू किया था. तब उनके एक दोस्त ने उनसे मदद मांगी थी क्योंकि वह और उनकी पत्नी बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे थे.
जब वे क्लीनिक गए, तो डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि “हाई-क्वालिटी वाले डोनर मैटेरियल” की भारी कमी है. ड्यूरोव ने इसे अपना सिविक ड्यूटी बताया है. उनका मानना है कि स्पर्म डोनेशन को कलंकित नहीं किया जाना चाहिए. वे कहते हैं, “स्वस्थ शुक्राणुओं की कमी दुनिया भर में एक गंभीर मुद्दा बन गई है, और मुझे गर्व है कि मैंने इसे कम करने में अपनी भूमिका निभाई.”
मास्को क्लीनिक और ‘हाई-डिमांड’ स्पर्म द वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ड्यूरोव का स्पर्म रूस में काफी “इन-डिमांड” है. मास्को स्थित अल्ट्राविटा क्लीनिक ने पिछले साल एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें ड्यूरोव के स्पर्म को मुफ्त में देने की पेशकश की गई थी. इस विज्ञापन पर दर्जनों महिलाओं ने प्रतिक्रिया दी थी.
कानूनी जटिलताओं से बचने के लिए, क्लीनिक ने इस ऑफर तक पहुंच केवल अविवाहित महिलाओं तक सीमित रखी है. ऐसा शायद इसलिए किया गया है ताकि भविष्य में बच्चों की कस्टडी या पिता के अधिकारों को लेकर कोई कानूनी पेंच न फंसे.
ड्यूरोव एक टेक दिग्गज हैं, इसलिए उनकी सोच भी ‘सॉफ्टवेयर’ जैसी है. उन्होंने अपने डीएनए को “ओपन-सोर्स” करने की योजना बनाई है. वे चाहते हैं कि उनके जैविक बच्चे भविष्य में एक-दूसरे को आसानी से ढूंढ सकें. जुलाई 2024 में एक टेलीग्राम पोस्ट में, उन्होंने पुष्टि की कि उनका स्पर्म “अभी भी उपलब्ध” है और वह चाहते हैं कि उनके बच्चे एक समुदाय की तरह एक-दूसरे से जुड़ें. उन्होंने लिखा, “बेशक इसमें जोखिम हैं, लेकिन मुझे डोनर होने का कोई पछतावा नहीं है.”
पावेल ड्यूरोव, एलन मस्क (Elon Musk) की तरह ही गिरती आबादी को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से गिरते स्पर्म काउंट और बढ़ती बांझपन दर को प्लास्टिक प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारकों से जोड़ा है. अपनी दौलत और “अच्छे जीन्स” का हवाला देकर, वे खुद को मानव जाति के जीन पूल को बचाने वाले मसीहा के रूप में पेश कर रहे हैं. हालांकि, आलोचक इसे एक अरबपति का नार्सिसिज्म या आत्म-मुग्धता कह रहे हैं.
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