ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में बेतहाशा बढ़ते धोखाधड़ी मामलों और लोगों में फैलती लत पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने Online Gaming Bill को हरी झंडी दे दी है. यह बिल 20 अगस्त 2025 (बुधवार) को लोकसभा में पेश किया जाएगा.
सरकार का कहना है कि हाल के महीनों में कई हाई-प्रोफाइल फ्रॉड केस सामने आए हैं और कई बड़े सेलेब्रिटी को ऐसे ऐप्स को प्रमोट करने के आरोपों पर पूछताछ के लिए बुलाया गया है. इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि ऑनलाइन बेटिंग को नियंत्रित करने के लिए ठोस कानून की जरूरत है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बिल में बेटिंग ऐप्स के प्रमोशन, विज्ञापन या समर्थन से जुड़े लोगों पर कड़ी सज़ा और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा सरकार ऑनलाइन गेमिंग पर 40% GST लगाने की तैयारी में है. यह दर दिवाली 2025 से लागू हो सकती है. फिलहाल यह दर 28% है, जिसे 1 अक्टूबर 2023 को लागू किया गया था. टैक्स स्ट्रक्चर में यह बड़ा बदलाव सरकार की उस मंशा को दिखाता है जिसमें ऑनलाइन गेमिंग को पारदर्शी और जिम्मेदार ढांचे में लाना है.
बिल में उन सभी गेम्स पर रोक लगाने का प्रावधान है जो अवैध ऑनलाइन बेटिंग से जुड़े हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में बेटिंग की लत खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है. DW की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 14 करोड़ लोग नियमित रूप से ऑनलाइन जुआ और बेटिंग में हिस्सा लेते हैं. यह संख्या बड़े टूर्नामेंट्स, खासकर Indian Premier League (IPL) के समय 37 करोड़ तक पहुंच जाती है.
यहां यह समझना जरूरी है कि ये आंकड़े केवल कानूनी प्लेटफॉर्म्स से जुड़े हैं. वहीं Digital India Foundation की एक रिपोर्ट बताती है कि अवैध बेटिंग ऐप्स में जमा राशि 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो चुकी है. इतनी बड़ी रकम न केवल लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है, बल्कि यह मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक अपराधों का भी जरिया बन रही है. ऐसे में सरकार का मानना है कि यह सही समय है जब सख्त कदम उठाकर लोगों को इस लत और फ्रॉड से बचाया जाए.
केंद्र सरकार का साफ कहना है कि उसका उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को खत्म करना नहीं बल्कि उसे जिम्मेदार और सुरक्षित ढांचे में लाना है. टैक्स रेट्स को बढ़ाना, सख्त नियम बनाना और अवैध प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगाना इसी दिशा में कदम हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह बिल पास होता है तो यह ऑनलाइन बेटिंग इंडस्ट्री के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा.
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